कोलकाता : पंडित माखन लाल चतुर्वेदी जी के जन्म जयंती पर अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘रचनाकार – एक साहित्यिक क्रांति’ के पटल पर विस्तृत चर्चा करके उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया और उनकी कविताओं का पाठ किया। कोलकाता की वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती विद्या भण्डारी ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया एवं उनकी कविता ‘तुम मंद चलो’ का वाचन किया।
रचनाकार के संस्थापक अध्यक्ष सुरेश चौधरी ने बताया कि कैसे पंडित जी ने मध्य-प्रदेश के मुख्य मंत्री पद को अस्वीकार कर दिया था, छायावाद में राष्ट्रवाद का समन्वय किया और उनकी कविता ‘मुक्त गगन मुक्त पवन’ की कुछ पंक्तियां भी सुनाई।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के पौत्र अरविंद सिंह दिनकर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर जी पंडित जी के बारे में क्या सोचते थे, उनके संस्मरण भी पढ़ कर सुनाया। दिनकर जी पंडित जी को अपना गुरु मानते थे।
हैदराबाद से जुड़ी सूत्रधार संस्थापिका सरिता सुराणा जी ने पंडित जी के जीवन का संक्षिप्त परिचय दिया और उनकी प्रसिद्ध कविता पुष्प की अभिलाषा जो 1920 में जेल में लिखी गई थी पर प्रकाश डाला। साथ ही उनकी कविता अमर राष्ट्र का पाठ किया।
कार्यक्रम के संयोजक कटनी से जुड़े श्री सुभाष सिंह ने उनके क्रान्तिकारी जीवन के कुछ पहलू बताए और कहा कि उस समय अधिकांश क्रांतिकारियों की जेब में पुष्प की अभिलाषा कविता मिलती थी। यह केवल कविता नहीं एक आंदोलन थी। उन्होंने सस्वर उनकी कविता ‘प्यारे भारत देश’ का गायन भी किया।
बंगलौर से जुड़े युवा कवि ब्रजेन्द्र मिश्र ने ‘राष्ट्रीय वीणा’ कविता का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन मेरठ से जुड़े डॉ जितेंद्र कुमार ने किया। अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता का वाचन किया। अंत मे सुरेश चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि वे सुभाष सिंह जी के कृतज्ञ हैं कि उन्होंने हमारे साहित्य मनीषियों के जन्म दिन पर उन्हें स्मरण कर श्रद्धांजलि देने की श्रृंखला का आरंभ किया।