हुजूराबाद उपचुनाव: रेवंत रेड्डी की जबरदस्त रणनीति, दमदार ‘चुनावी इंजीनियरिंग’ टीम तैयार

हैदराबाद : हुजूराबाद उपचुनाव के लिए टीपीसीसी के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी दमदार ‘चुनावी इंजीनियरिंग’ टीम तैयार की है। कहा जा रहा है कि रेवंत रेड्डी की रणनीति टीआरएस और बीजेपी को कभी भी पटकनी दे सकती है। टीआरएस और बीजेपी पहले से ही चुनाव प्रचार में आगे निकल गई है। टीआरएस के मंत्री, विधायक और एमएलसी पहले से ही जोरदार प्रचार कर हैं।

दूसरी ओर बीजेपी ने भी केंद्रीय मंत्री और विधायकों को चुनावी मैदान में उतार रही है। मगर अंत में उम्मीदवार की घोषणा करने वाली कांग्रेस पार्टी चुनाव प्रचार में आक्रामक रूख अपनाया है। इसके लिए वह एक विशेष रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है।

विश्लेषकों का मानना है कि टीआरएस और बीजेपी को कड़ा जवाब देने के लिए रेवंत रेड्डी अपनी एक अलग रणनीति तैयार कर ली है। इसके लिए रेवंत ने ‘चुनावी इंजीनियरिंग’ में अनुभव रखने वाले प्रमुख नेताओं को हुजूराबाद उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके लिए ‘चुनावी इंजीनियरिंग’ टीम का ऐलान किया है।

टीम में फायरब्रांड और मुलुगु विधायक सीतक्का, वरिष्ठ विधायक श्रीधर बाबू, जग्गारेड्डी, एमएलसी जीवन रेड्डी, वरिष्ठ नेता वेमा नरेंद्र रेड्डी और अन्य शामिल है। इन सबको हुजूराबाद चुनाव प्रचार की मुख जिम्मेदारियां सौंपी हैं।

रेवंत रेड्डी ने हुजूराबाद निर्वाचन क्षेत्र के पांच मंडल के लिए प्रभारी और मुख्य समन्वयक नियुक्त किया है। मुलुगु विधायक सीतक्का को कमलापुरम मंडल का प्रभारी नियुक्त किया गया है।

इसी तरह संगारेड्डी विधायक जग्गा रेड्डी को हुजुराबाद मंडल का प्रभारी, मंथनी विधायक श्रीधरबाबू को जम्मीकुंटा का प्रभारी, वेमा नरेंद्र रेड्डी को इलंतकुंटा का प्रभारी और जीवन रेड्डी को वीनावंका का प्रभारी बनाया है। मुख्य समन्वयक के रूप में नायनी राजेंद्र रेड्डी, प्रेम सागर राव, विजयरमणा राव, जंगा राघव रेड्डी और आदि श्रीनिवास को नियुक्त किया गया है।

आपको बता दें कि हुजूराबाद उपचुनाव के लिए 30 अक्टूबर को मतदान होगा। 2 नवंबर को वोटों की गिनती होगी। 11 अक्टूबर को नामांकनों की जांच होगी। 13 तारीख तक नामांकन वापस लिये जा सकते हैं। पूर्व मंत्री ईटेला राजेंद्र के इस्तीफा दिये जाने के चलते हुजूराबाद उपचुनाव अनिवार्य हो गया है। जमीन हड़पने के आरोपों के बाद ईटेला ने विधायक और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद में वे भाजपा में शामिल हो गये। विश्लेषकों का मानना है कि ईटेला राजेंदर का पलड़ा भारी है।

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