हैदराबाद: टीपीसीसी अध्यक्ष के रूप में रेवंत रेड्डी की नियुक्ति के बाद कांग्रेस पार्टी में एक नया जोश आया है। दलित और आदिवासी स्वाभिमान दंडोरा सभाओं के साथ पार्टी में नया उत्सव भर आया है। केसीआर सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए रेवंत रेड्डी लोगों के बीच जाने में सफल रहे हैं।
अब रेवंत रेड्डी विपक्षी दलों को एकजुट करने की रणनीतिक के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को गांधी भवन में वामदलों, टीजेएस के अध्यक्ष प्रोफेसर कोडंदराम और अन्य नेताओं के साथ एक सर्वदलीय बैठक हुई। बैठक में लोगों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई। लंबी चर्चा के बाद नेताओं ने आंदोलन की रणनीति तैयार कर ली है।
मुख्य रूप से तेलंगाना में बंजर भूमि और धरणी पोर्टल में उत्पन्न जमीन की समस्याओं से किसान परेशानी पर विचार विमर्श किया गया। बैठक में इन समस्यों पर आंदोलन करने का फैसला लिया गया है। कुल 11 मांगों के साथ सर्वसम्मति से किये जाने वाले आंदोलन की रणनीति को मंजूरी दी गई है।
इसी के तहत इस महीने की 22 तारीख को इंदिरा पार्क में महाधरना, 27 को भारत बंद को समर्थन, 30 को सभी जिलाधीश कार्यालयों का घेराव के बाद मांगों का ज्ञापन सौंपने और बंजर भूमि विवाद का समाधान की मांग के समर्थन विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। नेताओं ने कहा कि कुल 19 राजनीतिक दल इस निर्णय पर एकजुट हो गये हैं।
सर्वदलीय नेताओं ने कहा कि कोविड टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने, कोविड से मौत हो चुके परिवार को मुआवजा, पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर उत्पाद शुल्क और अधिभार को समाप्त करने जैसे 11 मांगों के साथ आंदोलन की रणनीति तैयार कर ली गई है।
टीपीसीसी प्रमुख रेवंत की अध्यक्षता में हुई बैठक में सीपीएम और सीपीआई के राज्य सचिव तम्मिनेनी वीरभद्रम, चाडा वेंकट रेड्डी, टीजेएस के मुख्य प्रोफेसर कोडंदराम, तेलंगाना इंटी पार्टी के अध्यक्ष डॉ सुधाकर, न्यू डेमोक्रेसी, सीपीआई एमएल लिबरेशन, पीडीएसयू और अन्य नेताओं ने भाग लिया।
सर्वदलीय बैठक में नई रणनीति के साथ केसीआर सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है। उल्लेखनीय है कि बैठक में भाजपा को छोड़कर लगभग सभी विपक्षी दलों ने भाग लिया। नेताओं ने स्पष्ट किया कि केंद्र की भाजपा के खिलाफ भी संघर्ष जारी रहेगा।