हैदराबाद/मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव-2024 की चौसर बिछ चुकी है और मोहरे सजाए जा चुके हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन ‘महायुति’ और विपक्षी गठबंधन ‘महा विकास अघाड़ी’ दोनों ही अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। इस बार बगावत भी बड़े पैमाने पर हुई है और निर्दलीय भी बड़ी संख्या में चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें कई ‘हैवी वेट’ नेता हैं, जिनका अपने चुनाव क्षेत्र में अच्छा खासा राजीतिक वजन है। कुल मिलाकर मुकाबला एकतरफा नहीं, बल्कि कांटे की टक्कर है। इसके बावजूद विपक्ष का नेतृत्व कर रही कांग्रेस को विदर्भ से और सत्तापक्ष से बीजेपी को उतर महाराष्ट्र से अच्छा साथ मिलने की उम्मीद है। इसकी वजह है 2019 के चुनाव परिणाम।
महाराष्ट्र का मूड क्या कहता है?
हालांकि 20 नवंबर को चुनाव और 23 नवंबर को जब चुनाव परिणाम आएंगे, तब असली तस्वीर सामने आएगी, लेकिन तब तक पिछले चुनाव नतीजों के विश्लेषण से पता करते हैं कि महाराष्ट्र का मूड क्या कहता है? पिछले चुनाव के परिणाम बताते हैं कि विदर्भ में कांग्रेस और उत्तर महाराष्ट्र में बीजेपी को अच्छा समर्थन मिलता है।
उत्तर महाराष्ट्र (35 सीटें)
बीजेपी 20
कांग्रेस 5
शिवसेना (यूबीटी) 4
एनसीपी (एसपी) 4
शिवसेना (शिंदे) 2
एनसीपी (अजित) 00
उत्तर महाराष्ट्र का गणित कैसा?
उत्तर महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 35 सीटें हैं। इनमें से अकेले बीजेपी के खाते में 20 सीटें हैं। यही 2019 के चुनाव परिणाम जब आए थे, तब शिवसेना और एनसीपी का विभाजन नहीं हुआ था। लेकिन विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ गए विधायकों की संख्या के आधार पर इन दोनों की ताकत का अंदाज लगाया जा सकता है। हां तो उत्तर महाराष्ट्र में बीजेपी के जहां 35 में से 20 विधायक हैं, वहीं कांग्रेस के केवल 5 विधायक हैं। शिवसेना (यूबीटी) अर्थात उद्धव ठाकरे और एनसीपी (शरद पवार) के चार-चार विधायक हैं। शिवसेना (शिंदे) गुट के दो विधायक हैं। उत्तर महाराष्ट्र में एनसीपी (अजित पवार) का एक भी विधायक नहीं है।
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विदर्भ (62 सीटें)
कांग्रेस 29
बीजेपी 15
शिवसेना (यूबीटी) 8
एनसीपी (एसपी) 5
शिवसेना (शिंदे) 4
अन्य 1
एनसीपी (अजित) 00
68 सीटें अकेले विदर्भ में
महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में से 68 सीटें अकेले विदर्भ में हैं। 2019 के चुनाव में यहां कांग्रेस ने अकेले अपने दम पर 68 में से 29 सीटें जीती थीं। बीजेपी के 15 विधायक चुने गए थे। शिवसेना (यूबीटी) यानी उद्धव ठाकरे के 8 विधायक, एनसीपी (शरद पवार) के 5 और एक निर्दलीय विधायक चुना गया था।
पश्चिम महाराष्ट्र 70 सीटें
एनसीपी (एसपी) 19
बीजेपी 17
शिवसेना (शिंदे) 11
कांग्रेस 10
शिवसेना (यूबीटी) 6
अन्य 5
एनसीपी (अजित) 2
70 सीटें हैं पश्चिमी महाराष्ट्र में
पश्चिमी महाराष्ट्र में कुल 70 सीटें हैं, लेकिन यहां का जनादेश थोड़ा बिखरा हुआ है। वैसे यह शरद पवार के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। 2019 में कई मराठा नेता बीजेपी में आ गए थे और एनसीपी में विभाजन के बावजूद आज भी एनसीपी ( शरद पवार) के यहां सबसे ज्यादा 19 विधायक हैं। बीजेपी के 17, शिवसेना (शिंदे) गुट के 11 विधायक हैं। कांग्रेस के 10 विधायक हैं और शिवसेना (यूबीटी) के 6 विधायक हैं। 5 निर्दलीय और एनसीपी (अजित पवार) के दो विधायक हैं।
मराठवाड़ा (46 सीटें)
शिवसेना (यूबीटी) 15
कांग्रेस 14
बीजेपी 8
शिवसेना (शिंदे) 4
एनसीपी (एसपी) 3
अन्य 2
एनसीपी (अजित) 00
मनोज जरांगे पाटील मराठवाड़ा पर असर?
मराठा आरक्षण आंदोलन के नायक मनोज जरांगे पाटील की वजह से महाराष्ट्र की राजनीति का फोकस इस बार मराठवाड़ा पर ज्यादा है। यहां के चुनावी नतीजे काफी दिलचस्प होंगे। अगर मराठा बीजेपी के खिलाफ लामबंद होंगे, तो ओबीसी बीजेपी के साथ जुटेगा। जरांगे पाटील मराठवाड़ा में अपने समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों के पक्ष में मराठा मुस्लिम दलित वोटों के ध्रुवीकरण की बात कर रहे हैं। इसका खामियाजा महाविकास अघाड़ी को भी उठाना पड़ सकता है। (नवभारत टाइम्स से साभार)