हैदराबाद : भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के निर्देशों के अनुसरण में भारत के रक्षा उपक्रम मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानि) की राजभाषा कार्यान्वयन समिति के तत्वावधान में अधिकारियों के लिए 17 अगस्त को एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन संपन्न हुआ। हिंदी कार्यशाला चार सत्र में चलाई गई थी।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में डॉ. बी. बालाजी, प्रबंधक (हिंदी अनुभाग एवं निगम संचार), मिधानि ने कार्यशाला के प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए हिंदी कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्य को स्पष्ट किया और कार्यशाला का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में राजभाषा नीति, कंप्यूटर पर हिंदी टंकण के बेसिक टिप्स सहित सफल कार्य के लिए सफल प्रबंधन की आवश्यकता और कार्यालयीन हिंदी व्याकरण व पारिभाषिक शब्दावली जैसे विषयों पर व्याख्यान होंगे। उन्होंने राजभाषा नीति व कंप्यूटर पर हिंदी में टंकण के बेसिक टिप्स विषय पर दो सत्रों में व्याख्यान दिए।
तृतीय सत्र में उद्यम के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीर राजू, उप महाप्रबंधक (चिकित्सा) ने “खरगोश और कछुए की कहानी–प्रबंधन के परिप्रेक्ष्य में” विषय पर मल्टी मीडिया के माध्यम से व्याख्यान दिया। उन्होंने खरगोश और कछुए की कहानी को आधार बनाकर सफल प्रबंधन की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने बड़े ही रोचक ढंग से पारंपरिक कहानी में तीन अन्य लघुकथाएं जोड़कर प्रबंधन के क्षेत्र में सफल कार्यप्रणाली बनाने के सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि कार्यालयों में न केवल राजभाषा के काम में बल्कि उत्पादन के काम में भी बिना टीम वर्क के सफलता हासिल करना कठिन है।
सफलता के लिए प्रबंधन के साथ-साथ कर्मचारियों का चुस्त व समझदार होना बेहद जरूरी होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कंपनी की सफलता की कुंजी कर्मचारियों में सही ताल-मेल है। डॉ. राजू ने खरगोश और कछुए की कहानी के माध्यम से सफल टीम प्रबंधन पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिपादित किया कि टीम की सफलता उसकी कार्यशैली पर निर्भर करती है। उसमें समय और संदर्भ के अनुसार– गति के साथ निरंतरता, कठिन परिस्थितियों से विचलित न होकर कड़ी मेहनत व रणनीति बनाकर उसका अनुसरण करने जैसे गुण टीम की सफलता सुनिश्चित करते हैं।
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चतुर्थ सत्र में हिंदी शिक्षण योजना, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के सहायक निदेशक (से.नि.) मु. कमालुद्दीन ने कार्यालयीन कामकाज में प्रयुक्त प्रशासनिक शब्दावली व कार्यालयीन हिंदी का व्याकरण विषय पर व्याख्यान दिया। विभिन्न प्रशासनिक शब्दावली के निर्माण पर विस्तार से चर्चा करते हुए उनकी उत्पत्ति की जानकारी दी। प्रशासनिक शब्दावली के अनुप्रोयग के विभिन्न संदर्भों से प्रतिभागियों का परिचय कराते हुए कार्यालयीन भाषा की शब्दावली के प्रयोग का अभ्यास कराया।
कार्यशाला के सफल आयोजन में हिंदी विभाग की श्रीमती डी रत्नाकुमारी, कनिष्ठ कार्यपालक (एनयूएस) का सक्रिय सहयोग रहा। कार्यशाला का समापन प्रतिभागियों द्वारा राजभाषा में कार्य करने हेतु शपथ से हुआ।