‘पोशम्पा’ का हुआ विमोचन, डॉ शर्मा बोले- “बच्चों को भाषा-संस्कारों के साथ बड़ा करना चाहिए”

इंदौर (मप्र): हिन्दी बहुत ही वैज्ञानिक भाषा है। हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। भारतीय साहित्य बहुत ही समृद्ध है। इसी समृद्ध परंपरा को हमें अपनी नई पीढ़ी को हस्तांतरित करना चाहिए। यह कुछ पढ़कर और कुछ लिख कर हो सकता है। इसका एक उदाहरण है ‘विमोचन’ शब्द। लोग सिर्फ समाचारों में पुस्तक विमोचन का अर्थ पढ़ते हैं और उसे पुस्तक से जोड़कर देखते हैं, परंतु अपने बच्चों को भाषा-संस्कारों के साथ बड़ा करना चाहिए। ऐसे में बाल साहित्य की भाषा ही हमारी हिन्दी की दिशा प्रशस्त करेगी। बाल अधिकारों के प्रति चेतना जगाने के लिए ‘पोशम्पा’ का प्रकाशन अच्छा प्रयास है।

यह बात बाल काव्य संग्रह ‘पोशम्पा’ का विमोचन करते हुए ‘वीणा’ पत्रिका के सम्पादक डॉ. राकेश शर्मा ने मुख्य अतिथि स्वरूप कही। विमोचन कार्यक्रम तक्षशिला परिसर स्थित मीडिया भवन में किया गया। इस पुस्तक का पूर्ण सम्पादन वरिष्ठ पत्रकार और सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने किया है। पुस्तक पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला (देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर) तथा ‘यूनिसेफ’ की परियोजना के तहत प्रकाशित की गई है। हिन्दी की सेवा हेतु साहित्य अकादमी मप्र से अलंकृत हिन्दीभाषा डॉट कॉम द्वारा इस हेतु सभी साहित्यकारों के बीच प्रतियोगिता आयोजित की गई।

प्रतियोगिता में प्राप्त बहुत-सी रचनाओं में से चयनित को ‘पोशम्पा’ में प्रकाशित किया गया है। पुस्तक का नाम ‘पोशम्पा’ रखने का कारण बच्चों से जुड़ाव बताता है। अजय जैन ‘विकल्प’ ने बताया कि, प्राप्त रचनाओं में अनेक आलेख भी थे, परंतु एक प्रकार की रचनाओं कविताओं का प्रकाशन संभव हो पाया है।

विभागाध्यक्ष डॉ. सोनाली नरगुन्दे ने कहा कि इस माध्यम से विभाग, विश्वविद्यालय व साहित्यकार एक मंच पर आ पाए हैं। विभाग में भाषा को लेकर बहुत से प्रयोग होते रहते हैं। इनमें बाल साहित्य से लेकर सभी सेनानियों पर पुस्तकें निकालने का संकल्प चल रहा है। यूनिसेफ बच्चों के लिए कार्यरत है। ऐसे में साहित्य सृजन का यह कार्य सराहनीय है।

पुस्तक विमोचन के अवसर पर रचनाकार डॉ. सपना साहू ‘स्वप्निल’, वरिष्ठ पत्रकार स्मृति जोशी, डॉ. नीलमेघ चतुर्वेदी, डॉ. मनीष काले और जितेंद्र जाखेटिया सहित विद्यार्थीगण भी उपस्थित रहे।

मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन, मार्गदर्शक डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’, सरंक्षक डॉ. अशोक जी (बिहार), परामर्श दाता डॉ. पुनीत द्विवेदी (मप्र), विशिष्ट सहयोगी एच.एस. चाहिल व प्रचार प्रमुख ममता तिवारी ‘ममता’ (छग) ने सभी विजेताओं और सहभागी रचनाकारों को हार्दिक बधाई दी है। कार्यक्रम के संचालन और आभार की जिम्मेदारी डॉ. नरगुंदे ने बखूबी निभाई।

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