विशेष: हैदराबाद मुक्ति संग्राम में आर्य समाज का योगदान और सुल्तान बाजार आर्य समाज का इतिहास

17 सितंबर यानी हैदराबाद मुक्ति दिवस। हैदराबाद मुक्ति दिवस के इस अमृत महोत्सव वर्ष में प्रवेश करने पर हमें गर्व महसूस होता है और होना भी चाहिए। उन शहीदों को याद करना चाहिए जिनके कारण आज हम भारतवर्ष में है। हम यह बात गर्व से कहते है कि हैदराबाद मुक्ति संग्राम में सिर्फ और सिर्फ आर्य समाज का ही सबसे अधिक योगदान रहा है। अन्य का नाम मात्र सहयोग मिला है।

चलिए हम आर्य समाज का हैदराबाद में प्रवेश और गौरवपूर्ण इतिहास पर प्रकाश डालते है। आर्य समाज का भारत वर्ष को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आर्य समाज का रजाकार और निजाम से मुक्ति कराने में गौरवपूर्ण और स्वर्णक्षरों में लिखने वाला इतिहास रहा है।

आर्यसमाज आज जैसा बस्ती-बस्ती में खुल सकते हैं। उस समय इतना कठिन था कि उसका वर्णन करना ही बहुत भयानक है। मंदिरों और धर्मस्थलों को तोडना, लुटना, जलाना, ध्वस्त करना रजाकारों का काम था। इसके लिए निज़ाम की पुलिस उन्हें पूरा सहयोग कर रही थी। उस समय पूजा-अर्चना घर में करना ही कठिन होता था। एक नये मन्दिर का निर्माण करना और वो भी आर्य समाज का निर्माण लगभग असंभव था।

इसी क्रम में पंडित कामता प्रसाद जी छठे निजाम के पास दरोगा थे। उनका निजाम से साक्षात्कार हर दिन होता ही रहता था। इसके चलते आर्य समाज की नींव पढ़ीं। इसके चलते आर्य समाज के श्री कामता प्रसाद जी प्रथम प्रधान और श्री लक्ष्मण दास जी मंत्री बने। पहले आर्य समाज की गतिविधियां घर से ही शुरुआत हुई थी। इसके बाद दो-तीन स्थानों पर आर्य समाज को स्थापित किये गये। यह देख सेठ इन्द्रजीत जी (चारकमान वाले) ने भूमि क्रय कर आर्यसमाज को दान दी। वर्तमान में आर्य समाज सुल्तान बाजार नाम से जाना जाता है।

आर्य समाज सुलतान बाजार महर्षि दयानन्द मार्ग का 125 से अधिक वर्षो का इतिहास अत्यन्त गौरवपूर्ण रहा है। सच्चाई यह है कि हैदराबाद स्टेट में प्रभावोत्पादक जनजागरण का कार्य यही से आरम्भ हुआ। हैदराबाद तब निजाम स्टेट की राजधानी थी। अत: आरम्भ से ही इस आर्य समाज का अपना विशिष्ट स्थान रहा है। आरम्भ से ही और आज तक बडी-बडी महान विभूतियाँ इस आर्य समाज से जुड़ी रही है। इस कथन में अतिशयोक्ति न होगी कि निजाम स्टेट में जन जागृति, सामाजिक एवं राजनीतिक चेतना इसी आर्य समाज से संभव हो पाया है।

हैदराबाद स्टेट में आर्य समाज के क्रान्ति के अग्रदूत भाई बन्सीलाल जी (वकील हाईकोर्ट) और अमर शहीद भाई श्यामलाल जी के लिए आर्य समाज महत्वपूर्ण अंग रहा है। आर्यसमाज सुलतान बाजार का शहर के समूचे आर्य समाज आन्दोलन का इतिहास जुडा हुआ है। तत्कालीन निजाम काल के अत्याचारों से आर्य समाज, सुलतान बाजार भी अछूता नहीं रहा। समाज के वार्षिकोत्सवों पर जो भी प्रभावशाली वक्ता और नेता आते थे, उनके प्रवेश को निजाम सरकार निषिद्ध घोषित कर देती थी।

निजाम के इस अन्याय के खिलाफ अनेक युवक आर्य समाज से जुड़ते रहे। इस प्रकार आर्य समाज का विकास होता गया। आर्य समाज के विचार से प्रभावित होकर से युवक स्वाधीनता आंदोलन शामिल होते गये। इनका मूल मंत्र जागरूकता, आत्मरक्षा और स्वाधीनता जन्म सिद्ध अधिकार रहा है। यह युवक निजाम के अत्याचारों और रजाकारों के जुल्मों से लडने के लिए हर समय तैयार रहते थे।

आज हम आजाद भारत में है। देश अनेक क्षेत्रों में विकास किया और कर रहा है। फिर भी हमारा देश अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है। ऐसे समय में आर्य समाज को इतिहास से कुछ सीखना और देश के लिए कुछ करना है। इसीलिए सभी को एकजुट होकर लोगों में जागरुकता कार्यक्रम चलाने का संकल्प लेना चाहिए।

– लेखक भक्तराम, स्वतंत्रता सेनानी पण्डित गंगाराम स्मारक मंच

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Recent Comments

    Archives

    Categories

    Meta

    'तेलंगाना समाचार' में आपके विज्ञापन के लिए संपर्क करें

    X