Kaushambi (उत्तर प्रदेश): रविवार को वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन फ़ॉर धोबिस (WOrD) की ओर से ऐतिहासिक धरती कड़ा, सिराथू, कौशाम्बी स्थित धोबी समुदाय की धरोहर चितरसारी/धोबी धर्मशाला में नवनिर्वाचित सभासदों का सम्मान कार्यक्रम भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस दौरान कौशाम्बी के नगर निकाय चुनावों में समुदाय के नव निर्वाचित सभासदों- सर्वश्री सुनील चौधरी, अजीत रैना, निरंजन चौधरी को बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी, संत गाडगे जी महाराज का छायाचित्र एवं भारतीय संविधान की प्रति देकर सम्मानित किया गया।
इस विचार गोष्ठी में समाज की बेहतरी व तरक्की पसंद साथियों ने अपने-अपने विचार साझा किए। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि परसीपुर बख्तियार लवकुश निर्मल ने बताया कि हमारे पूर्वजों की जमीन कड़ा धाम में चितरसारी/धर्मशाला के नाम से एक बीघा है। जिसमें 15 विस्वा में धर्मशाला बना हुआ है और 5 बिस्वा ख़ाली पड़ी है, इसका सीमांकन/पैमाइश हो चुका है। अब एकजुट होकर हमें इसका जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण करवाना होगा।
सामाजिक सक्रियता वादी डॉ. संदीप दिवाकर ने कहा कि हम सबको सोचने और विमर्श करने का विषय है कि आखिर हमारी विरासत अब तक उपेक्षित शासन प्रशासन ने भी इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया, जबकि प्रतिवर्ष चैत्र माह में लगने वाले प्रसिद्ध गर्दभ मेला में रवन्ना के रूप काफी राजस्व एकत्र होता है। यदि इस राशि को ही इसकी देखरेख और संरक्षण में खर्च किया जाता तो बेहद शानदार नक्काशी व शैली में निर्मित धर्मशाला इस दयनीय स्थिति में नहीं होती। हमें अपने पूर्वजों की धरोहर को सुरक्षित और संरक्षित करने का निरंतर प्रयास करना चाहिए। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण दिवाकर ने कहा कि समाज के लोगों को एकजुट होकर इस विरासत को रेनोवेट कराने के लिए आगे आना होगा। जब हम एकजुट होंगे तो विघटनकारी ताकतें हमसे दूर रहेंगी।
वरिष्ठ पत्रकार व सभासद सुनील चौधरी ने कहा कि चितरसारी के कड़ा धाम में प्रतिवर्ष हमारे पूर्वजों द्वारा गर्दभ मेला लगवाया जा रहा है जिसमें अपने जानवरों के बेचने व खरीदने वाले लोग प्रदेश के विभिन्न जिलों से आते रहे हैं और यहीं रात्रि विश्राम करते रहे हैं, पर प्रशासनिक व सामुदायिक उपेक्षा के कारण इसकी स्थिति जर्जर होती जा रही है।
शिक्षक राजेश चौधरी ने कहा कि पूर्वजों की धरोहर को हम सबको मिलकर सुरक्षित और संरक्षित करने की जरूरत है। कड़ा मेला प्रशासन को भी इस पर ध्यान देना चाहिए जिससे दर्शनार्थियों के विश्राम हेतु यह धर्मशाला उपयोगी साबित हो। संस्कृत के विद्वान डॉ. धर्मेंद्र चौधरी ने कहा कि पूर्वजों ने जिस सूझ-बूझ के साथ ये विरासत हम लोगों को सौंपा है उसी सूझबूझ के साथ उसे सुरक्षित व संरक्षित करके हमें अगली पीढ़ी को देना चाहिए। साथ ही इन धरोहरों को सुरक्षित करने के लिए हम सबको आर्थिक, मानसिक, शारीरिक सभी तरह के सहयोग की जरूरत है।
मार्गदर्शक राजेन्द्र दिवाकर जी ने कहा कि यह हमारे पूर्वजों की धरोहर समाज की एकता का प्रतीक है और हम सब लोगों को मिलकर इसको संजोकर रखना चाहिए और आसपास के लोगों को इन धरोहरों को संजोए रखने के लिए विशेष रुप से सहयोग प्रदान करना चाहिए। जितेन्द्र निर्मल जी ने कहा कि पूर्वजों की विरासत को संवारने के लिए जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी आगे आना चाहिए। प्रबुद्ध लोग जब किसी विषय पर चर्चा करते हैं तो उसका परिणाम निश्चित ही सकारात्मक रूप में प्राप्त होता है। प्रसिद्ध फिल्मकार डॉ. विजय कनौजिया ने कहा कि जब किसी कार्य को करने या समाज को जागृत करने के लिए शिक्षित युवा आगे आते हैं तो समाज की दशा और दिशा दोनों को बदलते देर नहीं लगती।
आचार्य विनोद भास्कर ने कहा कि इसकी देखरेख हेतु स्थानीय लोगों का सहयोग अपेक्षित है। सामाजिक चिन्तक डॉ. नरेंद्र दिवाकर ने नवनिर्वाचित सभासदों को बधाई देते हुए कहा कि जनता द्वारा निर्वचित सभासदों को अपने-अपने क्षेत्र की बेहतरी व तरक्की हेतु कर्तव्यनिष्ठ होकर कार्य करना होगा जिससे उनके क्षेत्र का सर्वांगीण हो सके। साथ ही यह भी कहा कि चूंकि आप सभी शिक्षित युवाओं ने राजनीति के क्षेत्र में आकर बदलाव की जो इबारत लिखी है उससे युवाओं में राजनीति में आने, समाज व देश सेवा का एक सकारात्मक माहौल बनेगा।
धोबी समुदाय की इस चितरसारी/धर्मशाला के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण से इस ऐतिहासिक स्थल पर लगने वाले मेले में समुदाय के लोगों को रात्रि विश्राम के साथ ही माता शीतला के दर्शन करने के लिए प्रदेश-देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी अच्छा स्थान सुगमता उपलब्ध हो सकेगा। समाज की विभिन्न स्थितियों पर चिंता जाहिर करते हुए वर्तमान में प्रयागराज में वंचित समुदाय की विद्यार्थियों हेतु निर्धारित बलुआघाट, राजापुर सहित कई छात्रावासों की दशा-दिशा पर गंभीरता पूर्वक प्रकाश डालकर सामाजिक व्यक्तियों से उनके जीर्णोद्धार और मरम्मत हेतु सहयोग की अपील की।
इस विचार गोष्ठी में मनीषा दिवाकर, ननकू लाल निर्मल, संतोष, रमेश निर्मल, जितेन्द्र निर्मल, लवकुश निर्मल, डॉ. धर्मेन्द्र, डॉ. विजय, डॉ. संदीप, सुनील चौधरी, अजीत रैना, निरंजन चौधरी, राजेश चौधरी, राजेन्द्र दिवाकर, प्रवीण दिवाकर, आचार्य विनोद भास्कर, नवनीत चौधरी और डॉ. नरेन्द्र दिवाकर सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।