मुनुगोडु उपचुनाव पर विश्लेषण: हूजूराबाद की तरह नहीं आएगी पैसों की बाढ़, होगा जनता का रुपया बर्बाद

हैदराबाद: हाल ही में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने वाले कोमटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी ने सोमवार को विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया। राजगोपाल रेड्डी ने अपना इस्तीफा सीधे तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष पोचारम श्रीनिवास रेड्डी को सौंपा। इसके साथ ही मुनुगोडु उपचुनाव अपरिहार्य हो गया। यह उपचुनाव कब होने वाला है इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में उत्साह है। मुनुगोडु में उम्मीदवार को उतारने के लिए राजनीतिक दलों ने पहले ही काम शुरू कर दिया है। इस संदर्भ में ताजा जानकारी यह है कि नवंबर में हिमाचल प्रदेश और दिसंबर में गुजरात में चुना होने वाले है। केंद्रीय चुनाव आयोग (सीईसी) नवंबर महीने में मुनुगोडु उपचुनाव कराने की संभावना है।

इस बीच मुनुगोडु उपचुनाव का मुद्दा दिन-ब-दिन गर्म होता जा रहा है। टीपीसीसी अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने हाल ही में चुंडुर में आमसभा करके उपचुनाव का प्रचार शुरू कर दिया है। कोमटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी भी इस महीने की 21 तारीख को चौटुप्पल में एक विशाल सभा करने वाले है। सत्तारूढ़ टीआरएस इस उपचुनाव को लेकर मौन ऑपरेशन कर रही है। क्योंकि टीआरएस हुजूराबाद में उतावलेपन और हार के अनुभव के आधार पर सोच समझकर कदम उठा रही है। फिर भी मंत्री जगदीश रेड्डी तीन महीने से इस उपचुनाव की व्यवस्था करने में लगे हैं। एक दो दिन में पर्दे के पीछे टीआरएस की ओर से किये गये प्रयासों का खुलासा हो जाएगा।

चौटुप्पल में भाजपा की आमसभा

उम्मीद के मुताबिक ही इस महीने के पहले हफ्ते इस्तीफे की घोषणा करने वाले राजगोपाल रेड्डी ने उपचुनाव से संबंधित काम शुरू कर दिया है। राजगोपाल रेड्डी अब तक एक दुविधा में थे। अब आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प लिया है। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का भविष्य भी साफ हो जाएगा। उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए सोनिया गांधी को एक पत्र भेज दिया। साथ ही अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा से मुलाकात की और इस महीने की 21 तारीख को पार्टी में शामिल होने की तारीख को अंतिम रूप दिया। राजगोपाल रेड्डी ने बताया कि वह चौटुप्पल में 3 लाख लोगों के साथ आमसभा करने वाले हैं। इस मौके पर कांग्रेस और टीआरएस के अनेक नेता और कार्यकर्ता भी बीजेपी में शामिल होने की संभावना है।

उत्साह भरी सभा

कांग्रेस के लिए मुनुगोडु एक मजबूत निर्वाचन क्षेत्र है। अपना नियंत्रण और विश्वास बनाए रखने के लिए शुक्रवार को हुई आमसभा ने पार्टी कैडर में नया उत्साह से भर दिया है। जबकि उम्मीद की जा रही थी कि राजगोपाल के रेड्डी इस्तीफे से पूरी पार्टी खाली हो जाएगी यानी उनके साथ चली जाएगी। मगर सभा में लोगों की भीड़ और कांग्रेस जिंदाबाद सोनिया गांधी जिंदाबाद के नारों को देखने पर ऐसा कुछ नजर नहीं आया। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को पार्टी में बने रहने और रखने के लिए बैठक आयोजित की गई थी, जो सफल रही है। रेवंत ने घोषणा की कि वह उपचुनाव में उम्मीदवार को जीता ने के लिए हर युवा से मिलेंगे और हर गांव जाएंगे। आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत उम्मीदवार चेरुकु सुधाकर उपलब्ध होने के चलते संघर्षरत कांग्रेस को बड़ी राहत मिली है। कुछ दिनों के भीतर निर्वाचन क्षेत्र में पांच सदस्यीय रणनीति और अभियान समिति का गठन किया जाएगा। इसके साथ ही मुनुगोडु उपचुनाव की गर्माहट दिन ब दिन बढ़ती जाएगी।

टीआरएस मौन ऑपरेशन

राजगोपाल रेड्डी के इस्तीफा देने और उपचुनाव के आह्वान के बारे में सत्तारूढ़ टीआरएस के पास छह महीने पहले से ही है। इसी क्रम में टीआरएस ने उनकी गतिविधियों पर नजर रखी। परिणाम मंत्री जगदीश रेड्डी को स्थानीय विकास और कल्याण कार्यक्रमों को उनके हाथ में दे दिया। अब जगदीश रेड्डी यह कहते हुए हुए आगे बढ़ रहे है कि उनके लिए जितना सूर्यापेट प्यारा है, उतना ही प्यारा मुनुगोडु भी है। कल्याण लक्ष्मी चेक वितरण और दलित बंधु योजना को बढ़ावा देने जैसे कार्यक्रमों में मंत्री खुद शामिल हुए। उधर, निर्वाचन क्षेत्र में गुटबाजी को पटरी पर लाने का काम भी शुरू कर दिया। मंत्री ने सभी मंडलों के अध्यक्ष और प्रमुख नेताओं के साथ सीधे संबंध स्थापित किए और बड़ी संख्या में कांग्रेस से पलायन को प्रोत्साहित किया। उन्होंने एक तरफ सरकारी मशीनरी और दूसरी तरफ पार्टी सिस्टम को अपने नियंत्रण में लाने का काम किया। राजगोपाल रेड्डी भले ही कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन पूरा मामला सत्तारूढ़ टीआरएस के हाथ में होने की बात को लोगों में ले जाने में सफल रहे है। इन घटनाक्रमों को देखकर विधायक राजगोपाल रेड्डी ने कई प्लेटफार्मों पर मंत्री जगदीश रेड्डी पर निशाना भी साधा। चौटुप्पल सभा में मंत्री के हाथ से माइक छीनने वाले राजगोपाल रेड्डी विवादित हो गये।

उपचुनाव से जनता का पैसा बर्बाद

राजगोपाल रेड्डी ने भले ही इस्तीफे दे दिया गया है। लेकिन टीआरएस अब तक बिना किसी घोषणा के चुप्पी साधी बैठी है। इस समय टीआरएस एक ओर पार्टी, अन्य दलों की ताकत और कमजोरी, सबसे अच्छा ताकतवर उम्मीदवार कौन हो सकता है, अन्य दलों के उम्मीदवार कौन हैं, उनकी ताकत और कमजोरी जैसे विषयों पर सर्वेक्षण और फ्लैश सर्वेक्षण ध्यान केंद्रीय किया है। खबर है कि मंत्री जगदीश रेड्डी की ओर से कुछ महीनों इसी के अंतर्गत किये प्रयासों का एक दो दिन में खुलासा हो जाएगा। एक बात साफ है कि सीएम केसीआर ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बहुत लंबी बात की। लेकिन मुनुगोडु के बारे में एक भी शब्द नहीं कहा है। इससे पार्टी के मौन ऑपरेशन का राज स्पष्ट होता है कि मुनुगोडु को लेकर हुजूराबाद की तरह टीआरएस हंगामा नहीं करना चाहती है। अर्थात हुजूराबाद की तरह पैसा बहने वाला नहीं है। क्योंकि उसे मालूम है यह निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ है।

उपचुनाव से जनता का पैसा बर्बाद

राजगोपाल रेड्डी जानबूझकर इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो रहे है। वैसे तो अब यह मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस बीच है। फिर भी टीआरएस हाथ आये मौके को छोड़ना नहीं चाहती है। टीआरएस एक रणनीति के तहत उपचुनाव लड़ने की सोच रही है। वैसे तो बीजेपी को भी निर्वाचन क्षेत्र पर ज्यादा उम्मीद नहीं है। जीत और हार से बीजेपी को कोई लेना देना नहीं है। लेना देना है तो केवल राजगोपाल रेड्डी और कांग्रेस को है। ऐसा लगता है कि बीजेपी जीत भी लेती है तो पांच साल के लंबित विकास कार्य एक साल में पूरा करना अब किसी भी दल के लिए असंभव है। यानी राजपोगाल रेड्डी ने जिस विकास की उम्मीद से इस्तीफा दिया है वह होने वाला नहीं है। हूजूराबाद की तरह पैसा बहने वाला भी नहीं है। पैसा तो जनता का पैसा बर्बाद होगा। क्योंकि यह उपचुनाव जानबुझकर लोगों पर थोपा जा रहा है।

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