हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रिवोल्यूशनरी राइटर्स एसोसिएशन के नेता पी वरवर राव को नियमित जमानत दे दी है। भीमा कोरेगांव मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के 22 फरवरी 2021 को मिली छह महीने की जमानत को स्थायी जमानत में बदल दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई कर रही ट्रायल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से वरवर राव को बाहर नहीं जाने की शर्त लगाई है। साथ ही कहा कि इस आजादी का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की जांच किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होनी करनी चाहिए और गवाहों से संपर्क भी नहीं किया जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जमानत चिकित्सा आधार पर दी गई। क्योंकि वरवर राव 82 वर्ष के हैं और उनकी चिकित्सा स्थिति को देखते हुए जमानत दी गई है। वरवराव को उपचार के विवरण के बारे में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सूचित करने का भी कोर्ट ने निर्देश दिया है।
इससे पहले वरवर राव की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई हुई। वरवर राव ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि खराब स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें स्थायी चिकित्सा जमानत दी जाये। न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति रवींद्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने सुनवाई की और उनकी जमानत को स्थायी जमानत में बदल दिया। जरूरत पड़ने पर जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया है।
मालूम हो कि वरवर राव भीमा कोरेगांव दंगा मामले में आरोपी है। अगस्त 2018 में एनआईए ने केंद्र सरकार को गिराने की साजिश में कथित रूप से सहयोगी बनने के आरोप में वरवर राव और सुधा भारद्वाज सहित 16 सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया था।