हैदराबाद: तेलंगाना सरकार लाखों करोड़ के कर्ज में डूबा गया है। केंद्र ने संसद में खुलासा किया है कि तेलंगाना सरकार ने राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM) अधिनियम 2003 के तहत 2.37 लाख करोड़ रुपये कर्ज लिया है। इसमें से 2,835 करोड़ रुपये विदेशी कंपनियों से लिए गए हैं। केंद्रीय सहायता मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को कांग्रेस सांसद रेवंत रेड्डी के एक सवाल के जवाब में यह बात कही।
उन्होंने आगे बताया कि तेलंगाना सरकार ने जापान सरकार (JICA), इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) और इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन से कर्ज लिया है। उन्होंने कहा, “पिछले पांच साल में विदेशी कंपनियों से लिए गए कर्ज के अंतर्गत तेलंगाना सरकार ने 382.21 करोड़ रुपये किस्तों में चुकाए हैं और उनके ब्याज के लिए 147.53 करोड़ रुपये का भुगतान किया।”
अधिशेष बजट
मंत्री पंकज ने यह भी बताया कि अगले तीन साल में तेलंगाना सरकार को 2,835 करोड़ रुपये पुनर्भुगतान और ब्याज के रूप में 530 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। अतिरिक्त केंद्रीय सहायता और बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए पांच सालों में 2,160 करोड़ रुपये कर्ज लिये हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब पृथक तेलंगाना का गठन किया गया तब तेलंगाना अधिशेष बजट में था।
परिधि से हटकर
केंद्र ने बताया कि साल 2014 में तेलंगाना पर 69,517 करोड़ रुपये कर्ज था। इन सात सालों में यह बढ़कर 4 लाख करोड़ रुपये पार हो गया है। इसमें से 1.5 लाख करोड़ रुपये FRBM अधिनियम परिधि से हटकर विभिन्न निगमों और अन्य स्रोतों से लिए गए हैं।
हर व्यक्ति पर 81,944 रुपये
तेलंगाना सरकार की ओर से लिए गए कर्ज के कारण लोगों पर औसतन कर्ज बढ़ता ही जा रहा है। पिछले साल के संशोधित बजट आंकड़ों के मुताबिक यह कर्ज 70,080 रुपये था। इस बार यह बढ़कर कर्ज 11,864 रुपये हो गया है। यानी तेलंगाना में अब हर व्यक्ति पर 81,944 रुपये का कर्ज है।