भारत में मौर्य काल से लेकर मुगल शासक तक होली त्योहार, जानें मजेदार किस्से

तेलंगाना के साथ-साथ आज देशभर में होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। हालांकि यह त्योहार समय-समय के साथ बदलता जा रहा है। प्राचीन काल से लेकर मुगल साम्राज्य तक अलग-अलग शासकों ने इस होली त्योहार को अपने-अपने ढंग से मनाया। मौर्य साम्राज्य से लेकर मुगलों के समय तक होली अलग-अलग ढंग से मनाने की प्रथा थी।

चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक और मुगल बादशाहों के समय में भी होली के त्योहार को उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है। अब सवाल उठता है कि क्या पुराने जमाने में भी होली ऐसी ही मनाई जाती थी जैसी इस समय मनाई जा रही है? आइए जानते हैं-

मुगल काल में होली

भारत में होली का त्योहार सदियों से मनाया जाता रहा है। मुगल काल में भी होली बड़े धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती थी। कई मुगल बादशाहों ने इस हिंदू त्योहार को अपना लिया और इसे अपनी संस्कृति का हिस्सा बनाया। मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर होली को ‘ईद-ए-गुलाबी’ या ‘रंगों की ईद’ कहते थे। उनके समय में होली पर संगीत, नृत्य और रंगों का इस्तेमाल होता था।

अकबर के समय होली

इसी क्रम में बादशाह अकबर के शासनकाल में होली और भी धूमधाम से मनाई जाती थी। अकबर खुद होली खेलते थे। वे अपनी पत्नी जोधा बाई के साथ इस त्योहार का आनंद लेते थे। उनके दरबार में होली का उत्सव मनाया जाता था और सभी धर्मों के लोग इस होली में हिस्सा लेते थे।

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जहांगीर के काल में होली

वहीं जहांगीर के समय में भी होली उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता था। उनकी पत्नी नूरजहां भी होली में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। उनके दरबार में रंगों के साथ-साथ फूलों की होली भी खेली जाती थी।

शाहजहां के दौर में होली

इसके अलावा शाहजहां के दौर में भी होली खेली जाती थी। इस उत्सव को ‘आब-ए-पाशी’ कहा जाता था। इसका मतलब है पानी की बौछार। दरबार में रंगों और पानी के साथ-साथ संगीत और नृत्य का भी आयोजन होता था। शाहजहां भी इस उत्सव में शामिल होते थे और खूब होली खेलते थे।

औरंगजेब के जमाने में होली

इसके बाद जब औरंगजेब बादशाह बना तो उसने होली पर कुछ पाबंदियां लगाईं। फिर भी आम लोग होली उत्सव को धूमधाम से मनाते थे। औरगंजेब के शासन के दौरान मुगस दरबार में होली का आयोजन कम होता था। लेकिन लोग होली त्योहार में हिस्सा लेते थे।

मौर्यकाल में होली

मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल में कला और संस्कृति को काफी बढ़ावा मिला था। उस समय होली के त्योहार को पूरा देश में धूमधाम से मनाया जाता था। लोग रंगों और उत्सव का आयोजन करते थे।

सम्राट अशोक काल में होली

वहीं सम्राट अशोक के शासन काल में भी होली का उत्सव मनाया जाता था। हालांकि अशोक ने बौद्ध धर्म को स्वीकार किया था। फिर भी उनके कई दरबारी और मंत्री हिंदू थे। इसके अलावा उनके राज्य में भी हिंदू मान्यताओं को मानने वाले लोगों की आबादी ज्यादा थी। इसके चलते होली उत्सव भव्य रूप से मनाया जाता था। (एजेंसियां)

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