कनाडा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने विदेशी कामगारों से जुड़ा कानून बदला, भारतीयों पर होगा इसका असर

हैदराबाद: कनाडा सरकार ने विदेशी कामगारों के लिए नियमों में बदलाव का ऐलान किया है। कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार देश की उदार आप्रवासन नीति में लगातार बदलाव कर रही है, जिसका मकसद विदेशियों की संख्या में हुई भारी वृद्धि को नियंत्रित करना है। नए नियमों में छह प्रतिशत या उससे अधिक की बेरोजगारी दर वाले शहरों में कम वेतन वाली नौकरियों के लिए अस्थायी विदेशी कर्मचारी परमिट पर प्रतिबंध को फिर से लागू करना शामिल है।

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि हम कनाडा में कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या कम कर रहे हैं। इसकी वजह ये है कि श्रम बाजार बदल गया है। उन्होंने कहा कि अब हमारे व्यवसायों के लिए कनाडाई श्रमिकों और युवाओं को ज्यादा मौका देने का समय आ गया है। कनाडा में बीते कुछ वर्षों में विदेशियों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। कनाडा में बढ़ती आबादी के साथ बेरोजगारी में भी वृद्धि हुई है। देश में तेजी से रोजगार और आवासीय संकट बढ़ रहा है। देश के इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर ने हाल ही में इस ओर इशारा करते हुए कहा है कि प्रवासन नियम कनाडाई लोगों के लिहाज से होने चाहिए क्योंकि नौकरियां लगातार कम हो रही हैं। इसके लिए हम सभी जरूरी कदम उठाएंगे।

घोषित नए नियमों में कम वेतन वाली नौकरियों के लिए परमिट दो साल से घटाकर केवल एक साल के लिए जारी किए जाएंगे। कृषि, स्वास्थ्य देखभाल और निर्माण क्षेत्रों को छूट रहेगी। इससे किसी एक नियोक्ता द्वारा काम पर रखे जा सकने वाले अस्थायी विदेशी श्रमिकों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत पर आ जाएगी। नए अस्थायी विदेशी कर्मचारी नियम 26 सितंबर से प्रभावी होंगे। कनाडा में विदेशियों में सबसे बड़ी तादाद भारतीयों की है। ऐसे मे इन नियमों का सबसे ज्यादा असर भी भारतीयों पर हो सकता है।

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कनाडा के पीएम की ओर से यह घोषणा ऐसे वक्त की गई है जब जुलाई में कनाडा में बेरोजगारी दर 30 महीने के उच्चतम स्तर 6.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि कनाडा में बेरोजगारी दर लगातार ऊपर की ओर जा रही है। सांख्यिकी एजेंसी ने युवाओं और अधिक उम्र के पुरुषों के बीच बढ़ती बेरोजगारी सहित संकेतों का हवाला देते हुए कहा कि नौकरियां ढूंढना कठिन होता जा रहा है। जून महीने में युवाओं की बेरोजगारी दर 0.9 प्रतिशत अंक बढ़कर 13.5 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर 2014 के बाद से सबसे अधिक थी। (एजेंसियां)

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