तेलंगाना में चुनाव से पहले वैसे ही राजनीतिक माहौल गर्म है वहीं अब राजनीतिक पार्टियों के एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों के साथ ही वाकयुद्ध ने हलचल मचा दी है। यह तो सच है कि चुनाव में जीतने को हर पार्टी तत्पर है और दूसरी पार्टी को हराने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती। इसीलिए सारे दांव-पेंच चल रहे हैं और एक-एक कर अपनी सारी चालें भी चल रहे हैं। इससे होता क्या है यह तो आनेवाला समय ही बताएगा। यहां विस्तार से जानते हैं कि आखिर किसने-किसके बारे में क्या कुछ कहा और उससे हुआ क्या है…
यह तो पता ही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में तेलंगाना के निजामाबाद का दौरा किया और जनता को संबोधित किया। तो बस पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा जनसभा में की गई टिप्पणी से तेलंगाना की राजनीति में हलचल मच गई है। मोदी की इस टिप्पणी के साथ कि सीएम केसीआर ने एनडीए में शामिल होने की कोशिश की… पहले क्या हुआ… अब क्या हो रहा है। सारी बातें एक बार फिर से सामने आ गयी है।
बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर वैकल्पिक राजनीतिक मंच बनाने का ऐलान करने वाले केसीआर अब एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात को लेकर चर्चा में हैं। अब पीएम मोदी की जनजागरण सभा में की गई इस टिप्पणी के बाद हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर 12 दिसंबर 2020 को क्या कुछ हुआ था। अपने तीन दिवसीय दिल्ली दौरे के तहत सीएम केसीआर ने केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात की थी। उन्होंने राज्य का बकाया जारी करने का ज्ञापन सौपा था।
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हालांकि, तब केसीआर ने पीएम मोदी से मिलकर क्या कहा इसके बारे में खुद प्रधानमंत्री ने जनसभा बताया है। मोदी ने याद दिलाया कि जीएचएमसी चुनाव में बीजेपी की 48 सीटें जीतने के बाद केसीआर ने उनसे समर्थन मांगा था। आश्वासन दिया कि वह एनडीए में शामिल होंगे, लेकिन वे नहीं माने। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि केसीआर ने उनसे आशीर्वाद मांगा था कि वह केटीआर को सीएम बनाने की योजना बना रहे हैं। लेकिन मोदी ने समझाते हुए कहा कि ये राजशाही नहीं है और जनता जिसे चाहेगी वही सीएम होगा।
साथ ही पीएम मोदी ने बीआरएस सरकार पर तेलंगाना के विकास के लिए आवंटित धन को ‘लूटने’ का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने दाने के साथ कहा, “बीजेपी सरकार ने तेलंगाना के विकास के लिए बीआरएस सरकार को भारी धनराशि दी है। लेकिन दुर्भाग्य से केसीआर ने वह पैसा लूट लिया। लूट उनका मंत्र है।”
अब मोदी के ऐसा कहते ही राजनीतिक हलकों में घमासान मच गया है। जहां बीआरएस इन बातों का विरोध करते हुए कह रही है कि ये सब झूठ है और मोदी चुनाव के चलते झूठ बोल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस यह कहती दिख रही है कि हमने तो पहले ही कहा था कि बीआरएस और बीजेपी दोनों एक ही है। इन दोनों में कोई फर्क नहीं है और अब तो पीएम मोद ने खुद ये बाद मान ली है। इन सब बातों से जाहिर सी बात है कि राजनीतिक माहौल गर्मा गया है और हर कोई इसमें अपनी रोटी सेंकता नजर आ रहा है।
इस बात का जवाब देते हुए जहां बीआरएस नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ही केसीआर को दिल्ली बुलाया था। उन्होंने कहा कि अगर आपको सीएम बनना है तो तेलंगाना की जनता का समर्थन ही काफी है। मोदी के आशीर्वाद जरूरी नहीं है। वहीं मंत्री केटीआर ने टिप्पणी की कि वह एनडीए में शामिल होने के लिए उन्हें किसी पागल कुत्ते को काटा नहीं है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी-बीआरएस रिश्ता एक बार फिर उभर कर सामने आया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि दोनों पार्टियों की दोस्ती ने तेलंगाना को बर्बाद कर दिया है और आगामी विधानसभा चुनाव में लोग बीजेपी-बीआरएस को खारिज कर देंगे। कांग्रेस को चुनेंगे और एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनेगी।
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामाराव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इन टिप्पणियों का कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि तेलंगाना में राजनीति करने व सत्ता पाने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) की आवश्यकता नहीं है। “अगर बीआरएस पार्टी कोई निर्णय लेना चाहती है, तो हमारी पार्टी के सदस्य ले सकते हैं। हमें आपकी (पीएम मोदी का जिक्र करते हुए) एनओसी की जरूरत नहीं है। तेलंगाना के लोग केसीआर को तीसरी बार अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
केटीआर ने सवाल किया कि बीजेपी ने अपने शासन के पिछले दस वर्षों में तेलंगाना के लिए क्या किया। उन्होंने यह भी पूछा, “पिछले दशक में आपने तेलंगाना को क्या दिया है और बताएं कि आखिर यहां के लोगों को आपको और आपकी पार्टी को वोट क्यों देना चाहिए।” बीआरएस पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर ट्वीट किया कि बीजेपी तेलंगाना में हारेगी।
कुल मिलाकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि निजमाबाद जनसभा में पीएम मोदी की टिप्पणियों से तेलंगाना विधानसभा चुनावी राजनीति में नया मोड़ आएगा। देखने वाली बात तो यह है कि इससे किसे फायदा होता है और किसे नुकसान। आगामी दिनों में यह पता चल ही जाएगा कि राज्य में कौन सत्ता पर काबिज होता है और किसे विपक्ष में बैठना पड़ता है।
– मीता वेणुगोपाल पत्रकार