विशेष लेख: हम इसलिए करते हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय भगवान दीन दिवाकर जी को सादर नमन

[नोट- इस तरह के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की रचनाओं का ‘तेलंगाना समाचार’ स्वागत करता है। ]

पूरे देश के गौरव, धोबी समुदाय के पुरोधा जो केवल मौखिक इतिहास बनकर रह गए जबकि देश की आजादी में उनका भी अतुलनीय योगदान रहा है। हम बात कर रहे हैं स्वर्गीय भगवान दीन दिवाकर पुत्र स्वर्गीय बल्देव प्रसाद सुपौत्र स्वर्गीय बिहारीलाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की।

इनका जन्म नसिरापुर बिल्हौर कानपुर (देहात) में सन् 1912 को धोबी समुदाय में हुआ था। इन्होंने देश व समाज की सेवा की। देश को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। इस दौरान दो बार जेल की सख्त यातनाएं व एक दर्जन बेंतो की सजा भी भोगी।

स्वतन्त्र भारत में भी कई बार जेल, समाज की परेशानियों को दूर करने के लिए भी काफी यातनाएं भोगी। इनका सर्वगवास दिनांक 26/10/1986 को रात्रि 11:00 बजे निज निवास पर हुआ। इनकी स्मृति में गांव में एक स्मारक का निर्माण पत्नी श्रीमती रामरती व पुत्रों- राम सजीवन दिवाकर व चन्द्र दिवाकर द्वारा इनके भाई रामदयाल आजाद जी सेवा निवृत अधिकारी की संरक्षकता में कराया।

इस स्मारक का शिलान्यास माननीय सी. यल-मराल (तत्कालीन अपर जिलाधिकारी) के कर कमलों द्वारा गुरु गुलाब दास तथा परिवार के सदस्यों की संरक्षकता में दिनांक 06/11/1986 को सम्पन्न हुआ। ऐसे महान नायक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय भगवान दीन दिवाकर जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि व नमन।

डॉ. नरेन्द्र दिवाकर मो. 9839675023 सुधवर, चायल, कौशाम्बी (उ. प्र.)

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