जयपुर (राजस्थान): मालवीय नगर स्थित ज्ञान विहार स्कूल में ‘भाषा संगम’ सप्ताह के अंतर्गत हिंदी विभाग द्वारा हिंदी कथा-साहित्य के जनक, युगप्रवर्तक लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती बड़े उत्साह और साहित्यिक गरिमा के साथ मनाई गई। इस अवसर पर कक्षा 9वीं और 10वीं के विद्यार्थियों द्वारा प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियों– ईदगाह, शतरंज के खिलाडी, गबन पूस की रात, पंच परमेश्वर आदि पर समीक्षात्मक प्रस्तुति, संवाद पाठ एवं नाट्य रूपांतरण किए गए।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ ऋत्विज ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, “मुंशी प्रेमचंद का साहित्य आज भी सामाजिक सच्चाइयों को उजागर करता है। उनके पात्र आम जनजीवन से जुड़े हुए हैं, जिनसे नई पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है।”
हिंदी विभागाध्यक्ष रेनू ‘शब्दमुखर’ ने मुंशी प्रेमचंद की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से न केवल सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया, बल्कि आमजन के दुःख-दर्द को अपनी लेखनी से स्वर दिया। आज के युग में उनके विचार और लेखन अधिक प्रासंगिक हो गए हैं, क्योंकि समाज फिर उन्हीं मूल्यों की ओर लौटने की मांग कर रहा है।”
भाषा संगम सप्ताह के अंतर्गत ही कक्षा 1 से लेकर 10 तक हिंदी, फ्रेंच और संस्कृत की अनेक गतिविधियां आयोजित की गई। अस्मिता घीया के प्रभावी मंच संचालन में तनिष्का, रिद्धि, अनंत,पूजा, मनीश जीविथा, वंश, अर्जुन युवराज, संजना, अनुष्का, निशा, देवांश, नेहल, ध्रुव, लक्षिता, धरा आदि विद्यार्थियों की साहित्यिक प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
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गौरतलब है कि विद्यालय की इस पहल का उद्देश्य न केवल प्रेमचंद जैसे साहित्यकारों को श्रद्धांजलि देना है, बल्कि विद्यार्थियों को अपने साहित्यिक पुरखों कवियों, लेखकों और विचारकों के समृद्ध योगदान से परिचित कराना भी है। ज्ञान विहार स्कूल हिंदी साहित्य के प्रति समर्पित रहते हुए समय-समय पर ऐसी गतिविधियाँ आयोजित करता है, ताकि आज की युवा पीढ़ी अपने भाषाई और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ सके।
