तेलंगाना में VIP Stickers क्यों बनते जा रहे हैं विवादास्पद? जानने के लिए जरूर पढ़ें यह खबर

हैदराबाद: तेलंगाना में इस समय वीआईपी स्टिकर (VIP Stickers) मुद्दा सुर्खियों में हैं। संसद स्तर पर सांसदों, राज्य स्तर पर विधायकों और एमएलसी को सालाना वीआईपी स्टिकर दिये जाते हैं। विधायक और एमएलसी को हर सदस्य को तीन स्टिकर दिये जाते हैं। यदि किसी कारण से स्टिकर (वीआईपी स्टिकर) खराब हो जाते हैं, तो उन्हें नये स्टिकर दिये जाते हैं। इन स्टिकर्स की वजह से सदस्यों की पहचान के साथ ही बिना समय बर्बाद किये और बिना पैसे दिये टोल गेट में प्रवेश कर सकते हैं। आप जहां भी जाते हैं वहां नेता की पहचाने जाने का मौका होता है। मगर इन दिनों में तेलंगाना में यह स्टिकर विवाद सुर्खियों में है।

हालांकि, हाल ही में इन स्टिकर्स वाले वाहन लगातार विवादों में घिर रही हैं। स्टिकर वाले वाहन दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। अगर उनसे पूछताछ की जाती है, तो यह पता चलता है कि वास्तव में विधायकों और एमएलसी का उस स्टिकर से कोई लेना-देना नहीं है। यह अधिकारियों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। हाल ही में जुबली हिल्स इलाके में एक विधायक के स्टीकर (MLA Sticker) वाले वाहन ने एक बच्चे को टक्कर मार दी। उस वाहन पर विधायक का स्टीकर लगा था। पहले इस पर विचार विमर्श किया गया और फिर मामला दर्ज हुआ।

मूल्यवान वीआईपी स्टिकर

उस घटना को लेकर बहुत बड़ा राजनीतिक विवाद ही हुआ। इसी के साथ पुलिस ने गंभीरता से उसकी जांच पड़ताल की और असली मुद्दा सामने आया। यह स्टिकर निजामाबाद जिले के एक विधायक के नाम पर जारी किया गया था। लेकिन पता चला कि जिस वाहन से यह हादसा हुआ वह उसका नहीं था। यह पाया गया कि स्टिकर का दुरुपयोग किया गया था। तथ्य यह है कि मूल्यवान वीआईपी स्टिकर का इतनी आसानी से दुरुपयोग किये जाने को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना हुई।

आरोपी माधव रेड्डी की कार पर विधायक का स्टीकर

हाल ही में, कैसीनो मुद्दा तेलुगु राज्यों में चर्चा का एक गर्म विषय बना है। इस मामले में आरोपी माधव रेड्डी की कार पर विधायक का स्टीकर लगा पाया गया। इसे पिछले मार्च तक इस्तेमाल करने की इजाजत थी। लेकिन तथ्य यह है कि यह अभी भी कार पर चिपका है। यह अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है। सरकार हर साल 1 अप्रैल को एक साल की समय सीमा के साथ विधायकों और एमएलसी को ये स्टिकर जारी करती है। लेकिन इस बात की आलोचना हो रही हैं कि उन स्टिकरों का इस्तेमाल किन वाहनों के लिए किया जाता है, यह अधिकारियों को पता नहीं होता है।

तेलंगाना में पांच हजार से अधिक स्टिकर

बताया गया है कि पूरे तेलंगाना में वर्तमान में पांच हजार से अधिक स्टिकर उपयोग में हैं। लेकिन जनप्रतिनिधि इतनी संख्या में नहीं हैं। यानी इससे साफ होता है कि कई स्टिकर्स का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि कई शिकायतें सरकार के पास गई हैं कि वीआईपी स्टिकर्स का गलत इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन पता नहीं है कि किस पर क्या कार्रवाई की गई है। हाल ही में मंत्री मल्ला रेड्डी के नाम का स्टिकर का मुद्दा गंभीर हो गया। इस मुद्दे पर सरकार ने फोकस किया है।

वीआईपी स्टिकरों का दुरुपयोग

खबर है कि अधिकारियों ने विधायकों और एमएलसी को दिये गये स्टिकर पर वाहन नंबर के साथ उनका नाम दर्ज करने का फैसला किया है। स्टिकर के उपयोग की समाप्ति तिथि को स्पष्ट रूप से प्रिंट करने की योजना है। जैसे ही वह तिथि समाप्त होगी, उसे हटा दिया जाएगा और यह स्पष्ट किया जाएगा कि नए का उपयोग किया जाना चाहिए। लेकिन इस पर अभी भी स्पष्टता आने की आवश्यकता है। तेलंगाना में कई नेता अपने परिवार के सदस्यों के वाहनों पर दिए गए स्टिकर को चिपका रहे हैं। कभी-कभी इन स्टिकर वाले वाहनों को दूसरों को बेच दिया जाता है, लेकिन उस पर चिपकाये स्टिकर को हठाया नहीं जा रहा है। इसे खरीदने वाले भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके चलते उन स्टिकरों का इस तरह भी दुरुपयोग हो रहा है।

लापरवाही

कभी-कभी कुछ मामलों में जब ये स्टिकर विवाद बन जाते हैं तो नेता यह बहुत ही सरलता से जवाब देते हैं कि यह स्टिकर तो गायब हो गया था। यही अब गंभीर चर्चा का विषय बन गया है। अगर किसी निजी कंपनी में काम करने वाला कोई कर्मचारी अपना पहचान पत्र (ID) खो देता है, तो वे पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हैं। फिर वीआईपी स्टीकर गुम होता है तो इस लापरवाही को कैसे छोड़ा जाता है? इसी को लेकर भी गंभीर चर्चा हो रही है। एक नियम लाने की मांगें उठ रही हैं कि नये स्टिकर तभी जारी किये जाएंगे जब जनप्रतिनिधियों को दिए गए पुराने स्टिकर वापस कर दिए जाते हैं। यह भी चर्चा हैं कि बिना किसी कारण जरूरत से ज्यादा स्टिकर दिए जाने पर उसका दुरुपयोग किया जा रहा है।

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