जी हां, तेलंगाना में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव मात्र अपनी पक्की रणनीतिक तहत कदम आगे बढ़ा रहे हैं कि इस बार हर हाल में हैट्रिक जीत दर्ज करनी है। इसीलिए चाहे कितनी भी मुश्किल आये। सर्वे में नेगेटिव आए विधायकों के प्रति बिल्कुल भी पॉजिटिव नहीं हो रहे हैं। खबरें आ रही है कि केसीआर इस विषय पर फिक्स हो गये है। क्योंकि अनेक नेताओं के टिकटों की सूची पहले ही तैयार कर चुके है। केवल घोषणा की औपचारिकता बाकी है। कुछ नेताओं को इसकी भनक लग गई है। जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला या नहीं दिया जा रहा है, वे बीआरएस छोड़कर अन्य पार्टी में शामिल होने का मन बनाया है।
इस तरह आए दिन सत्ता पक्ष में असंतोष के स्वर सामने आ रहे हैं। इस बात का पता नहीं चल पाया कि उन्हें पहले से ही इस बात का पता था कि टिकट नहीं मिलेगा या उनका दूसरी पार्टी में जाना तय है। मगर बीआरएस में कुछ दिनों से नेता खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी और जुपल्ली कृष्णा राव दोनों पहले ही बीआरएस से बाहर निकल चुके हैं। पिछले दिनों से बड़ी खबर आ रही है कि एमएलसी कुचुकुल्ला दामोदर रेड्डी, पटनम महेंद्र रेड्डी, कोडंगल विधायक पटनम नरेंद्र रेड्डी भी इसी राह पर चलने वाले हैं।
तेलंगाना में एक तरफ ‘पावर पॉलिटिक्स’ है, तो दूसरी तरफ मंत्री केटीआर के बेटे हिमांशु राव के सियासी मुद्दे पर गंभीर बहस जारी है। इसी बीच अचानक वेमुलवाड़ा विधायक चेन्नमनेनी रमेश बाबू ने एक सार्वजनिक सभा में अपना अंसतोष व्यक्त किया है। साथ ही 24 घंटे करंट मुद्दे पर टीपीसीसी अध्यक्ष रेवंत रेड्डी की टिप्पणी ने बीआरएस में आग लगा दी है। बीआरएस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने रेवंत रेड्डी के बयान के विरोध में पिछले दिनों राज्य भर में बड़े पैमाने पर धरना और विरोध प्रदर्शन किया और रेवंत रेड्डी के पुतले जलाये।
दूसरी ओर वेमुलावाड़ा में बीआरएस के नेतृत्व में आयोजित धरने में रमेश बाबू ने हड़कंप मचाने वाली टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में टिकट का मामला मेरे हाथ में नहीं है। यह पार्टी नेतृत्व के हाथ में है। फिर भी मेरी अपनी योजना है। कुछ लोग चाह रहे हैं कि मैं पार्टी से हट जाऊं। चोरों पर भरोसा मत करो। मैं सब जानता हूँ। मैं चार बार विधायक के रूप में जीता हूं। मुझे किसी भी पद की अभिलाषा नहीं है। बीआरएस में कुछ लोग इधर-उधर रह रहे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं विधायक हूं या नहीं।
हां यह सच है कि अगर मैं विधायक नहीं रहूंगा तो लोगों की जमीनों पर कब्जा कर लिया जायेगा। साथ ही चेतावनी दी कि अगर लोगों की जमीन पर कब्जा कर लिया जाता है तो मैं आराम से नहीं बैठूंगा। मेरे सामने के वे बच्चे हैं। मेरे चले जाने पर बेहतर लोग राजनीति में आनी चाहिए। लेकिन चोरों को मत आने दो। रमेश ने कार्यकर्ताओं से सामने जब यह बात कही तो लोगों ने चेन्नमनेनी के समर्थन में जमकर नारेबाजी की।
कुल मिलाकर रमेश बाबू की बातों में नाराजगी, गुस्सा और असंतोष स्पष्ट दिखाई देता है। अगर वे बीआरएस पार्टी से इस्तीफा दे दें तो भी किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह सब एक तरफ है, तो उनकी टिप्पणी- ‘मेरा अपना रास्ता हैं। कुछ बीआरएस के नेता इधर-उधर हैं।’ यह बयान सत्तारूढ़ दल में यह गर्म विषय बन गया है। उन्होंने परोक्ष रूप से कहा कि भले ही वे टिकट न दें, भले ही दूसरी पार्टी में जाएं, मुकाबला तो तय है।
इसी बीच यह चर्चा है कि सीएम केसीआर जल्द ही 80 विधायक उम्मीदवारों की सूची जारी करने वाले हैं। साफ है कि जिन नेताओं के नाम उस सूची में नहीं हैं, वे कहीं न कहीं अपनी नाराजगी जाहिर करने वाले हैं और जिन नेताओं को इस बात चला है कि उनका नाम सूची नहीं है तो वे नाराजी व्यक्त कर रहे हैं। चलिए देखते हैं बीआरएस में आगे-आगे क्या-क्या होने वाला है।