कादम्बिनी क्लब की 672वीं मासिक गोष्ठी में अवधेश कुमार सिन्हा और डॉ शिव शंकर अवस्थी ने दिया यह संदेश

हैदराबाद: कादम्बिनी क्लब हैदराबाद आभासी तकनीक के माध्यम से डॉ मदन देवी पोकरणा की अध्यक्षता में क्लब की 672वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ। प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए अहिल्या मिश्र (क्लब अध्यक्षा) तथा मीना मुथा (कार्यकारी संयोजिका) ने आगे बताया कि इस अवसर पर शुभ्रा मोहंतो ने सस्वर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में लेखकों के अधिकार

डॉक्टर अहिल्या मिश्र ने पटल पर उपस्थित सभी गणमान्यों का शब्द कुसुमों से स्वागत करते हुए कहा कि प्रथम सत्र में डॉ शिवशंकर अवस्थी (सेक्रेटरी जेनरल, ऑथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया) हमें “वैश्विक परिप्रेक्ष्य में लेखकों के अधिकार” जैसे महत्वपूर्ण विषय पर वक्तव्य देंगे। इस सत्र के संयोजक अवधेश कुमार सिन्हा होंगे। तत्पश्चात कादम्बिनी क्लब की वरिष्ठ सदस्य और एजीआई की मेंबर स्वर्गीय सम्पत देवी मुरारका को क्लब की ओर से भावभीनी श्रद्धांजली दी गई।

अवधेश कुमार सिन्हा ने कहा…

अवसर पर अवधेश कुमार सिन्हा ने कहा कि विश्व साहित्य को पढ़ने के लिए सहजता से पुस्तकें वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। उपरोक्त विषय पर दो-तीन वर्ष पूर्व हैदराबाद में भी हमने चर्चा की थी। डुप्लिकेट किताबें छप रही हैं। लेखक के अधिकारों के बारे में आज डॉ अवस्थी हमें बताएँगे।

डॉ शिव शंकर अवस्थी ने अपने वक्तव्य में बताया…

डॉ शिव शंकर अवस्थी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अमेरिका में स्क्रिप्ट राइटर्स हड़ताल पर हैं। सन् १४४० में बहुत बड़ा परिवर्तन आया। प्रिंटिंग प्रेस के उद्भव के साथ सन् १४५५ में बाइबल की प्रथम प्रति छप कर आयी। पूरे यूरोप में प्रिटिंग लगाई गई। हिन्दुस्तान में थोड़ी देर से पहुँची। भारत में प्रति वर्ष 90,000 पुस्तकें छपती हैं। पुस्तकें आधुनिक विकास का आधार रही हैं। संविधान में लेखकों के अधिकारों की बात हुई है।

‘राइट टू कॉपी’

‘राइट टू कॉपी’ में सभी लेखकों के लिए काफ़ी गुंजाइशें हैं। अपनी रचना की सुरक्षितता को लेकर क्लेम करने का अधिकार लेखक को है। ८५ देशों में १५० से अधिक आर आर ओ प्रति वर्ष इक्यानवे करोड़ रुपया पूरे विश्व में बाँटती है। पुस्तक की बिक्री पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि पुस्तक की नक़ल करना बढ़ता जा रहा है। जिरॉक्स तकनीक के कारण पूरी की पूरी किताब ही जिरॉक्स कर ली जाती है।

डॉ अहिल्या मिश्र ने कहा…

डॉ अहिल्या मिश्र ने कहा कि समाधान मनुष्य के आचरण और नैतिकता में होना चाहिए। जिसमें मानवता ही नहीं है वह क्या साहित्यकार कहलाएगा? चर्चा में सरिता सुराणा, डॉ रमा द्विवेदी, डॉक्टर सुरेश कुमार मिश्रा आदि ने डॉ अवस्थी से कुछ प्रश्न पूछे जिसका समाधान किया गया।

दूसरे सत्र में कवि गोष्ठी

दूसरे सत्र में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ। सावन की फुहारों पर केंद्रित काव्य पाठ किया गया। इसमें डॉ अवस्थी, तृप्ति मिश्रा, विनोद गिरी अनोखा, रमा बहेड़, इंदू सिंह, निशी मोहन, डॉ रमा द्विवेदी, ज्योति नारायण, सुनीता लुल्ला, भावना पुरोहित, डॉ सुरेश कुमार मिश्र, उषा शर्मा, ममता जायसवाल, आर्या झा, डॉ स्वाति गुप्ता, डॉ अहिल्या मिश्र, शशी राय, मीना मुथा आदि ने काव्य पाठ किया। अवधेश कुमार सिन्हा, नवल किशोर अग्रवाल, शिल्पी भटनागर, दीपक दीक्षित, चंद्र प्रकाश दायमा, प्रदीप गौतम, कृष्णा मोहन आदि ने अपनी उपस्थिति प्रदान की।

दोनों ही सत्र बहुत सफल

डॉ मदद देगी पोकरणा ने कहा कि दोनों ही सत्र बहुत सफल रहे हैं। सभी को साधुवाद! सभी रचनाकारों ने सशक्त काव्य पाठ किया। डॉ अहिल्या मिश्र ने ख़ुशी जतायी कि क्लब नवांकुरों को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने सितंबर में होने वाले AIG अधिवेशन की जानकारी भी दी। प्रवीण प्रणव ने तकनीकी माध्यम से कार्यक्रम को संचालित किया। मीना मुथा ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा तृप्ति मिश्रा ने सभी के प्रति आभार जताया।

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