पुस्तक समीक्षा: ‘जीवन संग्राम-क्रांतिवीर पं. गंगाराम वानप्रस्थी’

‘जीवन संग्राम-क्रांतिवीर पं. गंगाराम वानप्रस्थी’ ग्रंथ-रत्न आर्य समाज के प्रमाणिक इतिहासकार बहुश्रुत विद्वान राजेंद्र ‘जिज्ञासु’ की जादुई लिखनी से निसृत आठ अध्यायों में विभक्त 96 शीर्षकों में संगठित एक अपूर्व कृति है। ग्रंथ के प्रारंभ में पंडित गंगाराम वानप्रस्थी के सुयोग्य पुत्र भक्तराम का सारगर्भित प्रकाशकीय व लेखकीय प्राक्कथन प्रतिपादित विषय के प्रति पाठकवर्ग का ध्यान आकर्षित करता है। पं. इंद्र विद्यावाचस्पति ने जिस प्रकार ‘मेरे पिता’ नाम से जीवन-चरित्र लिखकर स्वामी श्रद्धानंद के नाम को अमर कर दिया था, वैसे ही भक्त राम ने ‘जीवन संग्राम-क्रांतिवीर पं. गंगाराम वानप्रस्थी’ नामक इस कृति द्वारा अपने पिता गंगाराम वानप्रस्थी को उजागर कर दिया है।

इस ग्रंथ में पं. गंगाराम वानप्रस्थी के जीवन के सर्वांगीण पक्षों को एक-एक करके प्रस्तुत किया गया है और साथ ही तत्कालीन संघर्षरत आर्यवीरों के शौर्य, त्याग और बलिदानों को भी अंकित किया गया है। वस्तुतः इस प्रस्तुति से वर्तमान और भावी पीढ़ी का सन्मार्ग दर्शन हो सकता है। प्रस्तुत जीवन संग्राम ग्रंथ एक प्रकार से तत्कालीन शासक की निरंकुश शासन प्रणाली का जीता-जागता चित्र प्रस्तुत करता है। उन दिनों सत्याग्रह के लिए युवकों को संगठित करना, उन्हें गुप्त रूप से सुविधा पूर्वक यथा-स्थान पर पहुंचना, वस्तुतः एक जोखिम भरा दायित्व पूर्ण काम था। इस कार्य का पं. गंगाराम जी ने बड़ी योग्यता और कुशलता पूर्वक निर्वाह कर अपने कर्तव्य का पालन किया। उनकी इस कार्य दक्षता के कारण सत्याग्रह को बड़ा बल मिला।

वस्तुतः पं. गंगाराम जी के रग-रग में आर्यसमाज बसा हुआ था। इस तथ्य को प्रस्तुत पुस्तक में दर्शाया गया है। समाज सुधार के प्रति उनकी निष्ठा पग-पग पर लक्षित होती है। वेद-प्रचार और दलितोद्धार मानो उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य था। कदम-कदम पर यातनाएं झेलते हुए भी वे इस पथ पर अविचलित चलते रहे। उन्होंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी। वसुतः उनका संघर्षमय में जीवन पीढ़ी-दर-पीढ़ी के लिए एक प्रकाश-स्तंभ है। ऐसे सशक्त चरित्र-नायक का ‘जीवन संग्राम-क्रांतिवीर पं. गंगाराम वानप्रस्थी’ ग्रंथ जीता-जागता उदाहरण है। इस ग्रंथ के लेखक, प्रकाशक और पं. गंगाराम जी अनुकर्ता श्ल़ाघनीय है, जो इस कृति द्वारा वे उनके अनुपम कार्यों को उजागर कर रहे हैं।

प्रकाशक
पं. गंगारा स्मारक मंच,
सुख विहार, 2-2-647/ए/51, साईं बाबा नगर, शिव रोड, बागअंबरपेट,
हैदराबाद-500013, मो. 9849095150
विक्रेता
मिलिन्द प्रकाशन,
4-3-178/2, कंदास्वामी लेन, सुलतान बाजार,
हैदराबाद-500059, 9391052988
मूल्य-200 रुपये

समीक्षक- डॉ विजयवीर विद्यालंकार

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