हैदराबाद: सालों से खेती कर रहे किसान अब खुद की जमीन होने का दावा करने की स्थिति में नहीं हैं। तेलंगाना सरकार के रवैये के कारण हजारों किसानों की जमीन ‘धरणी’ शामिल नहीं हो पायी है। भूमि समाशोधन के नाम पर ‘धरणी’ पोर्टल ले आने वाली सरकार ने हर जिले की हजारों एकड़ जमीन को ‘पार्ट बी’ में शामिल किया है।
राजस्व अधिकारियों द्वारा की जा रही छेड़छाड़, वन-राजस्व के बीच चली आ रही सालों से भूमि विवाद के कारण तेलंगाना के 5 जिलों के 34 गांव धरणी पोर्टल में दिखाई नहीं दे रहे हैं। दस हजार से ज्यादा एकड़ जमीन को पार्ट बी में शामिल किये जाने के कारण हजारों किसानों को नये पासबुक नहीं मिल रहे हैं।
संयुक्त आंध्र प्रदेश में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा सौंपी जमीन को अधिकारियों ने पार्ट बी में शामिल किया हैं। इससे रैतु-बंधु की रकम नहीं मिलने और किसी कारणवश मौत हो जाने पर किसान के परिजनों को रैतु-बीमा नहीं मिलने के कारण किसानों को अनेक प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते खुद की जमीन का पट्टा देंगे या नहीं इस चिंता में कुछ किसानों ने आत्महत्या भी कर ली है।
किसान सवाल कर रहे हैं कि राजस्व अधिकारियों ने उन्हें पट्टे दिये है। दशकों से खेती कर रहे हैं। अब उनके साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है? अकेले शिवमपेट अंचल में करीब 3200 एकड़ जमीन को धरणी पोर्टल वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है। इसके चलते किसान परेशान हैं।
2005 में भूमि वितरण कार्यक्रम के अंतर्गत तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने रामायमपेट मंडल के रायलापुर, सुतारीपल्ली और वेंकटपुर की 300 किसानों को पट्टे वितरित किये थे। ताल्लपल्ली गड्डा तांडा, नानू तांडा, बिक्या नायक तांडा ग्राम पंचायतों में सर्वे नंबर 315, 316 में 1,200 एकड़ और सर्वे नंबर 216, 236, 309, 417, 267 में नवपेट क्षेत्र में 2,000 एकड़ को पार्ट बी में शामिल किया गया है।
हालांकि, भूमि समाशोधन के अंतर्गत रायलापुर उपनगर के सर्वे नंबर 881 की भूमि को जंगल में शामिल करके पार्ट बी में शामिल किया और किसी भी किसान को नया पासबुक जारी नहीं किया गया। तीन महीने पहले शिव्वाइपल्ली के शिरगबोइना मुत्यालु नाम के एक किसान ने उसकी जमीन उसे मिलेगी या नहीं सोचकर खेत में कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली।
इसी तरह चेगुंटा मंडल के इब्रहिमपुरम, रुक्मापुर, चेट्ल तिम्माईपल्ली क्षेत्र में भी अधिकारियों ने लगभग हजारों एकड़ जमीन को पार्ट बी में शामिल किया है। कोल्सारम मंडल के वरिगुंतम, शेरी वरिगुंतम क्षेत्र के सर्वे नंबर 61, 62, 151, 157, 250, 477,491 और 493 में 120 किसानों को भूमि समाशोधन के समय पट्टादार पास बुक दिये, मगर धरणी पोर्टल आने के बाद इन सभी जमीनों को ऑनलाइन में लावणी, खरीजखाता और प्रोहिबिटेट जमीन में बदल दिया गया है।
इसी तरह जयशंकर भूपालपल्ली, महबूबनगर, महबूबाबाद, खम्मम और मेदक जिले में हजारों एकड़ जमीन का भी यही हाल है। तेलंगाना के किसान जल्द से जल्द इस समस्या का निवारण और हल करने का सरकार से आग्रह कर रहे हैं।