हैदराबाद: युगधारा फाउन्डेशन लखनऊ की महाराष्ट्र इकाई के संयोजन में अभिव्यक्ति के अंतर्गत दो दिवसीय वार्षिक सम्मान समारोह, पुस्तक लोकार्पण, वैचारिक संगोष्ठी तथा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का सफल आयोजन नागपुर के होटल गुलशन प्लाज़ा में किया गया । इस कार्यक्रम में देश भर से आए 40 से अधिक रचनाकारों को सम्मानित किया गया।
आयोजकों ने आगे बताया कि उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो विश्वम्भर शुक्ल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में नगर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सागर खादीवाला और विशिष्ट अतिथि अजय पाठक उपस्थित रहे। पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता डॉ श्रीनिवास शुक्ल सरस ने की। मुख्य अतिथि डॉ प्रमोद शुक्ल तथा विशिष्ट अतिथि शिवमोहन सिंह रहे। सम्मान समारोह की अध्यक्षता डॉ सरस ने की। मुख्य अतिथि डॉ वीणा दाढ़े और विशिष्ट अतिथि एस पी सिंह रहे।
प्रथम सत्र में युगधारा फाउंडेशन की महामंत्री सौम्या मिश्र ने पिछले 6 वर्षो में संस्था द्वारा किये गये सामाजिक एवं साहित्यिक कार्यो का विवरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में प्रो विशंभर शुक्ल, रवि शुक्ल, मुकेश सिंह, विभा प्रकाश की पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। विभिन्न सत्रों का संचालन क्रमशः रामकृष्ण वि सहस्रबुद्धे, अविनाश बागड़े और डॉ चंद्रिका प्रसाद मिश्र ने किया। इसी अवसर पर संस्था की ओर से साहित्यकारों को विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया गया। हैदराबाद/मेरठ से पधारे वरिष्ठ साहित्कार प्रदीप डीएस भट्ट को शब्द शिल्पी सम्मान से सम्मानित किया गया।
अंतिम सत्र में बीकानेर से पधारे वरिष्ठ ग़ज़ल गो रवि शुक्ल की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में कृष्ण कुमार द्विवेदी, अर्चना अर्चन, पूनम मिश्रा, हेमलता मिश्रा मानवी, अरुण नामदेव, रूबी दास, प्रभा मेहता, मुकेश सिंह, बृजेश गुप्त, जयश्री कांत, धारा वल्लभ पांडे, मंजूषा किंजवादेकर, अनिल मालोकर, रामकृष्ण सहस्र बुढ्ढे, माधुरी मिश्र, बालकृष्ण महाजन, अमिता शाह सहित उपस्थित कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर प्रदीप डीएस भट्ट ने निम्नलिखित ग़ज़ल का पाठ किया।
‘मेरे अपने मिटाने पर तुले हैं’
सखा सब आजमाने पर तुले हैं
नया कुछ गुल खिलाने पर तुले हैं
जनम से नूर आँखों में नही है
मगर दर्पण दिखाने पर तुले हैं
कोई खतरा नही है मुझसे फिर भी
मुझे झूठा बताने पर तुले हैं
न जाने कौन आया ज़िंदगी में
जो सब मुझको हराने पर तुले हैं
कमी क्या रह गई मेरी वफा में
सभी जो भूल जाने पर तुले हैं
ज़रा सा सच ही तो बोला था मैंने
मेरे अपने मिटाने पर तुले हैं
कोई गल्ती नही है मेरी फिर भी
मेरा सर सब झुकाने पर तुले हैं
न जाने क्या है उनकी बेबसी भी
मरे को फिर जिलाने पर तुले हैं
के उनके दिल में क्या है वो ही जाने
मुझे सूरज बताने पर तुले हैं
कोई हो एक गर समझाऊँ उसको
सभी दिल को दुखाने पर तुले हैं
किसी का क्या बिगाडा बोलो मैंने
जो सब मुझको गिराने पर तुले हैं
मैं मुंसिफ हूँ मगर तुम ‘दीप’ देखो
मुझे मुज़रिम बताने पर तुले हैं
कार्यक्रम के अंत में फाउन्डेशन की महासचिव सुश्री सौम्या मिश्रा ‘अनुश्री’ व प्रणव मिश्र ने सभी का आभार व्यक्त किया।