प्रो पी माणिक्यांबा ‘मणि’ के पुस्तक ‘दक्षिण का वैष्णव भक्ति साहित्य : भक्त कवि अन्नमाचार्य’ पुस्तक लोकार्पित

हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र के बहुउद्देशीय सभागार में प्रसिद्ध विद्वान और आलोचक प्रो पी माणिक्यांबा ‘मणि’ की नई पुस्तक ‘दक्षिण का वैष्णव भक्ति साहित्य : भक्त कवि अन्नमाचार्य’ का लोकार्पण कार्यक्रम संपन्न हुआ।

इस अवसर पर हैदराबाद विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की प्राध्यापिका प्रो सी अन्नपूर्णा, केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ गंगाधर वानोडे, उस्मानिया विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शुभदा वांजपे, कवयित्री सुश्री सुनीता लुल्ला और कवयित्री डॉ. सुरभि दत्त विद्वान उपस्थित रहे।

अपने लेखकीय वक्तव्य में प्रो पी माणिक्यांबा ‘मणि’ ने भक्ति आंदोलन के विस्तार और अन्नमाचार्य के साहित्य के बारे में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि तेलुगु साहित्य में पहली बार पदों की रचना अन्नमाचार्य के पदों से ही शुरू होती है। इनके पद आज भी बेहद लोकप्रिय और कर्नाटक साहित्य के रूप में गाए जाते हैं। इनके पदों को आशा भोसले से लेकर शास्त्रीय संगीत गायक एम एस सुब्बलक्ष्मी तक ने आवाज दी है।

इसके अलावा उन्होंने हिंदी के कृष्ण भक्ति साहित्य पर अन्नमाचार्य के पदों के प्रभाव के बारे में विस्तार से बात रखी और यह कहा कि हिंदी का कृष्ण भक्ति साहित्य बहुत हद तक अन्नमाचार्य के पदों से प्रभावित है और कहीं तो अनुवाद के रूप में मिलता है। अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने यह आशा व्यक्त की है कि यह पुस्तक भक्ति साहित्य और दक्षिण के वैष्णव काव्य परंपरा को समझने में एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

हैदराबाद केंद्र के निदेशक डॉ गंगाधर वानोडे ने इस पुस्तक के बारे में अपने विचार रखें। उन्होंने उत्तर भारत के कृष्ण भक्ति साहित्य और दक्षिण के वैष्णव भक्ति साहित्य की समानता और प्रभावों के बारे में बात की। उन्होंने ने कहा कि यह पुस्तक भक्ति आंदोलन को समझने में नई दृष्टि प्रदान करती है। आत्मीय अतिथि के रूप में उपस्थित कवयित्री सुश्री सुनीता लुल्ला और डॉ सुरभि दत्त ने अपने वक्तव्य में पुस्तक लेखिका को आशीर्वचन दिया और उनके इस महत्वपूर्ण कार्य की सराहना की।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो सी अन्नपूर्णा ने इस पुस्तक के संदर्भ में कहा कि इस कृति के माध्यम से हमें दक्षिण भारत के वैष्णव भक्ति साहित्य के बारे में जानकारी तो मिलती ही है। इसके अलावा भक्त कवि अन्नमाचार्य के दार्शनिक चिंतन के बारे में नई जानकारी मिलती है जो भक्ति आंदोलन को समझने में एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

आगे उन्होंने कहा कि जिस तरह से महाराष्ट्र के भक्त कवियों के अभंग, लोकगीत मिलते हैं वैसे ही भक्त कवि अन्नमाचार्य के भी पद लोक जनमानस में रचे हुए हैं और अंत में इस पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसके माध्यम से दक्षिण के वैष्णव भक्ति साहित्य को नए नज़रिए से समझा जा सकता है।

इस अवसर पर केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा से वर्ष 2017-18 में शिक्षित विदेशी विद्यार्थी अफगानिस्तान के मोहम्मद फ़हीम तथा आर्मेनिया से सुश्री अलिना ख़लगथियान उपस्थित रहे। वे दोनों इफ्लू, हैदराबाद में आचार्य (पी-एच.डी.) के लिए पंजीकृत हुए और शोध कार्य कर रहे हैं। इस कार्यक्रम का सफल संचालन केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद केंद्र की वरिष्ठ सदस्या डॉ एस राधा ने किया। इस अवसर पर 466वें नवीकरण पाठ्यक्रम महाराष्ट्र राज्य के हिंगोली जिले के प्रतिभागी गण मौजूद रहे हैं।

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