हैदराबाद : तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (TSRTC) को बेचने का प्रस्ताव तैयार है। बेचने की प्रक्रिया कभी भी शुरू हो सकती है। आरटीसी के चेयरमैन बाजीरेड्डी गोवर्दन ने मुख्यमंत्री केसीआर का हवाला देते हुए कहा कि यदि चार महीने में आरटीसी लाभ में नहीं चलती तो निजीकरण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस समय आरटीसी पर 5,600 करोड़ रुपये का कर्ज है। इतना ही नहीं हर साल 900 से 1,200 करोड़ रुपये का नुकसान उठा रहा है। आरटीसी के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रखते हुए दो प्रस्ताव सरकार के सामने रखे गये हैं। एक आरटीसी का किराया बढ़ाना और दूसरा संस्था की जमीन को लीज पर देने या बेचना शामिल है।
उन्होंने बताया कि आरटीसी को जो लाभ मिल रहा है, उसका एक बड़ा हिस्सा डिजल पर खर्च हो रहा है। डिजल के बढ़ते दामों ने आरटीसी की कमर तोड़कर रख दी है। 3 दिसंबर 2019 को आरटीसी का किराया बढ़ाया गया था। तब औसतन 65 से 75 तक किराये में बढ़ोत्तरी की गई थी। इसके चलते आरटीसी को 700 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। इस समय डिजल के दाम 90 से 120 रुपये हैं। इस हिसाब से सभी बसों के किराया में हर एक किलोमीटर के लिए 30 फीसदी किराया बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। अर्थात कम से कम 13 से 15 रुपये किराया बढ़ाये जाने की उम्मीद है।
इसी के अंतर्गत सेमी एक्सप्रेस और एक्सप्रेस का किराया 20 रुपये, डीलक्स 25, सुपर लग्जरी 30, राजधानी 40 और गरुड एसी और गरुड प्लस एसी का किराया 40 से 45 रुपये तक किराया बढ़ाये जाने का प्रस्ताव है। छात्रों के बस पास का किराया भी 200 रुपये बढ़ोत्तरी की संभावना है। ऐसा करने पर आरटीसी को 800 करोड़ रुपये की आय प्राप्त होने की संभावन है।
उन्होंने बताया कि इस समय आरटीसी पर 5,600 करोड़ रुपये का कर्ज है। इनमें सरकार की ओर से दिये गये रियायत की रकम दो हजार करोड़ रुपये आरटीसी को आना है। साल 2014 से 2019 दिये गये विभिन्न रियायत के कारण आरटीसी को सरकार 2,766.84 करोड़ रुपये बाकी है। पिछले साल सरकार ने 700 करोड़ जारी किया है। इसके अलावा 748.79 करोड़ रुपये वेतन और अन्य खर्च के लिये जारी किया है। सरकार ने 2020 से रियायत की रकम नहीं दी है। इसके चलते सरकार पर दो हजार करोड़ रुपये हो गया है।
इसी क्रम में सरकार की गैरंटी पर आरटीसी ने 2,279 करोड़ कर्ज लिया है। इस प्रकार सरकार पर 4,700 करोड़ का कर्ज हो गया है। हर साल आरटीसी 210 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में भुगतान कर रही है। इसके अलावा कर्मचारियों के सीसीएस के लिए 700 करोड़ और पीएफ के लिए 200 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना बाकी है। इस प्रकार आरटीसी 5,600 करोड़ रुपये के घाटे में है। पहले चरण के लॉकडाउन के दौरान 700 और दूसरे चरण के लॉकडाउन में 102 करोड़ रुपये का आरटीसी को नुकसान हुआ है।