हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र पर आंध्र प्रदेश राज्य के समाज कल्याण गुरुकुल विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के लिए आयोजित 463वाँ नवीकरण पाठ्यक्रम दिनांक 18 से 29 सितंबर तक चला। इस पाठ्यक्रम में कुल 47 (27 महिला व 20 पुरुष) प्रतिभागियों ने नियमित कक्षा में उपस्थित रहकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह पाठ्यक्रम क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के नेतृत्व में आयोजित किया गया। दिनांक 19 सितंबर से विधिवत कक्षाएँ प्रारंभ हुईं।
इस दौरान क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने भाषाविज्ञान तथा उसके विविध पक्ष, भाषा परिमार्जन, डॉ. साईनाथ चपले ने हिंदी साहित्य का इतिहास, डॉ. सी. कामेश्विरी ने हिंदी व्यादकरण तथा उसके विविध पक्ष, प्रयोजनमूलक हिंदी शिक्षण में प्रौद्योप्रौद्योगिकी का प्रयोग, डॉ. अनीता गांगुली ने संधि, समास, स़जनात्मोक लेखन, डॉ. राजीव कुमार सिंह ने भाषा कौशल शिक्षण, पाठयोजना (गद्य/पद्य) शिक्षा मनोविज्ञान, डॉ. संध्याद दास ने पाठ्यपुस्तयक चर्चा, पाठ्यपुस्तमक विश्लेषण, साहित्यम शिक्षण, हिंदी में रोजगार की संभावनाएँ विषय पर कार्य तथा डॉ. आई. एन. चंद्रशेखर रेड्डी ने ‘हिंदी और तेलुगु में शब्द और ध्वनि की व्ययतिरेकता : प्रयोग और दोष निवारण की प्रक्रिया’ एवं डॉ. के. संगीता ने ‘हिंदी कथा साहित्य संप्रेषण’ विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। इस दौरान प्रतिभागियों ने हस्तलिखित पत्रिका ‘गुरुकुल वाणी’ तैयार की। प्रशिक्षण के बाद पर-परीक्षण लिया गया। पर-परीक्षण में प्रथम स्थान अप्पिकट्ला राजेश, द्वितीय स्थान तिरूवनिशेट्टि शेषु बाबु तथा तृतीय स्थान के. सूर्य प्रकाश राव ने प्राप्त किया।
29 सितंबर को नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह संपन्न हुआ। समापन समारोह के अध्यक्ष के रूप में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित थे। मुख्य अतिथि के रूप में हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद के सम कुलपति प्रो. आर. एस. सर्राजु उपस्थित थे। इस अवसर पर अतिथि अध्यापक डॉ. राजीव कुमार सिंह, डॉ. सी. कामेश्वरी, डॉ. संध्या दास, डॉ. एस. राधा तथा केंद्र के सभी सदस्य एवं हिंदी अध्यापक प्रतिभागी उपस्थित थे।
गणेश स्तुति एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके पश्चात हिंदी अध्यापिका पल्लवि, सत्यवति और उनके समूह द्वारा गणेश स्तुति प्रस्तुत की और संस्थान गीत का गायन राजेश और उनके समूह के द्वारा किया गया। समापन समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत कोटा सूर्य प्रकाश राव और उनके समूह ने स्वागत गीत गाकर किया। आंध्र प्रदेश राज्य के समाज कल्याण गुरुकुल विद्यालय के हिंदी अध्यापकों ने मंच पर उपस्थित सभी विद्वतजनों का शॉल और पौधा देकर स्वागत एवं सम्मान किया।
आंध्र प्रदेश के समाज कल्याण गुरुकुल पाठशाला के हिंदी अध्यापक त्रिविक्रम राव, चंद्र शेखर राव एवं लक्ष्मी प्रसन्ना, अब्दुल खादर एवं अन्य प्रतिभागियों ने मिलकर हिंदी देशभक्ति गीत एवं स्वरचित कविता तथा पाठ्यक्रम के दौरान किए गए अध्ययन के संबंध में विस्तार से अपने मंतव्य व्यक्त किए। इस दौरान ‘जिस देश में गंगा बहती है’ मधुर गीत गाकर सभी का मन प्रसन्न कर दिया।
इस दौरान प्रतिभागियों द्वारा रचित “गुरुकुल वाणी’’ नामक हस्तलिखित पत्रिका का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। पर-परीक्षण प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया एवं प्रमाण-पत्र दिए गए।
मुख्य अतिथि के रूप में हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद के सम कुलपति प्रो. आर. एस. सर्राजु ने कहा कि किसी भी भाषा को सीखना हो तो उस भाषा के प्रति लगन होनी चाहिए। उन्होंने अपने जीवन के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा कि मैं आंध्र प्रदेश के छोटे से गाँव से आया हूँ। तीन महीने तक मैं बनारस में रहा ताकि मेरे कानों में मात्र हिंदी भाषा सुनाई दे।
इस प्रकार मैंने कई हिंदी प्रांतों में रहकर हिंदी भाषा सीखी। आप भी हिंदी सुनते, बोलते एवं लिखते रहिए ताकि आपकी भाषा में सुधार हो। केंद्रीय हिंदी संस्थान के संस्थापक पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण ने हिंदी के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। हमें भी हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपना पूरा-पूरा सहयोग देना चाहिए क कहकर सबको आशीर्वचन दिया।
क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने अपने वक्तव्य में प्रतिभागी अध्यापकों को नवीकरण पाठ्यक्रम में जो ज्ञानार्जन किया है उसे अपने अध्यापन में अपनाने को कहा और प्रतिदिन एक घंटा सरकारी दूरदर्शन के समाचार को सुनने को कहा। इसके साथ-साथ उन्होंने संस्थान की जानकारी एवं कार्यों का भी परिचय दिया।
समापन सत्र के अध्यक्ष निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने कहा कि आपने इस नवीकरण पाठ्यक्रम में जो कुछ सीखा या पाया है उसे दुगनी गति से अपने छात्रों को देंगे, यह मेरा विश्वास है। अध्यापक जब तक सीखे हुए ज्ञान का कक्षा में क्रियान्वयन नहीं करेगा तब तक वह अध्यापक नहीं होगा। इसलिए उन्होंने अध्यापन में क्रियान्वयन होने की बात पर बल दिया।
उन्होंने आगे कहा कि किसी व्यक्ति के निर्माण में सबसे ज्यादा अध्यापक का स्थान महत्वपूर्ण होता है। इसलिए शिक्षक को हमेशा अद्यतन रहना चाहिए जिससे वह अपने अध्यापन कार्य में सफल हो। अध्यापकों के पास कलाओं का समुच्चय ज्ञान होना चाहिए और ज्ञान का प्रयोग अपने अध्यापन कार्य में करना चाहिए। अंत में उन्होंने सभी प्रतिभागियों को आशीर्वचन देकर उनके भविष्य की कामना की।
समापन समारोह में आशीर्वचन और शुभकामनाएँ देते हुए सर्वप्रथम डॉ. राजीव कुमार सिंह ने कहा कि आप सबसे हमें एकमात्र आशा है कि जो कुछ यहाँ से प्रशिक्षण के दौरान सिखने को मिला है उसका प्रसार आप जब तक नहीं करेंगे तब तक आपका यहाँ आना सार्थक सिद्ध नहीं होगा। मानवीय मूल्य बताते हैं, साहित्य मानवता का उद्घाटक है। आप अपने छात्रों को मानवीय मूल्य पढ़ाएँ।
कार्यक्रम के अंत में आंध्र प्रदेश राज्य के समाज कल्याण गुरुकुल विद्यालय के हिंदी अध्यापक तिरूवनिशेट्टि शेषु बाबु ने उपस्थित सभी महानुभावों तथा प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन व्यक्त किया। समापन समारोह का सफल संचालन हिंदी अध्यापिका श्री अब्दुल खादर एवं सूर्य प्रकाश राव ने किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।