गणतंत्र दिवस विशेष: वियतनाम के राष्ट्रपति ने मरणोपरांत लिखवाया- “यह है Dr BR Ambedkar के शिष्य की समाधि”

भारत रत्न और संविधान निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर के बारे में हम सब जानते हैं। भीमराव रामजी अम्बेडकर (14 अप्रैल 1891–6 दिसंबर 1956) डॉ बाबासाहब अम्बेडकर नाम से भी लोकप्रिय है। गणतंत्र दिवस के संदर्भ में हम यहां अंबेडकर के दो-तीन प्रासंगिक घटनाओँ का जिक्र करने का साहस कर रहे हैं।

वियतनाम दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक है। इस छोटे से देश ने अमेरिका जैसे मजबूत देश के खिलाफ लंबी लड़ाई के बाद जीत हासिल की थी। करीब बीस साल तक चले उस युद्ध में अमेरिका हार गया। वियतनाम की अमेरिका पर जीत हासिल करने के बाद एक पत्रकार ने वियतनामी राष्ट्रपति से एक सवाल किया।

दुनिया के ताकतवर अमेरिका हराया

सवाल यह था कि आपने युद्ध कैसे जीता यानी दुनिया के ताकतवर अमेरिका जैसे देश को कैसे हराया? वियतनामी राष्ट्रपति ने पत्रकार के सवाल का जवाब दिया, “दुनिया के सबसे बड़े शक्तिशाली देश अमेरिका को हराने से पहले मैंने भारत के एक महान नेता की जीवनी पढ़ी थीं। और उस नेता के जीवनी से प्रेरणा लेकर अमेरिका पर लंबी मगर आसानी से जीत हासिल की है।”

अंबेडकर की प्रेरणा

उस पत्रकार को फिर जिज्ञासा हुई। उसने फिर सवाल किया, “भारत देश का वह महान नेता कौन है? वह किसकी जीवनी है?” वियतनामी अध्यक्ष ने खड़े होकर बड़े गर्व के साथ जवाब दिया, “नेताओं की धमकियों के खिलाफ लड़ने वाले भारत देश के महान नेता भीमराव अंबेडकर है। मैंने उनकी जीवनी से प्रेरणा ली है।” राष्ट्रपति जब भीमराव अम्बेडकर के नाम का उच्चारण कर रहे थे तब उनकी आंखों में एक वीरता की चमक बिखर रही थी।

वितयतनाम जन्म लेते तो पूरे विश्व पर राज करते

राष्ट्रपति ने आगे कहा, “इतना महान व्यक्ति यदि वितयतनाम जन्म लेता तो, हम इस समय पूरे विश्व पर राज करते।” इसके कुछ साल बाद उस राष्ट्रपति का निधन हो गया। तब उसने अपने समाधि पर लिखवा लिया, “यह भीमराव अंबेडकर के शिष्य की समाधि है।”

वियतनाम के विदेश मंत्री का भारत का दौरा

इसके बाद वियतनाम के विदेश मंत्री भारत के दौरे पर आये। परंपरा और घोषित कार्यक्रम के अनुसार, वियतनाम के विदेश मंत्री को पहले लाल किला और बाद में गांधीजी की समाधि दिखाई गई। यह सब देखने बाद विदेश मंत्री ने वहां पर मौजूद नेता और अधिकारियों से पूछा, “इस देश के महान नेता भीमराव अम्बेडकर का समाधि कहां है?” यह सुनकर नेता और अधिकारी आश्यर्च चकित हो गये। अधिकारियों ने विदेश मंत्री को मुंबई के दादर स्थित चैत्य भूमि के बारे में बताया।

थैले में भर ली मिट्टी

वियतनाम के विदेश मंत्री मुंबई पहुंचे और बाबासाहेब अम्बेडकर की समाधि के दर्शन किये। समाधि को देखने के बाद विदेश मंत्री ने समाधि के पास से कुछ मिट्टी उठा ली और उसे अपनी थैली में भर लिया। इसे देखकर वहां पर मौजूद पत्रकारों ने उनसे पूछा कि यह मिट्टी थैली में क्यों भर ली है? जवाब में वियतनामी विदेश मंत्री ने कहा, ”इस धरती की मिट्टी पर बाबा साहेब अम्बेडकर के पैर पड़े हैं। इस मिट्टी में एक महान नेता ने जन्म लिया है। मैं इस मिट्टी को मेंरे देश की मिट्टी में मिला दूंगा। इसके बाद मेरे देश में अंबेडकर जैसे महान व्यक्ति जन्म लेंगे।” इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि अंबेडकर कितने महान व्यक्ति थे।

डॉ बीआर अंबेडकर ने देश में दलित बौद्ध आन्दोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। ऐसे महान अंबेडकर केवल स्वदेश ही नहीं विदेशों में भी अपनी एक पहचान और छाप छोड़ी है। (संकलन)

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