NT Rama Rao Birth Anniversary Special: याद आती हैं गर्व से सिर उठाकर जीने के दिन

[नोट- जब मैं चंचलगुड़ा जेल मे आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा था, तब मुझे दिवंगत मुख्यमंत्री एनटी रामाराव ने क्षमादान प्रदान किया था। आज मैं जो कुछ भी और जैसा भी पंडित गंगाराम जी वानप्रस्थी, मुनींद्र जी और एनटीआर के आशीर्वाद से हूं- के राजन्ना]

एनटी रामा राव। यह नाम सुनते ही तेलुगु लोग भावुक हो जाते हैं। तेलुगु की धरती रोमांचित हो जाती है। फिल्मों में एक बेजोड़ अभिनेता के रूप में और राजनीति में एक अजेय नायक के रूप में तेलुगु लोगों के दिलों में एक मजबूत स्थान अर्जित किया है। सिल्वर स्क्रीन पर वीरता का परिचय दिया है। राजनीतिक क्षेत्र में एक जन नेता के रूप में विरोधियों को धूल चटाने का उनका इतिहास रहा है! एनटी रामाराव कहते और मानते थे कि समाज एक मंदिर और लोग देवता हैं। उस महान नायक की शताब्दी (एनटीआर 100वीं जयंती) को दोनों तेलुगु राज्यों में मनाई जा रही है। संयुक्त आंध्र प्रदेश के लिए किये गये उनकी सेवाओं को याद कर रहे हैं।

गढ़ के टूकड़े

दिवंगत मुख्यमंत्री एनटी रामाराव (एनटीआर) तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना किये जाने तक संयुक्त आंध्र प्रदेश में सारी राजनीति जमींदारों और कुछ सामाजिक समूहों के हाथों में थी। एससी और एसटी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर लगभग सभी सीटों पर कुछ जातियों के जमींदार चुनाव लड़ते थे। पिछड़े वर्गों के लिए नाममात्र की वरीयता मिलती थी। लेकिन एनटीआर ने तब तक लोगों पर दमन करने और प्रताड़ित करने वालों के गढ़ के टूकड़-टूकड़े कर दिये। पिछड़े वर्ग (बीसी) के लोगों को राजनीतिक पर्दे पर लेकर आये। और अपरिवर्तनीय नेता बना दिया।

राजनीति में उच्च शिक्षित

तब तक राजनीति में जमींदार और बूढ़े लोग ही होते थे। लेकिन एनटीआर ने उस परंपरा को तोड़ दिया। उच्च शिक्षितों को राजनीति में लेकर आये। एनटीआर ने विधायक उम्मीदवारों के रूप में 125 स्नातकों की घोषणा की। इसमें 20 डॉक्टर, 47 वकील, 8 इंजीनियर और 28 स्नातकोत्तर शामिल हैं। इस तरह एनटीआर ने राजनीति में एक बड़ा बदलाव लेकर आये। युवा और शिक्षितों को बड़े पैमाने पर मौका दिया। पिछड़ी जातियों में राजनीतिक के प्रति जागृत किया। उन्हें आरक्षण दिया। चुनाव में जीत दिलाई और मंत्री पद दिये।

कांग्रेस को सर्वधिकार

तत्कालीन संयुक्त आंध्र प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का एकाधिकार था। यहां के मुख्यमंत्री दिल्ली के आदेश का पालन करते थे। मुख्यमंत्रियों के बार-बार बदलन से राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न होती थी। तब कांग्रेस के पास और कोई विकल्प नहीं था। ऐसे समय में राजनीति में प्रवेश करने वाले एनटीआर ने नौ महीने के भीतर ही कांग्रेस पार्टी धूल चटा दिया। लाल बहादुर स्टेडियम में भारी भीड़ के बीच एनटी रामाराव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

15 दिन में एक बार कैबिनेट की बैठक

1983 के चुनावों में तेलुगु देशम पार्टी सत्ता में आई। एनटीआर ने राजनीति को पूरी तरह से बदलने का संकल्प लिया। विधायकों के लिए आचार संहिता जारी कर दी गई है। उन्होंने विधायकों को लोगों के बीच रहने का निर्देश दिया। कर्मचारियों के तबादलों और नियुक्तियों में हस्तक्षेप नहीं करने की चेतावनी दी। भ्रष्टाचार को खत्म करने में सहयोग करने की अपील की। 15 दिन में एक बार कैबिनेट की बैठक करते थे। बैठक में लोगों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा करके उसका निवारण करते थे।

कल्याणकारी कार्यक्रमों को अधिक प्रमुखता

कांग्रेस सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री कोना प्रभाकर राव ने कहा था कि चुनाव के दौरान एनटीआर द्वारा दिये गये आश्वासनों को लागू करने पर 1,400 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इतना पैसा कहां से लेकर आएंगे। इसके जवाब में एनटीआर ने कहा कि गरीबों के लिए 1,400 करोड़ रुपये नहीं, यदि आवश्यक पड़ी तो 13,500 करोड़ रुपये खर्च करने को तैयार है।

स्कूलों में मध्याह्न भोजन और…

मुख्यमंत्री बनने के बाद एनटीआर ने यह सब करके भी दिखाया! कांग्रेस शासन के दौरान मकान निर्माण के लिए 300 रुपये और 500 करते थे। एनटीआर ने इसे बढ़ाकर 6,000 रुपये कर दिया। जनता वस्त्र, बुजुर्गों और विधवाओं के लिए 30 रुपये की दर से पेंशन, स्कूलों में मध्याह्न भोजन, गरीबों को मकान, गंदी बस्तियों रहने वाले बच्चों को दूध वितरण जैसे योजनाओं को लागू किया।

सुधारों के अग्रदूत

एनटीआर के सत्ता में आने तक आंध्रा प्रांत में मुनसबु और करणालू और तेलंगाना में पटेल और पटवारी की व्यवस्था थी। संबंधित ओहदे में रहने वाले लोग गांवों को अपनी मुट्ठी में रखते थे। जब एनटीआर मुख्यमंत्री बने तो उन व्यवस्ता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया। उसकी जगह मंडल सिस्टम को लागू किया।

2 रुपये किलो चावल

जब भी एनटीआर का नाम सुनते है तो हमें दो रुपये किलो चावल योजना याद आती है। कभी कबार त्योहारों पर चावल खाने वाले गरीब परिवार को दो वक्त पेट भर खाना देने के लिए 14 अप्रैल 1983 को दो रुपये किलो चावल योजना को लागू किया। गरीबी रेखा के नीचे जीने वालों के लिए जिनकी वार्षिक आय सीमा 3,600 रुपये से बढ़ाकर 6,000 रुपये कर दी गई है। इससे 1.43 करोड़ परिवारों को लाभ हुआ है। एनटीआर की इस योजना की घोषणा पर हंसने वाली कांग्रेस पार्टी ने उससे कम दाम पर चावल देने पर भी लोगों ने उसे हरा दिया।

तेलुगु भाषा पर प्रेम

तेलुगु भाषा और संस्कृति पर एनटीआर बहुत प्रेम करते थे। वे हमेशा तेलुगु भाषा की मान्यता के लिए आवाज उठाते थे। सरकारी कार्यालयों के नाम तेलुगु में रखे। हस्ताक्षर भी तेलुगु भी करते थे। हैदराबाद के टैंक बंड पर अनेक मूर्तियों को स्थापित किये। बुद्धपूर्णिमा परियोजना को लांच किया। उनके शासनकाल के दौरान शुरू की गई हर योजना का नाम तेलुगु में रखा गया।

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