‘क्या साहित्य के व्हाट्सएप ग्रुप एवं सोशल मीडिया ही वर्तमान मापदंड है?’ विषय पर हुई सारगर्भित चर्चा, जानें इन वक्ताओं के विचार

हैदराबाद : साहित्य सेवा समिति की 117 वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन 10 नवंबर को किया गया। यह कार्यक्रम दो सत्रों में संचालित हुआ। प्रथम सत्र में “क्या साहित्य के वाट्स एप ग्रुप एवं सोशल मीडिया ही वर्तमान साहित्य के मापदंड है” विषय पर सारगर्भित चर्चा हुई। द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। दोनों सत्रों का संचालन समिति की महासचिव श्रीमती ममता जायसवाल ने किया।

कार्यक्रम का प्रारंभ श्रीमती तृप्ति मिश्रा के स्वरचित माँ सरस्वती वंदन से हुआ। इसके उपरांत प्रथम सत्र के चर्चा विषय “क्या साहित्य के वाट्स एप ग्रुप एवं सोशल मीडिया ही वर्तमान साहित्य के मापदंड है” विषय पर चर्चा हुई। साहित्य सेवा समिति के अध्यक्ष दयाकृष्ण गोयल ने स्वागत भाषण व भूमिका स्वरूप कहा कि पठनीय श्रोताओं के अभाव में श्रवणीय श्रोता संख्या हेतु यह प्लेटफार्म उत्तम है परंतु सचेतता अनिवार्य है।

इस विषय को गहनता प्रदान करते हुए अभिजित पाठक ने संर्वसामान्य उदाहरणों द्वारा कथित किया कि साहित्य विस्तार में साधन तब बन जाता है जब वह समाज को उत्तरदायी संदेश संप्रेषित करता है। प्रमुख प्रवक्ता के रूप में सत्य प्रसन्न ने कहा कि अधैर्य, प्रतिक्रिया, सान्त्वना आदि से साहित्य को पतनोगामी होने व मुख्यधारा से विलग होने से बचाना चाहिए। साहित्य गुणस्ता से समझौता नहीं करना चाहिए।

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इसी क्रम में सुनीता लुल्ला ने कहा कि प्रत्येक प्लेटफार्म एक चैन होता है। नव रचनाकारों के प्रोत्साहन, मार्गदर्शन एवं स्थापित साहित्यकारों के पठन महत्वपूर्ण साधन है। बी. एल. आच्छा एवं डी. मणिक्यम्बा का कथन था कि सुधि पाठक सार-सार ग्रहण कर थोथा उड़ा देने में सक्षम हैं। इसी क्रम में दर्शन सिंह, राजेन्द्र, श्रीमती रचना चर्तुवेदी ने अपने विचार रखे।

द्वितीय सत्र में वैविध्य कल्लापूर्ण काष्यगोष्ठी संपन्न हुई जिसमें दयाकृष्ण गोयल, सुनीता लुल्ला, सत्यमसन्न, अभिजित पाठक, चन्द्र प्रकाश दायमा, दर्शन सिंह, विनोद अनोखा, उमेश चन्द्र श्रीवास्तव नवांकुर, उमेश चंद यादव, श्रीमती सुषमा देवी, श्रीमती तृप्ति मिश्रा, श्रीमती ममता सक्सेन, श्रीमती रचना चर्तुवेदी, श्रीमती उमादेवी सोनी, श्रीमती ममता जायस्वाल और अन्य कवियों ने काव्यपाठ किया। माणिक्यम्बा, बी एल आच्छा, द‌याशंकर प्रसाद, राजेन्द्र रुगंटा, कंचन श्रीवास्तव, शिल्पी भटनागर की गरिमामय उपस्थिति रही। कार्यक्रम की अध्यक्षीय टिप्पणी दयाकृष्ण गोयल द्वारा दी गई। तदुपरांत उमेश चंद यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम में तकनीकि सहयोग उमेश चंद यादव व गीता अग्रवाल द्वारा किया गया।

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