हैदराबाद: सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत के तत्वावधान में ‘अमृत महोत्सव आजादी’ के उपलक्ष्य में विशेष काव्य गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। मां शारदे का स्मरण करते हुए संस्थापिका सरिता सुराणा ने गोष्ठी प्रारम्भ की और सभी सम्मानित अतिथियों को मंचासीन किया। दीप प्रज्ज्वलन के बाद ज्योति नारायण की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तत्पश्चात् संस्था अध्यक्ष ने अपने स्वागत भाषण में शब्द-पुष्पों द्वारा अतिथियों का स्वागत किया और संस्था के उद्देश्यों और कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की।
स्वतंत्रता सेनानियों और वीर शहीदों को समर्पित
उन्होंने कहा कि यह काव्य गोष्ठी उन स्वतंत्रता सेनानियों और वीर शहीदों को समर्पित है, जिन्होंने हमारे देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। आज उन्हीं के बलिदानों के फलस्वरूप हम सब आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। यह हम सबके लिए गर्व का विषय है कि हमारी इस विशेष काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि आदरणीय श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी और डॉ ममता किरण कर रहे हैं और हमारे विशिष्ट अतिथि हैं आदरणीय राजेन्द्र निगम राज और श्रीमती इन्दु राज निगम। श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी का परिचय सुहास भटनागर ने, डॉ ममता किरण का परिचय सुश्री रिमझिम झा ने, राजेन्द्र निगम राज का परिचय डॉ संगीता शर्मा ने और सुश्री इन्दु राज निगम जी का परिचय सुश्री आर्या झा ने प्रस्तुत किया। सभी सदस्यों ने करतल ध्वनि से अतिथियों का स्वागत किया।
काव्य गोष्ठी प्रारम्भ करते हुए भावना पुरोहित ने- पंद्रह अगस्त हमारा स्वतंत्रता दिवस कविता प्रस्तुत की तो डॉ संगीता शर्मा ने- वीर शहीदों के बलिदानों से सिंचित धरती है यह कविता का पाठ करके माहौल को पूर्ण रूप से देशभक्तिमय बना दिया। सुश्री आर्या झा ने वीर हमारे, शहीद हो रहे सारे/फटती है छाती जब मांएं चीत्कारें जैसी ओजपूर्ण कविता सुनाई तो राजस्थान से उर्मिला पुरोहित ने पंद्रह अगस्त सन् सैंतालीस को आजादी हमने पाई का पाठ किया। सुहास भटनागर ने- आज स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव है/चेहरे पर मेरे दमक भी है जैसी कविता में स्वतंत्रता का मानवीकरण कर दिया तो दर्शन सिंह ने भगत, राजगुरु, सुखदेव सम्मानित लाल जैसी वीर रस से परिपूर्ण रचना सुनाकर श्रोताओं की तारीफ बटोरी।
गुरुग्राम, हरियाणा से गोष्ठी में सम्मिलित डॉ. बीना राघव ने- लिए तिरंगा हाथ में, उमंग चढ़े परवान/भावों से गुंजित जमीं, जय-जय हिन्दुस्तान जैसे दोहे में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया, वहीं बैंगलुरू से अमृता श्रीवास्तव ने- ऐ मिट्टी तेरे वतन की, तुझमें मां की खुशबू आती है, प्रस्तुत की। सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल से भारती सुजीत बिहानी ने- हमें अपने प्राणों से प्यारा है हिन्दुस्तान कविता का पाठ किया तो भागलपुर, बिहार से पिंकी मिश्रा ने- जहां कोस-कोस पर भाषा बदले/डेग-डेग पर पानी रचना प्रस्तुत की। मंजुला दूसी ने- सचमुच कितने बेबस हैं हम/फिर हादसा हुआ का पाठ किया तो संपत देवी मुरारका ने- मां तुमने मुझे क्यों मिटा दिया का वाचन किया।
कोलकाता से सुशीला चनानी ने- सुई ने धागे से कहा- मैं तुझे अपने घर में रखती हूं सुनाई तो कटक, उड़ीसा से रिमझिम झा ने एक सैनिक के मनोभावों को अपनी रचना में कुछ इस तरह पिरोया- घर लौट के ना आया तो मेरे हिस्से के गुड़ चावल छोटू को खिला देना। संतोष रजा गाजीपुरी ने- है ये मेरा वतन, एक अमन का चमन गज़ल का पाठ किया तो बिनोद गिरि अनोखा ने एक सैनिक की अंतिम इच्छा/बस इतना अरमान है सुनाकर सबको देशभक्ति के रंग में रंग दिया।
अजय कुमार पाण्डेय ने- थे खुले हृदय के द्वार सभी/कानों में मिश्री घोल दिया की बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी तो प्रदीप देवीशरण भट्ट ने- हम हैं फौजी, हमें जीने का हुनर आता है, रचना का पाठ किया। ज्योति नारायण ने-अमर शहीदों की धरती को नमन करो/बलिदानों का बीज भूमि में वपन करो का सस्वर पाठ करके सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। फरीदाबाद से संध्या तिवारी ने- आओ नमन हम करें आज उनको/हंस के दे दी शहादत वतन को, गीत को बहुत ही मधुर स्वर में प्रस्तुत किया और मंजु दुबे, दिल्ली के साथ युगल गीत प्रस्तुत करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सरिता सुराणा ने- आओ अमृत महोत्सव मनाएं/आजादी की गौरव गाथा गाएं, कविता का पाठ करके माहौल को देशभक्तिमय बना दिया। इनके अलावा डॉ. सुरभि दत्त, माधुरी मिश्रा, लखनऊ, गजानन पाण्डेय, गोविन्द मिश्र, हैदराबाद, चंद्रप्रकाश दायमा, जयपुर ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया।
विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र निगम राज ने- आज के शुभ दिन एक दीया हम और जलाएंगे/भारत माता के गौरव की गाथा गाएंगे, रचना का और अपनी गज़लों का बहुत ही सुन्दर ढंग से पाठ किया, वहीं इन्दु राज निगम ने अपने चिर-परिचित अंदाज में- गीत सदा हम आजादी के गाते जाएंगे तथा पंद्रह अगस्त आया, खुशियों के गीत गाएं जैसी खूबसूरत भावपूर्ण रचनाओं का पाठ करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अध्यक्षीय काव्य पाठ प्रस्तुत करते हुए श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने आजादी से सम्बन्धित घटनाओं को छंदबद्ध रचनाओं में आबद्ध करके श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। बहादुर शाह जफर के साथ घटित एक घटना को उन्होंने इस तरह प्रस्तुत किया- तोहफे में कटे शीश बेटों के जो पेश किए/कहा आप दोनों के लिए दो फूल हैं। उन्होंने अपनी गज़ल कुछ इस अंदाज़ में पेश की- क्या पता था मुल्क में ऐसी फजा हो जाएगी/आदमी से आदमीयत लापता हो जाएगी। डॉ संगीता शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया और राष्ट्र गान के साथ गोष्ठी सम्पन्न हुई।