हैदराबाद : महाराष्ट्र की गुत्थी महायुति ने सुलझा ली और बंपर जीत के साथ वापसी की है। महायुति का हिस्सा बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी तीनों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और महायुति का स्ट्राइक रेट करीब 73 पर्सेंट तक पहुंचा दिया। महायुति का मुकाबला महा विकास अघाड़ी से था। इस गठबंधन की मुख्य पार्टियां कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी हैं। महाविकास अघाड़ी की कोई भी पार्टी सही प्रदर्शन नहीं कर पाई और महा विकास अघाड़ी का स्ट्राइक रेट करीब 17 पर्सेंट के आसपास रहा।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर यानी 149 सीटों पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा था। बीजेपी का स्ट्राइक रेट 88 पर्सेंट के आसपास है। एकनाथ शिंदे की शिवसेना 81 सीटों पर लड़ी थी और इनका स्ट्राइक रेट भी करीब 69 पर्सेंट रहा। अजीत पवार की एनसीपी 66 सीटों पर लड़ी थी और स्ट्राइक रेट करीब 63 पर्सेंट रहा। महायुति की जो सबसे बड़ी टेंशन थी वह इसे लेकर थी कि अजीत पवार की पार्टी कैसा प्रदर्शन करेगी और क्या वह अपना वोट बीजेपी को ट्रांसफर कर पाएगी। नतीजों से लगता है कि वोट ट्रांसफर हुआ है। अजीत पवार की इस चुनाव में मजबूत बनकर उभरे हैं। एकनाथ शिंदे की इमेज का भी महायुति को फायदा पहुंचे।
एकनाथ शिंदे की उम्मीद एक सरल और आम आदमी की है और उनके सीएम रहते मुख्यमंत्री तक लोगों की पहुंच आसान हुई थी। लाडकी बहिन योजना ने महायुति के पक्ष में काम किया और इस बंपर जीत तक पहुंचाया। हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके संगठन सक्रिय थे और उन्होंने बीजेपी के नेरेटिव को घर घर पहुंचाने का काम किया। एक हैं तो सेफ हैं नेरेटिव बीजेपी न सिर्फ बनाने में सफल रही बल्कि इसे अपने पक्ष में भुना भी पाई।
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लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी ने जो प्रदर्शन किया था, उसका फायदा यह गठबंधन नहीं ले पाया। यह न तो सत्ताधारी गठबंधन को मद्दों पर घेर पाया न ही उनके नेरेटिव के जवाब में कोई काउंटर नेरेटिव सेट कर पाया। शिवसेना में बगावत के बाद जब राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार गिरी थी और शिवसेना टूटी, फिर एनसीपी टूटी को उद्ध ठाकरे और शरद पवार को लेकर सहानुभूति थी जिसका फायदा लोकसभा चुनाव में दिखा। लेकिन यह गठबंधन विधानसभा चुनाव में इसे भुनाने में असफल रहा। महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे इन्होंने उठाए लेकिन उसे लेकर माहौल नहीं बना पाए।
किसानों का मुद्दा चुनाव में बड़ा मुद्दा था इसका अंदाजा इसी से लगता है कि 2017 में यूपी चुनाव के बाद इस बार बीजेपी ने पहली बार किसान कर्ज माफी का वादा किया। लेकिन इस मुद्दे पर भी महायुति को घेरने पर महाविकास अघाड़ी असफल रही। बीजेपी के एक हैं तो सेफ हैं के नेरेटिव के जवाब में महा विकास अघाड़ी ने कोई नेरेटिव देने की कोशिश भी नहीं की और पूरी तरह से बीजेपी की पिच पर ही खेलती नजर आई। महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे की वजह से हिंदुत्व एक बड़ा मुद्दा रहता ही है। बीजेपी ने इस पिच पर उद्ध ठाकरे को घेरा और वे चारों खाने चित हो गए। इस पर भी महाविकास अघाड़ी में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान और सीएम कौन होगा इसे लेकर जो खींचतान हुई, वह ज्यादा हाईलाइट हुई और उनके खिलाफ गई।
अब सीएम की पहेलीमहायुति सरकार में मुख्यमंत्री कौन होगा, अब ये नई पहेली सामने है। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा – एक हैं तो सेफ हैं, मोदी है तो मुमकिन है। इस बीच चर्चाएं होने लगी कि फडणवीस सीएम हो सकते हैं। महाराष्ट्र में एक रैली के दौरान अमित शाह ने कहा था कि महायुति को जिताएं, देवेंद्र फडणवीस को विजयी बनाएं। हालांकि बीजेपी में सरप्राइज देने का ट्रेंड रहा है। सीएम के सवाल पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमारे वरिष्ठ पीएम मोदी हैं, हम सब बैठेंगे बात कर तय करेंगे। एकनाथ शिंदे के करीबी नेता और शिवसेना सांसद नरेश महस्के ने कहा कि हम कम सीटें लड़े, बीजेपी ज़्यादा सीटें लड़ी। उन्होंने कहा कि कुर्सी की कोई लड़ाई नहीं है लेकिन सीएम की लोकप्रियता की वजह से हम अच्छे नंबर लाए। हम तो ये चाहते हैं कि उन्हें ही सीएम बने रहने दिया जाए। (नवभारत टाइम्स से साभार)