अमरावती : वैसे तो मालगाड़ी की लंबाई कितनी होती है। 50 या और ज्यादा हो तो 80 वैगन होते हैं। लेकिन त्रिशूल ट्रेन के लिए एक साथ 176 वैगन जोड़ दिये गये हैं। दक्षिण मध्य रेलवे के इतिहास में पहली बार विजयवाड़ा मंडल में त्रिशूल ट्रेन का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। तीन मालगाड़ियों को जोड़कर 176 वैगनों के साथ 2.40 किमी की लंबाई का एक ही ट्रेन बनाया है
विजयवाड़ा से दक्षिण मध्य रेलवे के अंतिम स्टेशन दुव्वाडा तक इस ट्रेन का सफलात पूर्वक संचालन किया गया। त्रिशूल ट्रेन 50 किलोमीटर प्रति घंटे की औसतन रफ्तार से चली है। ट्रेन के आगे दो इंजन, बीच में दो इंजन और अंत में दो इंजन कुल छह इंजन जोड़े गये थे।
अधिकारियों ने कहा कि मालगाड़ियों के कारण यात्री ट्रेनों को यातायात की समस्या उत्पन्न होती है। इस समस्याओं से उबरने के लिए रेल विभाग कई तरह के प्रयोग कर रहा है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि लंबी ट्रेन बड़ी मात्रा में माल के परिवहन के लिए उपयोगी साबित होगी। तीन ट्रेनों को एक साथ जुड़ने से कर्मचारियों की संख्या में भी कुछ कमी आएगी। सेक्शनों में अन्य ट्रेनों के साथ संचालित करना भी आसान होता है।
अधिकारियों का कहना है कि त्रिशूल ट्रेन ग्राहकों को तेजी से सेवाएं देने, खाली वैगनों को कम समय में लोडिंग प्वाइंट तक पहुंचाने और अधिक मांग वाले माल के परिवहन के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी।