परिवार का नाम एक ही है। हालांकि वाईएस राजशेखर रेड्डी और वाईएस भास्कर रेड्डी के परिवार अलग-अलग रहते आ रहे हैं। राजा रेड्डी के दौर से ही दोनों परिवार में असंतोष की ज्वाला भड़कते आ रही हैं। वाईएस वेंकट रेड्डी की दो पत्नियां हैं। पहली पत्नी का बेटा चिन्ना कोंडा रेड्डी। दूसरी पत्नी का बेटा राजा रेड्डी है। राजा रेड्डी ने चिन्ना कोंडा रेड्डी को वित्तपोषित किया। पैसे वापस न मिलने पर राजा रेड्डी ने चिन्ना कोंडा रेड्डी की कुछ संपत्तियों को अपने नाम पर पंजीकृत कर लिया। चिन्ना कोंडा रेड्डी के बेटे वाईएस भास्कर रेड्डी (अविनाश के पिता) और अन्य इस मामले को लेकर राजा रेड्डी के परिवार से नाराज़ थे।
हैदराबाद : उधर प्रमुख लोगों के बयान और इधर तकनीकी सबूतों के दम पर सीबीआई अपनी जांच तेजी से कर रही है। इसी के चलते वाईएस विवेकानन्द रेड्डी हत्याकांड में और भी साजिश और तथ्य सामने आ रहे हैं। इस मामले में सीबीआई ने दूसरी पूरक चार्जशीट दाखिल की है। 30 जून को हैदराबाद सीबीआई ने 145 पेज की सप्लीमेंट्री चार्जशीट कोर्ट में पेश की है। इसमें कई अहम बातें बताई गईं है। वहीं वाईएस जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की अध्यक्ष वाईएस शर्मिला का बयान भी सामने आया है। सबका सार एक ही है-अविनाश रेड्डी और भास्कर रेड्डी ने विवेकानंद रेड्डी की हत्या कर दगी! देवी रेड्डी शंकर रेड्डी ने हत्या की साजिश रची।
इसी साजिश के तहत 14 मार्च 2019 की आधी रात के बाद वाईएस विवेकानंद रेड्डी की हत्या कर दी गई। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में खुलासा किया है कि हत्या की घटना के पहले और उसके बाद वे कब और कैसे आरोपी वाईएस अविनाश रेड्डी और उनके पिता भास्कर रेड्डी के संपर्क में थे। सीबीआई ने पहले कॉल डेटा रिकॉर्ड, Google टेकआउट, आईपीडीआर जैसे तकनीकी सबूतों का उल्लेख किया। आरोपियों ने विवेकानंद रेड्डी की हत्या से पहले और बाद में अविनाश रेड्डी के घर और बाहरी परिवेश में थे।
साफ है कि आरोपियों और साजिशकर्ताओं को ठिकाने लगाने की बड़ी कवायद की जा रही है। हत्या के मामले में तकनीकी सहायता के लिए सीबीआई अमेरिका से भी संपर्क कर रही है। पिछले साल 20 जून को सीबीआई ने भारत और अमेरिका के बीच पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय के माध्यम से एक अपील भेजी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि विवेकानंद रेड्डी की हत्या की रात को आवास लगे वाई-फाई राउटर से कौन जुड़ा था। अमेरिकी अधिकारियों ने सीबीआई द्वारा मांगे गए विवरण पर तीन बार अतिरिक्त जानकारी मांगी। सीबीआई ने उन्हें आवश्यक जानकारी भेज दी। सीबीआई ने कहा कि वह अमेरिकी अधिकारियों की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है और संबंधित सबूत मिलने के बाद उसे अदालत में पेश किया जाएगा। मालूम हो कि विवेकानंद रेड्डी के साथ लिखी गई चिट्ठी को पहले ही निनहाइड्रिन टेस्ट के लिए भेजा जा चुका है। सीबीआई ने यह भी कहा कि दिल्ली सीएफएसएल से एक रिपोर्ट आनी है। इसमें कहा गया है कि जांच के हिस्से के रूप में जब्त किए गए मोबाइल फोन को फोरेंसिक जांच के लिए तिरुवनंतपुरम के सीडॉक भेजा गया है और रिपोर्ट का इंतजार है।
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सीबीआई की चार्जशीट की मुख्य बातें इस प्रकार हैं…
2014 के आम चुनाव में कडपा सांसद का टिकट भास्कर रेड्डी के बेटे अविनाश रेड्डी को दिया गया। उस चुनाव में विवेकानंद रेड्डी को एमएलए या एमपी का टिकट नहीं मिला। 2017 में विवेकानंद रेड्डी को कडपा एमएलसी का टिकट दिया गया। वाईएस भास्कर रेड्डी यह एमएलसी टिकट अपने करीबी डी शिवशंकर रेड्डी (ए-5) को देना चाहते थे, लेकिन नहीं दे सके। इसके चलते विवेकानंद रेड्डी को हराने के लिए सभी एकजुट हो गये। भास्कर रेड्डी, अविनाश रेड्डी और शिवशंकर रेड्डी ने विवेका के करीबी गंगीरेड्डी की मदद से एमएलसी चुनाव में विवेकानंद रेड्डी को हराया। इससे क्रोधित विवेकानंद रेड्डी भास्कर रेड्डी के घर गए और कहा कि मेरी हार का कारण तुम ही हो। इसके बाद विवेकानंद रेड्डी उनके करीबी गंगीरेड्डी पर भी विश्वास करना बंद कर दिया।
2019 में विवेकानंद रेड्डी ने जोर देकर कहा कि कडपा सांसद का टिकट अविनाश रेड्डी को नहीं दिया जाना चाहिए। यह टिकट विजयलक्ष्मी या शर्मिला को दिये जाने पर अड़े रहे। हालाँकि शर्मिला यह जानती थी कि उसके भाई जगन मोहन रेड्डी उसे टिकट नहीं देंगे। फिर भी शर्मिला ने विवेकानंद रेड्डी के प्रस्ताव के अनुसार कडपा सांसद सीट पर चुनाव लड़ने पर सहमत हो गईं। यह देख भास्कर रेड्डी, अविनाश रेड्डी और डी. शिवशंकर रेड्डी ने विवेकानंद रेड्डी की हत्या की साजिश रची जो उन्हें कडपा सांसद का टिकट मिलने से रोक रहे थे। इसके लिए विवेकानंद रेड्डी के सबसे करीबी एर्रा गंगी रेड्डी को चुना गया। विवेकानंद रेड्डी के साथ गंगी रेड्डी (ए-1) और सुनील यादव (ए-4) भी कई बार भूमि सेटलमेंट के लिए बेंगलुरु गए थे। विवेकानंद रेड्डी ने गंगी रेड्डी की ओर से कमीशन के रूप में 50 फीसदी हिस्सेदारी देने की मांग पर क्रोधित हो गये। उन्होंने गंगी रेड्डी को इस बात के लिए डांटा कि वह इतना बड़ा हो गया है कि अपना हिस्सा मांग सकें। वहां मौजूद गवाहों ने इस मामले की पुष्टि की कि दोनों के बीच झगड़ा हो गया।
इसके अलावा गंगी रेड्डी ने सुनील यादव, गज्जला उमाशंकर रेड्डी और दस्तगिरी को चुना जिनके विभिन्न मुद्दों पर विवेकानंद रेड्डी के साथ मतभेद थे। गंगी रेड्डी ने अन्य आरोपियों को आश्वस्त किया कि अगर वे विवेकानंद रेड्डी की हत्या करेंगे तो भास्कर रेड्डी, अविनाश रेड्डी और शिवशंकर रेड्डी 40 करोड़ रुपये देंगे। उन्होंने अपने घर में तीनों आरोपियों के साथ बैठकें कीं। “डरो मत। उन्होंने आश्वासन दिया है। इसके पीछे बहुत शक्तिशाली लोग हैं।” जब दस्तागिरी (अनुमोदनकर्ता) ने पूछा कि वे कौन हैं, तो उन्होंने भास्कर रेड्डी, मनोहर रेड्डी, अविनाश रेड्डी, शिवशंकर रेड्डी के नाम बताए। शिवशंकर रेड्डी ने आश्वासन दिया- ”शिवशंकर रेड्डी 40 करोड़ रुपये देंगे। मैं तुम्हें इसमें से 5 करोड़ रुपये दूंगा। लंबे समय तक विवेकानंद रेड्डी के ड्राइवर रहकर आपने क्या कमाया? उन्होंने दस्तगिरी को आश्वासन दिया कि इससे तुम्हारी जिंदगी बदल जाएगी। दस्तगिरी को समझाने के लिए उन्होंने सीधे शिवशंकर रेड्डी से बात की। गंगी रेड्डी जैसा कहें वैसा करो। हम आपके साथ है! आप संदेह क्यों कर रहे हैं?”
विवेकानंद रेड्डी की हत्या से पहले आरोपियों ने पूरी तरह से रेकी की। गूगल टेकआउट जानकारी के मुताबिक 13 और 14 मार्च 2019 को दस्तगिरी, सुनील यादव और शिवशंकर रेड्डी की लोकेशन भास्कर रेड्डी के घर पर मिली थी। पेंडंटी राजशेखर, जो विवेका के घर पर रहता छा और उनके खेत का काम देखता था, काणिपाकम जाने के लिए छुट्टी ली हैं। चौकीदार रंगन्ना द्वारा राजशेखर को फोन करवाया और पुष्टि की कि वह 15 तारीख को लौट आएगा। राजशेखर ने बताया कि विवेकानंद रेड्डी के पीए एमवी कृष्णा रेड्डी ने भी उन्हें 14 तारीख की शाम को फोन किया और पूछा कि वह कब लौट रहा है। यह सुनिश्चित करने के बाद कि विवेकानंद रेड्डी घर में अकेला है। उन्होंने 14 तारीख की रात को हत्या करने की योजना बनाई।
सुनील यादव ने पुलिवेंदुला में कुल्हाड़ी खरीदने पर किसी को भी संदेह होगा सोचकर दस्तगिरी को कदिरी से ले आने के लिए भेज दिया। गंगी रेड्डी 14 तारीख को मैदुकुरु प्रचार पर गए विवेकानंद रेड्डी के साथ ही था। सुनील यादव सांसद अविनाश रेड्डी के घर पर दस्तगिरी का इंतजार कर रहे थे। शाम को उदयकुमार रेड्डी भी वहां आ गया। गूगल टेकआउट से पता चला कि वे सभी रात 8 बजे तक वहीं थे। शिवशंकर रेड्डी को विवेकानंद रेड्डी के ठिकाने के बारे में पता चला और गंगी रेड्डी के माध्यम से यह भी पता चला कि वह पुलिवेंदु कब आएंगे। विवेकानंद रेड्डी की हत्या से पहले, शिवांकर रेड्डी और अविनाश रेड्डी को एक ही टावर में पाये गये थे।
विवेकानंद रेड्डी रात 11.24 बजे पुलिवेंदुला स्थित अपने घर पहुंच गये। तब तक सुनील यादव, दस्तगिरी और उमाशंकर रेड्डी शराब पीते हुए विवेकानंद रेड्डी के घर के पास इंतजार कर रहे थे। विवेकानंद रेड्डी अपने चौकीदार रंगन्ना से कहा कि गंगी रेड्डी रात को उसके साथ ही यहीं सोएगा। तुम्हें घर जाकर सो जाओ। आधी रात के बाद डेढ़ बजे गंगी रेड्डी ने तीनों आरोपियों को दीवार फांदकर घर में घुसने में मदद की। विवेकानंद रेड्डी क्रोधित हो गये इस समय ये लोग यहां पर क्या कर रहे और क्यों आये हैं। गंगी रेड्डी ने कहा कि वो आपसे समझौता करने आये हैं। इसके जवाब में विवेकानंद ने कहा, मैं तुम्हें कई बार बता चुका हूं। रकम देने होता तो कब का दे चुका होता। एमपी के चुनाव आ रहे हैं। आपको बाद में रकम दूंगा।” इसके बाद उमाशंकर रेड्डी, सुनील यादव और दस्तगिरी ने मिलकर विवेकानंद रेड्डी की हत्या कर दी।
