हैदराबाद : आदिवासी देवता सम्मक्का और सारलम्मा दर्शन करने के लिए मंगलवार रात को लाखों लोग मेडारम पहुंचे हैं। तेलुगु राज्यों के साथ-साथ छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उड़ीसा के लाखों लोग पिछले तीन दिनों से मेडारम में रह रहे हैं। यह आदिवासी भक्त सम्मक्का और सरलम्मा के करुणामयी झलक पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के साथ तेलंगाना के संयुक्त वरंगल, संयुक्त खम्मम और संयुक्त नलगोंडा जिले हैं और संयुक्त करीमनगर जिले से हजारों की संख्या में लोग दो दिन पहले मेडारम पहुंच गये हैं।
इसी क्रम में आज (बुधवार) सारलम्मा और कल सम्मक्का चबूतरे (सिंहासन या गद्दा) पर विराजमान होगी। मेडारम जातारा का आज (बुधवार) पहला दिन है। कन्नेपल्ली स्थित सारलम्मा मंदिर से माता का प्रतिरूप हल्दी-कुंकुम के साथ मेडारम के लिए रवाना हई है। मेडारम स्थित सम्मक्का मंदिर के पास पगिडिद्दराजू और सम्मक्का की शादी होगी। इसके बाद सारलम्मा सिंहासन पर विराजमान होगी। पगिडिद्दराजू पूनगोंड्ला में और गोविंदराजू कोंडाई विराजमान है। ये दोनों बुधवार को चबूतरें पर आएंगे। रात 10 बजे तक दोनों के पहुंचने की संभावना है। लगभग 80 किलोमीटर वन मार्ग से आ रहे हैं।
गुरुवार को सम्मक्का का आगमन
दूसरे दिन यानी गुरुवार को चिलुकलगुट्टा में कुंकुम भरणी के रूप में विराजमान सम्मक्का को लेकर मेडारम स्थित गद्दे पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। मुलुगु जिले के पुलिस अधीक्षक हवा में तीन राउंड फायरिंग करके माता के आने के संकेत देंगे। माता के आने वाले मार्ग रंगोली से सजाया जाएगा। इस दौरान भक्त झूम उठेंगे।
शुक्रवार को भेंट समर्पण
तीसरे दिन सम्मक्का-सारलम्मा सिंहासन पर विराजमान होंगे और भक्तों को दर्शन देंगे। इस दौरान भक्त माताओं को हल्दी, केसर, तैलीय चावल और गुड़ चढ़ाएंगे।
शनिवार को वन में प्रवेश
चौथे दिन की शाम को सभी देवताओं को आह्वान कर वापस वन में ले जाएंगे। यह समारोह सरकारी औपचारिकताओं के साथ आयोजित किये जाएंगे। यह कार्यक्रम वंश पारंपारिक रूप से आ रहे आदिवासी पुजारियों की ओर से किये जाएंगे।