हैदराबाद: स्थानीय आर्य समाज मंदिर, महर्षि दयानंद मार्ग, सुल्तान बाजार में जारी श्रावणी वेद प्रचार सप्ताह और सत्संग समापन कार्यक्रम गुरुवार को होगा। मंदिर के आयोजकों ने इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोगों को भाग लेने का आह्वान किया है।
आयोजकों आगे ने बताया कि आर्य समाज मंदिर में श्रावणी वेद प्रचार सप्ताह और सत्संग के अंतर्गत यजुर्वेद पारायण यज्ञ समापन की ओर अग्रसर है। सुश्री माता निर्मला ‘योग भारती जी’ के ब्रह्मत्व तथा ऋत्विज श्रीमती मैत्रीयी शास्त्री जी और श्रीमद् दयानन्द वेद विद्यालय गुरुकुल, दयानन्द नगर, मलकपेट के पवित्र ब्रह्मचारिओं द्वारा मंत्रों के उच्चारण और उसके अर्थों को समझाते हुए प्रातः काल और सायं काल यज्ञ/हवन आयोजित किये गये। सभी यजमानों ने पूरी निष्ठा पूर्वक यज्ञ मे भाग लिया और गौ के शुद्ध घृत तथा सुगन्धित सामग्री से आहुतियों यज्ञ को समर्पित किया। इस कार्यक्रम में बिजनौर, उत्तर प्रदेश से विषेश रूप से पधारे युवा वैदिक भजनोपदेशक श्री कुलदीप विद्यार्थी जी और उनके सहयोगी साथी श्री विनीत गिरी जी ने मिलकर बहुत ही सरल और सुंदर शब्दों में भजन तथा उपदेश ईश्वर की महत्ता पर श्रोताओं को सुनाकर मंत्रमुग्ध किया।
उन्होंने कहा कि ईश्वर, सच्चिदानंद-स्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करने योग्य है। जो स्वयं को भगवान कहते हैं वो 200 किलो का भार भी बड़ी मुश्किल से उठा पाते हैं, जब कि पृथ्वी का भार तो जो करोड़ों करोड़ों लाख टन को कैसे उठा सकते? भजनों में, इंसानों की खुशबू रहती है, इंसान बदलते रहते हैं। दरबार लगा ही रहता है, दरबान बदलते रहते हैं। तूफानों से क्या डरना, तूफान बदलते रहते हैं। यह मेला है बस 2 दिन का कुछ ले चलिए कुछ दे चलिए। परमपिता परमात्मा न्यायकारी है। उससे कभी अन्याय नहीं होता क्योंकि न तो उसे धन चहिए, न उसको बल की कमी है, न ज्ञान की कमी, न तो संबंधों की कमी, वो किसी पर निर्भर नहीं है। इसीलिए वह न्यायकारी ही है। हमारे अच्छे और बुरे कर्मों के आधर पर उचित दण्ड अवश्य देता है और किसी को भी माफ़ नहीं करता।
आर्य जगत के विश्व प्रसिद्ध वेदों के विद्वान आचार्य डॉक्टर सोमदेव शास्त्रीजी, प्रधान, आर्य समाज, सांताक्रुज, मुंबई से विषेश रूप से इस श्रावणी वेद प्रचार सप्ताह पर वेदों के उपदेश/प्रवचन देने के लिए पधारें है। बहुत ही सरल और सुन्दर भाषा में वेदों पर आधारित और महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित ग्रंथों तथा ऋषियों, मुनियों द्वारा प्रेरित पुस्तकों/ग्रंथों से महत्वपूर्ण और अमूल्य प्रवचन/उपदेश दिया, जिसे पूरे ध्यान और श्रद्धा से सभी श्रोताओं ने सुना। उन्होंने उपासना पर कहा कि मन को अंतःकरण से पवित्र करना है, ईर्ष्या, द्वेष, आदि विकारों से हटना/दूर करना है।
पतंजलि ऋषि ने बताया कि मार्ग, यम और नियम का पालन करना है। स्वामी दयानंद जी ने संध्या, जिसे ब्रह्म यज्ञ भी कहते हैं, में मार्जन मंत्रा:, अघमर्षण मंत्रा:, प्राणायाम मंत्रा:, इंद्रियस्पर्श मंत्रा:, उपस्थान मंत्रा:, इन सब को सम्मिलित कर हमें बताया गया कि हम जो भी अच्छा या बुरा करें उसका फल तो परमात्मा देता ही है, लेकिन हम पाप करने की प्रवृत्ति से दूर होते जाते हैं और सदाचार, विद्या आदि नियम का पालन करते हैं। पाप का फल अवश्य मिलता है इसलिए हम ईश्वर से पाप कर्मो से बचने बचाने की प्रार्थना करते हैं।
परमात्मा ने अपने शरीर की रचना कितनी सुंदर और विस्तृत बनाई है, हम कितना भी प्रशंसा करें,परमात्मा की कम है। आचार्य जी ने महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के एक संदर्भ में बताया कि जब उदयपुर के महाराणा सज्जन सिंह ने स्वामी जी से आग्रह किया कि, आज से आप मूर्ति पूजा पर खंडन करना छोड़ दीजिए। मैं आपको यह पूरा उदयपुर भेंट करूंगा, तो स्वामी जी का उत्तर था कि इसे तो मैं एक दौड़ लगाकर पार कर सकता हूं, लेकिन जो परमात्मा की उपासना करने वाला है, वह तो इस ब्रह्मांड सृष्टि का हो जाता है। महाराजा ने कहा कि इतना अच्छा ऑफर आपको कहीं नहीं मिल सकता, तो स्वामी जी का उत्तर था कि ऐसा ठुकराने वाला और प्रलोभन से दूर रहने वाला भी आपको कभी नहीं मिलेगा। वेद में कोई परिवर्तन नहीं है, यह संपूर्ण ज्ञान है, सृष्टि की रचना के समय से जो था वही है और वही रहेगा।
कु संगीता जी ने पुष्प माला और शॉल ओढ़ाकर आचार्य जी, भजनोपदेशक और उनके साथी को सम्मानित किया। आचार्य धनंजय जी (श्रीमद् दयानन्द वेद विद्यालय गुरुकुल) के उपस्थिति में समाज मंदिर में पवित्र ब्रह्मचारियों को पढ़ने/लिखने की सामग्री भेट दी गई। सभी आर्य महानुभावों और धर्म प्रेमी सज्जनों से निवेदन है कि गुरुवार को पूर्णाहुति रहेगी।
आयोजकों ने कहा कि सुबह और शाम के यज्ञ/हवन, संध्या, भजन और उपदेशों के कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर इस सप्ताह का लाभ उठाएं। हमारे बीच इस समय मुम्बई से आर्य जगत के वेदों के विद्वान और बिजनौर से प्रसिद्ध भजनीक उपस्थित हैं तो उनके उपदेशों/प्रवचनों और भजनों का लाभ उठाकर हम पुण्य के भागी बन सकते हैं। सभी से प्रार्थना है कि प्रातः काल और सायं काल के समारोह के पश्चात प्रसाद भी ग्रहण करने की कृपा करें।