ताश के पत्तों की तरह गिर गई नोएडा का ट्विन टावर, लोगों की बेचैनी की घड़ी खत्म (फोटो-वीडियो)

हैदराबाद: उत्तर प्रदेश के नोएडा मेंट्विन टावर की इमारत गिर गई है। तय समय पर सायरन बजने के साथ ही सुपरटेक ट्विन टावर में विस्फोट हुआ और कुछ ही सेकेंड में बिल्डिंग जमींदोज हो गई। दूर तक धमाके की आवाज के साथ धूल का गुबार फैल गया। दोनों गगनचुंबी इमारत ताश के पत्तों की तरह से बिखर गई। अधिकारियों ने बताया कि धूल के कण अभी हवा में रहेंगे और साथ ही आस-पास की किसी भी बिल्डिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। धूल को स्थिर करने के लिए पानी को स्प्रे करने के लिए एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि दोपहर में 2 बजकर 29 मिनट पर नोएडा के सेक्टर 93ए स्थित सुपरटेक ट्विन टावर्स में ब्लास्ट के लिए तय समय पर ही धमाका हुआ। हर एक आंखें बेसब्री से इस खास वक्त के इंतजार में लगी हुई थीं। सायरन की आवाज के बीच अचानक से हर एक फ्लोर पर ब्लास्ट हुआ और ऊपर से लेकर नीचे तक दोनों ही इमारत भरभरा कर गिर गई। चारों तरफ धूल का गुबार फैल गया। इस तरह से देखते ही देखते भ्रष्टाचार की इमारत जमींदोज हो गई।

उन्होंने बताया कि सुपरटेक के ट्विन टावर्स ध्वस्त होने के बाद धूल अगले तीन से चार दिनों तक लोगों को परेशान कर सकती है। इससे बचने के लिए बच्चों और बुजुर्गों को मास्क लगाने की जरूरत है। इमारत गिरने के बाद दो तरह की धूल हवा में उड़ेगी। धूल के मोटे कण तुरंत जमीन पर गिर जाएंगे लेकिन जो छोटे-छोटे कण होंगे वह हवा में लम्बे वक्त तक रहेंगे क्यूंकि हवा भी चल रही है।

अधिकारियों ने आगे बताया कि सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराने के बाद आस-पास के क्षेत्र में धूल के बादल छा गए। ट्विन टावरों को गिराने के बाद आस पास जमे धूल को स्थिर करने के लिए पानी को स्प्रे करने के लिए एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जा रहा है। आस-पास की हाउसिंग सोसाइटियों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। अभी कुछ मलबा सड़क की तरफ आया है। हमें एक घंटे में स्थिति का बेहतर अंदाजा हो जाएगा।

नोएडा पुलिस आयुक्त ने कहा कि पूरे प्लान के साथ काम किया गया और टावर को गिराया गया। सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम किये गये थे। इसके कारण से सब कुछ सही से हुआ। हम अवशेष और बचे हुए विस्फोटकों का आकलन करने के लिए साइट पर जा रहे हैं यदि वे वहां छोड़े गए हैं।

एपेक्स और सियान (टि्वन टावर) में टावर ढहाने वाली एडिफाईस एजेंसी ने करीब 3700 किलो विस्फोटक लगाया था। टावर कंट्रोल ब्लॉस्ट के जरिए ढहाए गए। मलबा आस-पास न बिखर कर सामने की तरफ गिरे इसके लिए ‘वाटर फाल इम्पलोजन कोलैप्स मकैनिज्म’ पर ब्लॉस्ट डिजाइन तैयार की गई थी। इसमें मलबा झरने की तरह निश्वित खाली पड़ी जगहों पर गिरा।

नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और एमराल्ड कोर्ट के निवासियों के सामने अपने प्रजेंटेशन में एडिफिस इंजिनियरिंग ने एक ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन कोलैप्स मैकेनिज्म’ का प्रस्ताव रखा, जो अप्रैल 2019 में जोहान्सबर्ग में 108 मीटर ऊंचे बैंक ऑफ लिस्बन की इमारत को गिराने के लिए इस्तेमाल किया गया था। एपेक्स, दो टावरों की ऊंचाई 100 मीटर है। जोहान्सबर्ग में जो इमारत गिराई गई थी, उसका ग्राउंड क्लीयरेंस (7.8 मीटर) था। जबकि एमराल्ड कोर्ट का ग्राउंड क्लियरेंस 9 मीटर है। अधिकारियों ने यह बात अंडरलाइन की कि पहले भी इससे ज्यादा चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इमारतों को सुरक्षित रूप से गिराया जा चुका है।

वॉटरफॉल शब्द का उपयोग इसलिए किया जाता है। क्योंकि जिस तरह कोई झरना ऊंचाई से जमीन पर आकर गिरता है, उसी तरह इमारत भी गिरती है। विस्फोट के लिए दोनों इमारतों के कॉलम, बीम और शीयर दीवारों में छेद किए जाएंगे। विस्फोटकों के परिणामस्वरूप उच्च-वेग वाले मलबे को इधर-उधर उड़ने से रोकने के लिए, एक तार-जाल का घेरा बनाया जाएगा। कॉलम्स को भू टेक्सटाइल कपड़े में लपेटा जाएगा, जिससे बिल्डिंग का मलबा कम बने।

एमराल्ड कोर्ट परिसर में 650 परिवार रहते हैं। यहां पर गैस पाइपलाइन है जिसे बंद किया जाएगा। विस्फोट के बाद धूल के बादल उड़ेंगे। संभावना है कि ये धूल के गुबार सेक्टर 93 ए में स्थित टावरों के ऊपर तक जाएं। इन्हें थमने में 10 से 15 मिनट तक लग सकते हैं। टावर के मलबे को साफ करने के लिए और तीन महीने की आवश्यकता होगी। अनुमानित लगभग चार हजार ट्रक मलबे को साइट से बाहर निकाला जाएगा।

दोनों टावर सेक्‍टर 93 में हैं। एपेक्स के दाहिने तरफ 10 मीटर से भी कम दूरी पर एमराल्ड कोर्ट सोसायटी का टावर है। वहीं, सियान के बाएं तरफ एटीएस विलेज सोसायटी का टावर 27 मीटर पर हैं। एपेक्स टावर 32 मंजिल और 102 मीटर का ऊंचा है। सियान 29 मंजिल का है और करीब 95 मीटर की ऊंचाई का है। दोनों टावरों के इर्द-गिर्द 100 मीटर का एक एक्‍सक्‍लूजन जोन बनाया गया है।

ट्विन टावर गिराने के लिए पलवल की अल्फा इंटरप्राइजेज कंपनी ने विस्फोटक सप्लाई किया है। कोच्चि के बाद कंपनी दूसरी बार ऐसा रिहायशी टावर तोड़ने जा रही है। 3700 किलोग्राम बारूद मैगजीन के साथ नोएडा का ट्विन टावर गिरेगा। इसके लिए कंपनी को करीब एक महीने पहले का ऑर्डर मिला था। पत्थर तोड़ने वाली सुरगों में प्रयोग किए जाने वाले बारूद का डिमांड कंपनी को आती रहती है, लेकिन इमारतें के लिए कम ही ऑर्डर आते हैं। इसमें पोटेशियम नाइट्रेट की मात्रा कम रखी गई है ताकि विस्फोट का धमाका भारी नहीं हो सके। यह स्पेशल डिजाइन किया गया है।

नोएडा अथॉरिटी से मिली जानकारी के मुताबिक, प्लान में यह है कि मलबे से पहले दोनों टावर के बेसमेंट भरे जाएंगे। इनमें 7-8 हजार क्यूबिक मीटर मलबा भर जाएगा। इसके बाद एक खाली जमीन पर मलबा भरने के लिए एग्रीमेंट किया है। वहां पर करीब 35 हजार क्यूबिक मीटर मलबा भरा जाएगा। 42 हजार क्यूबिक मीटर से ज्यादा मलबा निकलने की उम्मीद है। टावर ढहने के बाद आस-पास की सड़कों पर धूल की मोटी परत जम जाएगी। एजेंसी ने मलबा मौके से हटवाने के लिए 90 दिन का समय लिया है। इसके लिए सी एंड डी वेस्ट मैनेजमेंट प्लान जमा किया है।

यह दोनों टावर ढहाए जाने हैं इसकी चर्चा 31 अगस्त 2021 को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हो गई थी। फिर बिल्डर की तरफ से दायर की गई रिव्यू याचिका खारिज होने के बाद तय हो गया था। टावर ढहाने से पहले एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसायटी सुबह 7 बजे ही खाली करवा दी गई थी। इसके साथ ही सेक्टर-93 ए की तरफ आने वाले शहर के सभी रास्ते ट्रैफिक पुलिस ने बंद कर दिए थे। नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेस-वे पर भी टावर ढहने के 15 मिनट पहले करीब 2.15 बजे ट्रैफिक रोक दिया गया था। (एजेंसियां)

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