तेलंगाना सरकार द्वारा बनाई गई कालेश्वरम परियोजना मंचेरियाल जिले के किसानों की आंखों में आंसू ला रही है। कालेश्वरम परियोजना समुदाय में गोदावरी नदी पर बने मेडिगड्डा, अन्नाराम और सुंदिल्ला बैराज के बैकवॉटर के कारण हजारों एकड़ फसल पानी में डूब गई है और किसानों को काफी नुकसान हो गया है।
किसानों की शिकायत है कि कालेश्वरम परियोजना के निर्माण के बाद से यही स्थिति बनी हुई है। किसान परेशान हैं। क्योंकि वे समझ नहीं पा रहे है कि कालेश्वरम परियोजना के निर्माण से खुश मनाये या दुख को सहता रहे। किसानों ने सोचा था कि कालेश्वरम परियोजना के पानी से खेत लहलहाएंगे और उनकी समस्याएं हल हो जाएंगी। मगर इस परियोजाने के कारण उनके आंखों से आंसू ही छलक रहे हैं।
बरसात के मौसम में गोदावरी नदी का उफनता हुआ पानी पास के खेतों में पहुँच जाता है और हाथ आई फसल पानी में डूब जाती है। करीब चार साल से यही स्थिति बनी हुई है। लेकिन अधिकारी और नेता इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यह आम राय है कि जैसे ही खेतों में पानी आ जाता है और फसल बर्बाद हो जाती है, तो अधिकारी नुकसान का आकलन करने आते हैं और चले जाते हैं। इसके अलावा किसानों का कुछ भी भला नहीं हो रहा है।
परियोजना का बैकवॉटर नदी के दोनों किनारों पर दो से तीन किलोमीटर तक बहकर फसलों को डुबो रहा है। साल में दो-तीन बार हाथ आई फसल पानी में डूब जाने से किसान चिंतित हैं। मुख्य रूप से गोदावरी जलग्रहण क्षेत्रों- जैसे जन्नाराम, दंडेपल्ली, लक्षेट्टीपेट, हाजीपुर, मंचेरियाल, नस्पुर, जयपुर, चेन्नूर और कोटपल्ली मंडलों में नदी के किनारे की फसलें अक्सर पानी में डूब जाते हैं। वही स्थिति प्राणहिता जलग्रहण क्षेत्र वेमनपल्ली और कोटपल्ली मंडलों में भी बनी रहती है।
बैकवॉटर के कारण हजारों एकड़ कपास, धान, मिर्च और अन्य फसलें जलमग्न हो रही हैं। जब भी फसलें पानी में डूबती हैं तो अधिकारी सर्वेक्षण करते हैं, फसल क्षति का आकलन करते हैं और सरकार को रिपोर्ट भेजते हैं। 2019 से यही चल रहा है, लेकिन सरकार की ओर से किसानों को नुकसान भरपाई देने का अब तक कोई रिकॉर्ड नहीं है।
पिछले साल भी भारी बारिश के कारण बैकवॉटर से फसलें डूब गईं थीं। तत्कालीन वन मंत्री अल्लोला इंद्रकरण रेड्डी ने जिले का दौरा किया था। चेन्नुरु में एक समीक्षा आयोजित की और जलमग्न फसलों पर अधिकारियों और किसानों के साथ विचार विमर्श किया। आवश्यक कदम उठाने और उचित मदद करने का आश्वासन देकर चले गये, लेकिन दो साल बीत गये। अब तक ना ही कोई मदद मिली और ना ही कोई स्थायी समाधान निकाला गया।
कालेश्वरम परियोजना समुदाय के पूरा होने के बाद से जिले में बैकवॉटर के कारण बड़ी मात्रा में फसल बर्बाद हो गई है। 2019 में अन्नाराम और मेडिगड्डा परियोजनाओं के बैकवॉटर के कारण कोटापल्ली मंडल में 1484 किसानों की लगभग 1670 एकड़ खेती पूरी तरह से जलमग्न हो गई थी। 2020 में 1644 किसानों की 4580 एकड़ और 2021 में 601 लोगों की 1063 एकड़ खेती बर्बाद हो गई थी। चेन्नूर मंडल में 2019 में 839 किसानों की 1183 एकड़ खेती, 2020 में 81 किसानों की लगभग 100 एकड़ खेती और 20201 में 1081 किसानों की 2100 एकड़ खेती सिंचित की गई थी, । 2021 में सुंदिल्ला परियोजना के बैकवॉटर के कारण जयपुर मंडल के 258 किसानों की लगभग 500 एकड़ फसल जलमग्न हो गई थी।
पिछले साल भी भारी बारिश के कारण नदियाँ उफान पर थी और परियोजनाओं के बैकवॉटर के कारण खेतों में पानी भर गया था। फिलहाल किसानों को चिंता है कि इस बार भी बैकवॉटर के कारण खेतों मे पानी भर जाएगा। क्योंकि बारिश का दौर शुरू हो गया है। यह देखकर स्थानीय किसान स्थानीय नेता और अधिकारी से इस संकट का स्थायी समाधान निकालने का आग्रह कर रहे हैं।