हैदराबाद : किसी भी महिला के जीवन में एक बार ‘मां’ कहलाने/बनने की इच्छा होती है। ऐसी ही इच्छा एक महिला के पति की मौत के 11 महीने के बाद पूरा हुआ है। यह सब आधुनिक चिकित्सा पद्धति के चलते हो पाया है। यह मामला तेलंगाना के वरंगल जिले में प्रकाश में आया है।
मिली जानकारी के अनुसार, साल 2013 में मंचेरियाल जिला निवासी एक दंपत्ति की शादी हुई थी। मगर सात साल तक इस दंपत्ति संतान नहीं हुई। इसके चलते दंपत्ति ने साल 2020 से वरंगल के ओएसिस आईवीपी सेंटर से संपर्क किया। तब से वहां पर इनका इलाज चल रहा है। उसी साल मार्च में डॉक्टरों ने दंपत्ति के अंड और वीर्य को परीक्षण के लिए एकत्र किये और संग्रहीत किये।
हालांकि, महिला के पति की 2021 में कोरोना से मौत हो गई। महिला (32) की पति के जरिए संतान पैदा करने की इच्छा पूरी नहीं हुई। पति की हो जाने से वह बहुत दुखी हो गई। दूसरी शादी किये बिना ससुराल में ही रहने लगी।
महिला ने ससुराल वालों को बताया कि अस्पताल में संग्रहीत वीर्य और अंड के जरिए वह बच्चे की मां बनना चाहती है। यह सुनकर सास-ससुर तो पहले आश्यर्च चकित हो गये। मगर बाद में मान गये। इसके साथ ही महिला ने डॉक्टरों से संपर्क किया और सलाह ली। इससे पहले कि किसी प्रकार की कानूनी अड़चने और दावपेट न आये इसके लिए उसने तेलंगाना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट ने भी इसके लिए स्वीकृति दे दी। इसके चलते डॉक्टरों ने दंपत्ति से संग्रहीत किये वीर्य और अंड के जरिए अगस्त 2021 में आईवीएफ उपचार शुरू किया। उपचार सफल हुआ और इस साल 22 मार्च को महिला ने खुबसूरत एक बाल शिशु को जन्म दिया। यह बात अस्पताल के क्लिनिकल हेड डॉक्टर जगलम काव्या राव ने मीडिया को दी है