हैदराबाद: कादंबिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में क्लब की 361वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन रॉयलटन होटल आबिड्स में प्रोफेसर ऋषभ देव शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इसके अंतर्गत डॉ अहिल्या मिश्र की निबंध संग्रह ‘मील का पत्थर’ एवं ’पुष्पक साहित्यिकी’ के नया अंक का विमोचन तथा बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए डॉ अहिल्या मिश्र (क्लब अध्यक्षा) एवं मीना मुथा (कार्यकारिणी संयोजिका) ने संयुक्त रूप से बताया कि इस अवसर पर प्रो सर्राजु मुख्य अतिथि, श्री अवधेश कुमार सिन्हा एवं गंगाधर वाणोदय विशेष अतिथि के रूप में तथा डॉ अहिल्या मिश्र, डॉ रमा द्विवेदी एवं श्रीमती मीना मुथा मंचासीन हुए। श्रीमती मीना मुथा को हाल ही में तेजराज जैन सेवा पुरस्कार प्राप्त करने की उपलब्धि हेतु क्लब की ओर से सम्मानित किया गया, जिसमें डॉ अहिल्या मिश्र के साथ समस्त मंचासीन सदस्यों का सहयोग रहा।
कार्यक्रम में डॉक्टर अहिल्या मिश्र की पुस्तक ‘मील का पत्थर’ का परिचय देते हुए श्री अवधेश कुमार सिन्हा ने कहा कि इस पुस्तक में जीवन के अनेक घटनाओं एवं अनुभवों का चित्रण किया गया है। निबंधों में पैनापन है। सरल भाषा में आज की आपाधापी व विषम परिस्थितियों का चित्रण किया गया है। इस पुस्तक का लोकार्पण प्रोफेसर ऋषभ देव शर्मा के कर कमलों से हुआ। डॉक्टर आशा मिश्रा ने ‘पुष्पक साहित्यिकी’ का परिचय देते हुआ कि यह त्रैमासिक पत्रिका है और प्रस्तुत अंक कवि श्री नरेश मेहता को समर्पित है। डॉक्टर गंगाधर वाणोदय ने पुष्पक साहित्यिकी का लोकार्पण किया।
दूसरे सत्र में बहुभाषी कवि सम्मेलन में कन्नड़, तेलुगु, पंजाबी, भोजपुरी, उर्दू आदि भाषाओं में रचनाकारों ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन में अजीत गुप्ता, श्री लक्ष्मी, सीताराम माने, तृप्ति मिश्रा, डॉक्टर सुमन लता, पुष्पा वर्मा, विजय बाला स्याल, विनोद गिरी अनोखा, लाडली मोहन धानुका, डॉक्टर सुरभी दत्त, रवि वैद्य, दर्शन सिंह, विजयलक्ष्मी बसवा, डॉ माधुरी मिश्रा आदि ने भाग लिया। इनके अलावा डॉ बसंता, प्रदीप देवीशरण भट्ट, डॉ गीता जांगीड़, रूबी मिश्रा, डॉ मदन देवी पोकरणा, पुलिन अग्रवाल, के राज़न्ना, मानवेंद्र मिश्र, दिलीप कुमार, भूपेंद्र मिश्रा आदि की उपस्थिति रही।
शांति अग्रवाल ने सुंदर दोहे सुनाए। अध्यक्षीय टिप्पणी में प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि डॉ अहिल्या मिश्र ने दक्षिण भारत में हिंदी में सृजनात्मक लेखन का प्रवर्तनकारी कार्य किया है। वस्तुओं का सूक्ष्म अवलोकन, विश्लेषण व प्रस्तुतीकरण रचनाकार की पूँजी होती है। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक हैं। उन्होंने दोनों पुस्तकों के लोकार्पण हेतु क्लब को बधाई दी एवं साथ में अध्यक्षीय काव्य पाठ भी की। कार्यक्रम का संचालन बालाजी और मीना मुथा ने संयुक्त रूप से किया। देवा प्रसाद मायला के धन्यवाद ज्ञापन के साथ आयोजन का समापन हुआ।