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क्या राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच दूरियां बढ़ गई हैं? क्या राज्यपाल तमिलसाई और सीएम केसीआर के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं? क्या दोनों की बीच की खाई दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है? अर्थात नवीनतम घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है कि हां ही जवाब मिल रहा है।
हैदराबाद: राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेलंगाना के राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) के बीच अनबन गहरी होती दिखाई दे रही है। बुधवार को राजभवन में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में केसीआर की अनुपस्थिति इस विश्लेषण को और बल मिला है। विश्लेषकों का कहना है कि राज्यपाल तमिलिसाई ने अपने संबोधन में तेलंगाना की प्रगति की कम और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसका अधिक की है। मोदी की प्रशंसा ही केसीआर के साथ बढ़ती खाई का प्रमाण है।
राज्यपाल का भाषण
यह चर्चा जोरों पर है कि गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल द्वारा पढ़े गए भाषण की प्रति को कैबिनेट ने मंजूरी नहीं दी है। बल्कि खुद राज्यपाल ने तैयार की और पढ़ी हैं। 73वां गणतंत्र दिवस समारोह बुधवार को राजभवन में आयोजित किया गया। इस समारोह में केसीआर शामिल नहीं हुए। कम से कम उनकी ओर से मंत्री भी शामिल नहीं हुए। प्रोटोकॉल के अनुसार हैदराबाद के मुख्यमंत्री, जिलों में मंत्री, गणतंत्र दिवस के दिन राज्यपाल और जिलों में कलेक्टर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं।
केसीआर का राजभवन में नहीं आना
राज्यपाल राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर भी मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों का शामिल होना आम बात है। लेकिन इस बार सीएम केसीआर कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। प्रगति भवन में और राजभवन के बीच दूरी भी बहुत कम है। फिर भी केसीआर का राजभवन में नहीं आना चर्चा का विषय बन गया। इसी क्रम में केसीआर ने प्रगति भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसके बाद परेड ग्राउंड स्थित अमर जवान स्मारक स्तूप पर मशाल जलाकर श्रद्धांजलि दी गई।
संविधान का उल्लंघन
ओमिक्रॉन वेरिएंट के विस्तार के कारण सीमित संख्या में लोगों के साथ गणतंत्र समारोह आयोजित करने का फैसला पहले ही लिया गया था। समारोह में मुख्य सचिव, डीजीपी जैसी हस्तियां मौजूद रहे हैं। मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए। विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री केसीआर ओर से कम से कम एक-दो मंत्रियों को भेजा जाता तो भी सम्मानजनक होता। आरोप लगाया जा रहा है कि सीएम या मंत्री नहीं जाना गणतंत्र दिवस का अपमान का किया है। विधायक ईटेला राजेंदर ने इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया है। कई लोगों ने टिप्पणी की कि यदि राज्यपाल के साथ मतभेद है तो अलग बात है। कम से कम समारोह में उपस्थित होकर पद को महत्व दिया जाना चाहिए था।
मतभेद के कारण
सरकार की आलोचना की जा रही है कि गणतंत्र दिवस समारोह को केसीआर के न जाने के इरादे से ही राजभवन तक सीमित किया गया है। पिछले साल भी डेल्टा वैरिएंट बूम देखा गया था। फिर भी पब्लिक गार्डन में गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किया गया था। इस समय सीएम केसीआर भी शामिल हुए थे। इस बात को लेकर राजनीति गलयारी में चर्चा है क्या तब केसीआर को कोरोना का डर नहीं था? उस समय हाजिर होने वाले मुख्यमंत्री इस बार क्यों नहीं उपस्थित हुए? आरोप है कि केंद्र में भाजपा के साथ हालिया मतभेदों के कारण ही राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन के साथ सीएम केसीआर ऐसा व्यवहार कर रहे हैं।
जानबूझकर दूरी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड को लेकर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की। इस कांफ्रेसिंग में भी केसीआर हाजिर नहीं हुए। अब गणतंत्र दिवस पर नदारद रहे हैं। चर्चा है कि केसीआर जानबूझकर भाजपा नेताओं और बीजेपी की ओर से नियुक्त राज्यपाल से दूर रह रहे हैं। परेड ग्राउंड या पब्लिक गार्डन में होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह को इस बार राजभवन तक सीमित रखना भी चर्चा का विषय बन गया है। आमतौर पर राज्य की प्रगति पर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को राज्यपाल को पढ़ना होता है।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा
मगर इस बार वैसा नहीं हुआ। राज्यपाल ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी की दो बार प्रशंसा की। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता के कारण देश विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। मोदी के निरंतर प्रयासों के कारण दुनिया में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में भारत उबर रहा है। सोचने की बात यह है तेलंगाना के मंत्री जहां प्रदेश को मदद नहीं करने के लिए केंद्र सरकार की लगातार आलोचना कर रहे हैं, वहीं राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार ने तेलंगाना को 8 मेडिकल कॉलेज दिए है। केंद्र सरकार तेलंगाना के चिकित्सा क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद कर रहा है।
शिकायत पेटियां
पिछले दिनों में राज्यपाल ने आयुष्मान भारत पर कमेंट किया था। उन्होंने कहा कि उनके दबाव के कारण तेलंगाना सरकार ने आयुष्मान भारत योजना को शामिल किया है। हाल ही में राज्यपाल ने राजभवन में दो शिकायत पेटियां लगाई है। कहा जा रहा है कि केसीआर सरकार को शिकायत पेटियां भी पसंद नहीं है। कुल मिलाकर विश्लेषकों का कहना हैं कि सीएमओ और राजभवन के बीच खाई बढ़ती ही जा रही है।