Basara IIIT: छात्रों की आत्महत्याओं का यह है कारण और निवारण…

तेलंगाना के ग्रामीण गरीब बच्चों को कॉर्पोरेट स्तर की तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित ट्रिपल आईटी (Basara IIIT) में लगातार आत्महत्याएँ क्यों हो रही हैं? ट्रिपल आईटी के लिए चयनित छात्र उच्च शिक्षा पूरा करने के लक्ष्य की ओर न बढ़ कर अपनी जान क्यों दे देते जा रहे हैं? यानी कहा जा रहा है कि व्यक्तिगत और स्वास्थ्य समस्याएं इसकी वजह हैं। लेकिन विश्लेषण से पता चलता है कि कैंपस का माहौल ही आत्महत्याओं की असली वजह है। अच्छी कक्षाएँ, महान शिक्षक और मानसिक उत्तेजना के लिए एक सुखद वातावरण ही छात्रों के प्रदर्शन में सुधार करता है और करेगा! लेकिन, ऐसी राय है कि निर्मल जिले के बासरा ट्रिपल आईटी परिसर में ये स्थितियां मौजूद नहीं हैं।

छात्रों पर प्रतिबंध/दमन

छात्रों का पूरा शैक्षणिक वर्ष कक्षाओं से हॉस्टल तक जाने, खाने और सोने में बीतता है। उनके पास कोई भी मनोरंजन की साधन नहीं है। इससे छात्र गंभीर मानसिक तनाव में रहते हैं। खेल, व्यायामशालाएँ और अन्य मानसिक रूप से उत्तेजक करने वाली गतिविधियाँ नाम मात्र हैं। पिछले साल छात्रों के आंदोलन के बाद से छात्रों पर प्रतिबंध/दमन बढ़ गये हैं। इसके बजाये यह कहना ठीक होगा कि प्रतिबंध/दमन बढ़ा दिया गया है। कुछ हद तक ये भी आत्महत्या के कारण प्रतीत होते हैं। पिछले साल 23 अगस्त को इंजीनियरिंग छात्र राठौड़ सुरेश ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए एक नोट लिखकर आत्महत्या कर ली थी। 18 दिसंबर को भानु प्रसाद नाम के एक और छात्र ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसके आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया।

आत्महत्याएं

इस शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में 14 जून को, वड्ला दीपिका नामक एक पीयूसी-1 छात्रा ने परीक्षा केंद्र में फोन लाने के लिए अधिकारियों की ओर से डांटा गया। इसके बाद उसने बाथरूम की खिड़की से लटककर आत्महत्या कर ली। अधिकारियों की काउंसलिंग के बीच ही वह बाथरूम में गई और आत्महत्या कर ली। इस घटना के अगले दिन यानी 15 जून को बुर्रा लिखिता नामक एक पीयूसी-1 छात्रा हॉस्टल बिल्डिंग की चौथी मंजिल से गिर गई और उसकी मौत हो गई। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि यह एक दुर्घटना थी, लेकिन कई संदेह व्यक्त किए गए। हाल ही में पीयूसी-1 के छात्र जाधव बब्लू ने हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। आधे घंटे पहले अपने पिता से फोन पर बात करने वाले जाधव बब्लू को अभी तक आत्महत्या के पीछे के कारणों का पता नहीं चल पाया है।

छात्रों की आत्महत्या के कारण

पिछले साल से अब तक पांच घटनाएं हो चुकी हैं और सभी मौतें रहस्य बनी हुई हैं। परिसर में चप्पे-चप्पे पर पाबंदियां लागू की जा रही हैं। मीडिया को अंदर जाने की इजाजत नहीं है। यहां तक ​​कि छात्रों के माता-पिता को भी छात्रावास और कक्षाओं का स्वतंत्र रूप से निरीक्षण करने की स्थिति नहीं हैं। अगर हम छात्रों की मौत के पीछे के कारणों पर नजर डालें तो यह तर्क दिया जाता है कि प्रतिबंधात्मक परिस्थितियों के अलावा, शैक्षणिक दबाव, व्यक्तिगत और स्वास्थ्य समस्याएं तथा प्रेम संबंध इन मौतों का कारण बन रहे हैं।

देखने और सोचने वाला कोई नहीं

बासरा ट्रिपल आईटी में नौ हजार छात्र पढ़ते हैं। पूर्णतः आवासीय परिसर होने के कारण छात्रावासों में वार्डन की भारी कमी है। नौ हजार छात्रों में से पांच हजार से अधिक छात्राएं हैं। छात्राओं के छात्रावासों में केवल चार वार्डन (देखभालकर्ता) हैं। लड़कों के छात्रावासों में कोई वास्तविक वार्डन नहीं हैं। सुरक्षा कर्मचारी ही हर चीज का ख्याल रखते हैं। प्रवेश द्वार पर सुरक्षा कर्मियों का पहरा रहता है। छात्र इमारतों में क्या कर रहे हैं!? कैसे रह रहे हैं!? इस बारे में देखने और सोचने वाला कोई नहीं है।

पूर्व-निवारक उपायों का अभाव

प्रमुख अधिकारी कभी-कभार कक्षाओं में जाने के अलावा छात्रावासों पर नज़र तक नहीं डालते। छात्रावासों में समग्र पर्यवेक्षण शून्य है। ऐसी राय व्यक्त की जा रही है कि यदि पर्यवेक्षण ठीक से किया जाये तो आत्महत्याओं को रोका जा सकता है। जब परिसर में कोई आत्महत्या की घटना होती है, तो भीड़ उमड़ पड़ती है। लेकिन आत्महत्या को रोकने के लिए पूर्व-निवारक उपायों का अभाव होता है। हालांकि मंत्री केटीआर और सबिता दो बार ट्रिपल आईटी बासरा परिसर में आए, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ।

ऑनलाइन के जरिए जागरूकता

बासरा ट्रिपल आईटी में छात्रों की लगातार आत्महत्या की पृष्ठभूमि में अधिकारियों ने एहतियाती कदम उठाए हैं। कुलपति वेंकटरमण ने गुरुवार को विश्वविद्यालय में एक ऐप पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जो छात्रों की मानसिक स्थिति और स्वास्थ्य देखभाल का अध्ययन करता है। अमेरिका के मशहूर प्रोफेसर और मनोचिकित्सक डॉ माइक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पद्धति से काम करने वाले इस ऐप के बारे में अधिकारियों को ऑनलाइन के जरिए जागरूक किया।

विशेषज्ञ विश्लेषण

बताया गया है कि इस ऐप के जरिए छात्रों की मानसिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ऐप के माध्यम से प्रश्नों का उत्तर देने के बाद विशेषज्ञ विश्लेषण के बाद डेटा के आधार पर छात्रों की मानसिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। डॉ माइक ने अधिकारियों को ऑनलाइन समझाया कि ऐप में 17 प्रश्न होंगे और उनके उत्तरों के आधार पर मानसिक स्थिति का आकलन किया जा सकता है और फिर उपचार के उपाय किए जा सकते हैं। अगर इसमें सफलता मिलती है तो बहुत अच्छी बात है।

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