तेलंगाना में हड़कंप मचाने वाले फोन टैपिंग मामले में पुलिस ही गवाह और अब उनके बयान ही सबूत बन गये हैं। एसआईबी और टास्क फोर्स में काम कर चुके कर्मियों की पूछताछ में जांच टीम ने अहम तथ्य सामने लाये हैं। अब पुलिस अधिकारियों ने नष्ट हो चुकी कंप्यूटर हार्ड डिस्क के प्रतिस्थापन की खरीद पर ध्यान केंद्रित किया है।
फोन टैपिंग मामले में मुख्य आरोपी पूर्व डीएसपी दुग्याला प्रणीत राव ने महत्वपूर्ण हार्ड डिस्क को नष्ट कर दिया। इसलिए जांच टीम ने वैकल्पिक साक्ष्य जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया। यह फील्ड स्तर के पुलिसकर्मियों से बयान एकत्र करने में लगा हुआ है, जो पहले विशेष खुफिया शाखा के साथ-साथ हैदराबाद टास्क फोर्स के साथ भी काम कर चुके हैं।
फोन टैपिंग मामले के दौरान एसआईबी में काम करने वाले इंस्पेक्टरों, एसएसआई और अन्य कर्मियों के बयान एकत्र करना है। साथ ही जांच अधिकारियों ने गट्टूमल्लू सहित अन्य पुलिसकर्मियों के बयानों सहित फील्ड ऑपरेशन, नकदी तस्करी और अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिन्हें मजबूत सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा लगता है कि करीब 35 लोगों से बयान लिए जा चुके हैं। इन बयानों से पता चला है कि कोई भी अवैध गतिविधियां पूर्व एसआईबी प्रमुख प्रभाकर राव और टास्क फोर्स के पूर्व ओएसडी राधाकिशन राव के नेतृत्व में की गई थीं। खबर है कि इन्हें जज के सामने सबूत के तौर पर पेश किया जाएगा।
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पिछली सरकार में प्रभाकर राव एसआईबी के प्रमुख थे और राधाकिशन राव टास्क फोर्स के ओएसटी थे। उनके बयानों से यह स्पष्ट है कि यह जानते हुए भी कि यह अवैध है। नेताओं के फोन की टैपिंग खुलेआम चलती रही और चूंकि वे दोनों बॉस थे। इसलिए उनके आदेशों का फील्ड स्टाफ को सख्ती से पालन करना पड़ता था। जांच टीम ने एक इंस्पेक्टर का भी बयान लिया, जो पहले एसआईबी में काम करता था और फिलहाल सीआईडी में है। बताया जाता है कि एसआईबी में रहते हुए प्रभाकर राव ने जांच टीम को पूरी तरह से समझाया था कि प्रणीत राव के निर्देश पर कैसे अनौपचारिक निगरानी जारी रहती थी।
अन्य दलों के धन की अवैध आवाजाही पर ध्यान केंद्रित किया गया। बताया गया है कि पूर्व डीसीपी राधाकिशन राव के नेतृत्व में टास्क फोर्स ने अन्य राजनीतिक दलों के धन की अवैध आवाजाही को रोका और इसे जब्त कर लिया। एक अन्य इंस्पेक्टर का बयान दर्ज किया गया, जो पहले टास्क फोर्स में काम कर चुका था और अभी भी वहीं है। पूछताछ में पता चला कि कैसे वे राधाकिशन राव के आदेशानुसार फील्ड स्टाफ के साथ आठ बार अन्य राजनीतिक दलों के धन की अवैध आवाजाही को पकड़ने में सक्षम हो गये थे।
टास्क फोर्स एसएसआई में से एक ने जांच टीम को बताया कि कैसे राधाकिशन राव ने उन्हें बदल दिया था। इसका खुलासा किया गया है कि बीआरएस एमएलसी वेंकटरामिरेड्डी से संबंधित धन को कैसे स्थानांतरित किया गया और एक प्रमुख अस्पताल में सेवानिवृत्त एसपी को कैसे धन हस्तांतरित किया गया। इस तरह प्रणीत राव की टीम ने प्रभाकर राव के आदेश पर रोज़ पार्टी के प्रतिद्वंद्वी नेताओं से संबंधित धन हस्तांतरण की जानकारी को सूँघ लिया, इसे राधाकिशन राव तक पहुँचाया और तुरंत टास्क फोर्स पुलिस ने हस्तक्षेप किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। राधाकिशन राव की जांच से पता चला कि यह अप्रत्यक्ष निगरानी विपक्षी दलों के नेताओं को वित्तीय संसाधन प्राप्त करने से रोककर भारत राष्ट्र समिति के उम्मीदवारों को जिताने के उद्देश्य से लागू की गई थी।
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी है कि राधाकिशन राव ने अपने बयान में खुलासा किया कि 2018 चुनाव के दौरान रामगोपालपेट थाना क्षेत्र में 70 लाख रुपये, दुब्बाका उपचुनाव के दौरान बेगमपेट में 1 करोड़ रुपये, पिछले उपचुनाव के दौरान गांधीनगर में 3.5 करोड़ रुपये, पिछले साल अक्टूबर में बंजारा हिल्स में 3 करोड़ 35 लाख रुपये, गांधीनगर पुलिस स्टेशन क्षेत्र में 15 लाख रुपये, शहर में अन्य जगहों पर 15 लाख रुपये, नारायणगुडा थाने में 49 लाख रुपये और भवानीनगर में एक करोड़ रुपये आठ बार में विरोधी दलों के कुल 10 करोड़ 41 लाख रुपये के परिवहन को रोकने में सफल रहे हैं। पुलिस की ओर से की जा रही इस जांच में स्पष्ट होता है कि पिछली सरकार ने फोन टैपिंग के नाम पर बहुत बड़ा अपराध किया है। अब आम लोग चाहते है कि जल्द से जल्द सभी आरोपियों को कड़ी सजा हो, ताकि भविष्य कोई नेता और अधिकारी इस तरह के घिनौनी हरकत करने से बाज आये।