हैदराबाद: कालेश्वरम परियोजना (Kaleshwaram Project) को लेकर केंद्र सरकार ने अहम टिप्पणी की है। सरकार ने स्पष्ट किया कि कालेश्वरम परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिया जा सकता है। कलेश्वरम परियोजना के पास निवेश मंजूरी नहीं है। इसके चलते राष्ट्री दर्जा नहीं दिया जा सकता। केंद्र सरकार ने लोकसभा में कांग्रेस सांसद उत्तम कुमार रेड्डी द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की।
केंद्रीय जल विद्युत विभाग के सहायक मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने कहा, “2016 और 2018 में तेलंगाना के सीएम केसीआर (CM KCR) ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से कालेश्वरम परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा देने का अनुरोध किया था। इस परियोजना के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है। यदि अनुमति दी जाती है तो उच्च शक्ति संचालन समिति द्वारा कलेश्वरम की जांच की जानी चाहिए। राष्ट्रीय दर्जा तभी दिया जा सकता है जब हाई पावर कमेटी इसे मंजूरी दे। इसके अलावा, कलेश्वरम के पास निवेश मंजूरी नहीं है। यह राष्ट्रीय परियोजनाओं की सूची में शामिल होने के योग्य नहीं है।”
गौरतलब है कि तेलंगाना सरकार ने बड़ी महत्वाकांक्षा के साथ कालेश्वरम परियोजना का निर्माण किया है। तेलंगाना सरकार का कहना है कि वह गोदावरी नदी के पानी को उठाकर लाखों एकड़ में पानी दे रही है। कई मौकों पर कहा गया है कि दुनिया में कहीं भी ऐसा अद्भुत प्रोजेक्ट नहीं है। लेकिन वही कालेश्वर प्रोजेक्ट कुछ दिनों से तेलंगाना में चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण कालेश्वरम परियोजना के कई पंप हाउस पानी में डूब गए हैं। विपक्ष आलोचना कर रहा है कि यह सब गलत डिजाइनों के कारण हुआ है। अफवाह यह है कि बाढ़ में डूबे पंपों की मरम्मत के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस संदर्भ में सिंचाई प्रमुख रजत कुमार ने कालेश्वरम परियोजना पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की।
रजत कुमार ने कहा कि कालेश्वरम परियोजना में जलमग्न पंप हाउस की मरम्मत पर 300 करोड़ रुपये खर्च होने के विपक्ष के आरोप में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया गया है कि पंप हाउसों की मरम्मत की लागत 20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगी। इसका बोझ सरकार पर नहीं पड़ेगा। मरम्मत का खर्च भी परियोजना बनाने वाले ठेकेदारों को वहन करना होगा। कीचड़ में फंसे पंपहाउसों को सितंबर से पहले ठीक कर दोबारा चलाया जाएगा।
रजत कुमार ने कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है परियोजना नियमों के खिलाफ बनाई गई है। स्पष्ट किया गया कि केंद्रीय अधिकार क्षेत्र के तहत 18 संगठनों की अनुमति दिए जाने के बाद ही कालेश्वरम परियोजना का निर्माण किया गया। उन्होंने कहा कि यह स्थिति भारी बारिश और बाढ़ के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि कडेम परियोजना की मरम्मत की गई है। इसलिए इतनी भयंकर बाढ़ के बाद भी मजबूत है।