हैदराबाद: हुजूराबाद विधानसभा क्षेत्र में ‘वोट के बदले नोट’ के लिए बड़े पैमान पर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन जारी है। बुधवार को एक पार्टी के उम्मीदवार की ओर से वोट के लिए छह हजार रुपये के लिफाफे बांटे गये। जिनको यह रकम नहीं मिली वे गुरुवार को ग्राम पंचायत के सामने और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया।
आंदोलनकारियों ने स्थानीय नेताओं से सवाल किया कि छह हजार रुपये हमें क्यों नहीं दिया है। साथ ही कहा कि जब तक हमें रकम नहीं देते तब तक आंदोलन जारी रहेगा। आंदोलनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि हमें देने के लिए भेजी/आई रकम को स्थानीय नेता गबन कर गये हैं।
आंदोलनकारियों ने नेताओं से सवाल किया, “क्या बिना हमारे वोट के ही टीआरएस सत्ता में आई है? लिस्ट में नाम होने के बाद भी नेताओं ने हमें रकम क्यों नहीं दिया है?” हालत को बिगड़ते देख पुलिस और केंद्रीय बल ने हस्तक्षेप किया। आंदोलनकारियों को शांत किया। इसी क्रम में गुरुवार को भी वोटरों के बीच रकम बंटवारा किया गया। वोट के बदले नोट के लिए किया गया आंदोलन और रकम बांटे जाने के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गये।
पता चला है कि मतदाताओं के कड़े विरोध और रकम के भुगतान न करने को लेकर उठे आंदोलन के चलते नेताओं ने रकम की दूसरे किश्त वितरण की तैयारी की हैं। इसी के अंतर्गत कुछ गांवों में रकम नहीं देने/मिलने वालों को गुरुवार की रात लिफाफों में डालकर वितरण किया गया। इस अवसर नेताओं ने वोटरों से कहा कि गैर-स्थानीय नेताओं की गलती के साथ सर्वेक्षण और त्रुटियों के कारण पहली किस्त में रकम नहीं नहीं दे पाये हैं। विलंब होने के लिए कुछ न समझे।
बुधवारो को हूजूराबाद मंडल के रंगापुर गांव में शुरू हुआ वोट के बदले नोट आंदोलन गुरुवार को निर्वाचन क्षेत्र के नर्सिंगापुर, काट्रापल्ली, रंगापुर, पेद्दापापय्यापल्ली, कंदुगुला और अन्य गांवों में फैल चुका। आंदोलनकारियों ने वोट को छह हजार देने की मांग की। उन्होंने कहा कि जिसने भी चुनाव प्रचार के लिए बुलाया है, उसकी सभा में भाग लिया है। अब उस पार्टी और इस पार्टी का मुहर लगाकर छह हजार रुपये नहीं देना ठीक नहीं है।
आपको बता दें कि हुजूराबाद उपचुनाव के लिए 30 अक्टूबर को मतदान होगा और 2 नवंबर को वोटों की गिनती होगी। पूर्व मंत्री ईटेला राजेंद्र के इस्तीफा दिये जाने के चलते हुजूराबाद उपचुनाव अनिवार्य हो गया है। जमीन हड़पने के आरोपों के बाद ईटेला ने विधायक और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद में वे भाजपा में शामिल हो गये। विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी और टीआरएस के बीच कड़ा मुकाबला है।