‘कंपास’ का लोकार्पण और डॉ चुंडूरी कामेश्वरी के रोचक व प्रेरणादायक अनुभव

[नोट- ‘कंपास’ के संदर्भ में अपने रोचक व प्रेरणादायक अनुभव को ‘तेलंगाना समाचार’ के साथ साझा करने के लिए डॉ चुंडूरी कामेश्वरी जी के प्रति आभारी है- संपादक]

एक परिचय

वर्ष 2006 में अभया फाउण्डेशन की स्थापना हुई। आर्थिक विपन्नता के बीच पढ़ने-लिखने को तत्पर नवयुवक चाहे अनाथ हो या सनाथ, गरीब या बीमार, अभया के आश्रय में अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए स्वावलंबी बन सकता है। बिना किसी भेदभाव के अभया आवश्यकतानुसार शिक्षा-शुल्क, अन्न, वस्त्र, पीने का पानी, दवाइयाँ, स्कूल की किताबें, आदि प्रदान करती है ताकि वे समाज के लिए प्रत्युत्तर में कुछ कर सकें। पिछले 17 वर्षों में अभया ने एक लाख से भी अधिक लोगों के जीवन को आलोकित किया है। शिक्षा, सशक्तिकरण और जागरुकता के ध्येय के साथ आगे ही आगे बढ़ रही है।

संस्थापक

अभया फाउण्डेशन के संस्थापक स्वामी बालचंद्रा विज्ञान में स्नातक, न्याय शास्त्र में पारंगत होकर, आई. सी. एस. आई. के सदस्य बने। कंपनी सेक्रेटरी का काम करते हुए अपने साथी मित्रों के लिए तन-मन से देश को समर्पित होकर सामाजिक कार्यों के लिए नौकरी छोड़कर अभया फाउंडेशन की स्थापना की। उन्होंने इब्राहिमपटनम, हैदराबाद में स्थित अभया आनंद निलयम को मंच बनाकर, भगवान श्री सत्य साई बाबा की दिव्य प्रेरणा से छात्रों के लिए एक उपयोगी पुस्तक लिखने का कृत संकल्प किया। जब विश्व भर की मानव जाति कोविड 19 (करोना) महामारी की चपेट में एकांत निवास करने को बाध्य थी तब उन्होंने 63 दिनों की स्थिति का सदुपयोग किया और समाज कल्याण के उद्देश्य से ‘कंपास’ पुस्तक रचना करना प्रारंभ किया।

देश के प्रति प्रेम के साथ सदा समर्पित बालचंद्रा जी, ‘लोका समस्ता सुखीनो भवंतु’ की कामना करते हैं। धर्म स्थापना के लिए यथा आदिशंकराचार्य एक निश्चित पथ पर अग्रसर होकर भारत भ्रमण किया था। उसी पथ का अनुसरण करते हुए बालचंद्रा भी भारत दर्शन के लिए चल पड़े। हर पल तन-मन को पुनीत करती हुई यह यात्रा 180 दिनों में पूर्ण हुई 23 राज्यों, चार देशों का भ्रमण करते हुए हर कदम ईश-कृपा के साथ-साथ यथार्थ भारत के दर्शन किये। अभया यानि बालचंद्रा, बालचंद्रा यानी अभया, दोनों एक-दूसरे के पर्याय हैं। बालचंद्रा जी के दिल की धड़कन है– अभया। जिसके लिए दिन-रात, अथक परिश्रम करते हुए, उसकी प्रगति में अपनी खुशी पाते हैं।

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‘कंपास’ सही दिशा की ओर

विद्यार्थी दशा में अनेक ऐसी समस्याएँ होती हैं, जिनका समाधान आसान नहीं परंतु असंभव भी नहीं। स्वामी बालचंद्रा ने ऐसे 63 समस्याओं को पहचाना, उसके समाधान, सूत्रों, प्रेरक प्रसंगों सहित प्रस्तुत करते हुए, सर्वप्रथम तेलुगु भाषा में वर्ष 2023 में प्रकाशित किया। वर्ष 2024 में TGRSJC (हसनपर्ति और बंडारुपल्ली) के सहयोग से अंग्रेजी में और उन्हीं के सहयोग से वर्ष 2025 हिंदी में ‘कंपास’ प्रकाशित हुई।

जनवरी 27, 2025 को अभया फाउण्डेशन के 18 वें धन्यवाद ज्ञापन समारोह में तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा जी के कर कमलों से इसका लोकार्पण हुआ। श्री त्रिदंडी श्रीमन्नारायण रामानुज चिन्ना जीयर स्वामी की दिव्य उपस्थिति से सभागार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। उन्होंने मंगलकामनाओं और आशीर्वाद से सभी को पुनीत किया।

कंपास की अनुसृजनकर्ता डॉ. चुंडूरी कामेश्वरी का कहना है, ‘कंपास’ को शायद मेरे ही हाथों आकार पाना था। कोई कार्य अकारण नहीं होता। होनी को कोई टाल नहीं सकता। स्वामी जी ने कंपास की समीक्षा करने हेतु मेरे हाथों में सौंपा था। वर्तनी, वाक्य संरचना, शब्दों का हेर-फेर करती, पंक्तियाँ सजाते-सजाते मैं समीक्षक से कब अनुसृजनकर्ता बन गई, पता ही नहीं चला। श्रीमती राजकुमारी ने इस का पालन-पोषण करना आरंभ किया था, श्रीमती नर्मदा ने भरसक साथ दिया और स्वामी जी के सकारात्मक पहल से ये लोकार्पण को प्रस्तुत हुई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के करकमलों से कंपास का पुनः लोकार्पण

उत्तर भारत के नवयुवकों में भी परिवर्तन लाने के मुख्य उद्देश्य से सरकारी स्कूलों में कंपास की अंग्रेज़ी और हिंदी की 10,000 प्रतियों को नि:शुल्क वितरित करने की आकांक्षा से तत्पर स्वामी बालचन्द्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी से मिलने का भरसक प्रयास किया। आधुनिक भारत के सफल शिल्पकार के नाम से जाने जाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से 18 फरवरी 2025 को उनके आवास पर सायं 4.30 बजे मिलने का सुअवसर प्राप्त हुआ।

कुंभ मेले और बजट सत्र के कारण योगी जी अत्यंत व्यस्त थे। अपने व्यस्ततम समय में भी उन्होंने अनेक विशेष अतिथियों के लिए निश्चित समय में भी समय निकालकर स्वामी बालचन्द्रा, डॉ चुंडूरी कामेश्वरी (हिंदी कंपास की अनुसृजनकर्ता) और कु. किशोर को अनेक सुरक्षा प्रतिबंधनों के बीच उनकी कक्ष में आने की अनुमति प्रदान की। स्वामी बालचन्द्रा जी के अभया फाउंडेशन का संक्षिप्त परिचय देते हुए सेवा कार्यक्रमों के बारे में बताया और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच योगी जी का सम्मान किया।

भारतीय संस्कृति को उजागर करता हुआ योगी जी का व्यक्तित्व हम सभी के लिए प्रेरणादायक और अनुकरणीय है। बड़ी सहनशीलता के साथ उन्होंने हमें सुना और अनेक विषयों की जानकारी प्राप्त की। योगी जी से हमारी यह मुलाकात हमारे जीवन के सुनहरे पलों में एक बना रहेगा। इन स्मृतियों को हम सदा संजोकर रखेंगे। भारत माता की सेवा के लिए सदा तत्पर स्वामी बालचंद्रा अपने जीवन में और ऊँचाइयों को छुएँ यह हम सभी की मनोकामना है।

गौरतलब है कि दो दशक से भी कम समय में अभया फाउंडेशन अपने सामर्थ्य से 16 राज्यों में सेवाएँ प्रदान कर रहा है। शिक्षा, चिकित्सा, जागरूकता अभियान, प्राकृतिक आपादाओं, आपतकालीन सेवाओं के साथ-साथ युवा कौशलों का विकास तथा रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान रखते हुए अब तक हजारों युवाओं के जीवन में बहार ला चुका है। क्रियात्मक कौशलों का प्रयोग करते हुए इन्होंने मानवता के लिए अनुपम दृष्टांत प्रस्तुत किए। अनेक वर्षों से इनकी वाणी लोगों के अन्तरमन को झंकृत करते हुए मंत्रतुल्य बन गई है। अभया फाउंडेशन ने अनेक बेसहारा लोगों की अतुलनीय सेवा की है।

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