भगवान बालाजी के लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलावट, भक्तों को पहुंची गहरी ठेस, क्या है यह भ्रष्टाचार या षडयंत्र!?

आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिला स्थित तिरुमला मंदिर पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है। भक्तों की मान्यता है कि मंदिर में आयोजित होने वाला प्रत्येक कार्यक्रम आगम शास्त्र के नियमों के अनुसार किया जाता है। भक्तों को जितनी भगवाव बालाजी पर आस्था है, उतना ही उन्हें लड्डू प्रसाद भी है और लड्डू सबके लिए प्रिय है। सिर्फ मुंह में पानी ला देने वाला स्वाद ही नहीं, इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्रियां और उनके आयाम सभी खास हैं। भक्तों का मानना ​​है कि दशकों तक लड्डू के विकास के अलावा इसका स्वाद नहीं बदला है। अब उस आस्था पर जो चोट लगी है श्रद्धालु उसे पचा नहीं पा रहे हैं। जिस लड्डू को वे बालाजी के प्रसाद के रूप में आंखें बंद करके खाते हैं, उसमें जानवरों की चर्बी मिलाए जाने की खबरों ने भक्तों को आश्चर्यचकित कर दिया है।

टीटीडी बोर्ड, जिसका काम यह सुनिश्चित करना है कि भगवान बालाजी की सेवा में कोई भेदभाव न होना चाहिए। सीएम चंद्रबाबू ने गंभीर टिप्पणी कि वाईसीपी के शासन के दौरान लड्डू बनाने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था, ने विवाद खड़ा कर दिया। गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDBG) CALF लैब ने भी पुष्टि की कि लड्डुओं के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी पाई गई है, जिससे न केवल तिरुमला में बल्कि पूरे देश और दुनिया में हलचल मच गई। इस साल जुलाई में लड्डुओं को लैब में भेजा गया था और उसी महीने की 17 तारीख को एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। भक्तों में आक्रोश है क्योंकि यह पाया गया है कि गाय के घी में सोयाबीन, सूरजमुखी तेल, जैतून, गेहूं शामिल हैं। सेम, ज्वार, कपास के बीज के साथ-साथ मछली का तेल, पशु वसा, ताड़ का तेल और सूअर की चर्बी है। क्या तिरुमला लड्डू में घोटाला है? आकस्मिक अपचार है? बालाजी के भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाने वाला मामला कैसे सामने आया है?

मंदिर में विभिन्न वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों और ईओ ​​श्यामला राव के साथ बैठक दौरान यह चर्चा सामने आई कि गाय का घी कितने दामों पर दिया जा रहा है? ठेकेदारों एक किलो घी आपूर्ति 320 रुपये से 424 रुपये के बीच की जाती है। बैठक में सवाल उठाया गया कि इतनी कम कीमत पर घी की आपूर्ति कैसे संभव है। तिरुमाला पहुंचने के तुरंत बाद उन्होंने 6 जुलाई को गुजरात के आनंद शहर में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) प्रयोगशाला में घी के नमूने के दो टैंकर और 12 जुलाई को दो और टैंकर भेजे। उनसे मिली रिपोर्ट में घी सप्लाई करने वाली पांच कंपनियों में एआर फूड्स कंपनी के मानकों का पालन नहीं किया गया है। वे जो घी सप्लाई कर रही हैं, उसमें जानवरों की चर्बी मिलाई जा रही है।

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उस दिन के बाद से इस मामले में आंतरिक जांच चल रही है। यह पाए जाने पर कि गुणवत्ता मानक पूरे नहीं थे, टीटीडी ने तुरंत उस कंपनी के टेंडर रद्द कर दिए। भक्त सवाल कर रहे हैं कि पिछली सरकार के दौरान इस मामले पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया। चूंकि टीटीडी के पास अपनी प्रयोगशाला नहीं है। इसलिए आपूर्तिकर्ताओं से मिली घी का परीक्षण करने का कोई अवसर नहीं है। यही वह पहलू है जो आपूर्तिकर्ताओं के लिए वरदान बन गया है। हालांकि, हाल ही में इस मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए ईओ श्यामला राव ने साफ किया है कि भक्तों को अब गुणवत्तापूर्ण लड्डू मिल रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। उन्होंने कहा कि एनडीडीबी समय-समय पर घी की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रयोगशाला परीक्षण उपकरण दान करने के लिए आगे आया है। इस हद तक, संबंधित मशीनें विदेश से आनी पड़ती हैं।

हर महीने लड्डू प्रसाद में करीब 42 हजार किलो घी का इस्तेमाल होता है। एआर डेयरी प्रोडक्ट्स उन पांच कंपनियों में से एक है जिन्हें इस घी की आपूर्ति का ठेका दिया गया है। लैब टेस्ट से पता चला कि इस कंपनी द्वारा सप्लाई किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिली है। जबकि यह तमिलनाडु में है। वाईसीपी जब सत्ता में थी तो टीटीडी को सबसे अधिक मात्रा में यही कंपनी घी की आपूर्ति करती थी। आरोप हैं कि यह कंपनी विदेशों से बटर ऑयल आयात करती है और उसे घी में बदलकर मंदिर में सप्लाई करती है। इस साल अप्रैल में हुए टेंडर में एक किलो घी की कीमत 610 रुपये प्रति किलो और रिवर्स टेंडर में कंपनी ने सिर्फ 424 रुपये में सप्लाई करने को राजी हुई है।

यानी प्रति किलो 190 रुपये से ज्यादा की छूट देकर टेंडर हासिल की गई। ऐसी दलीलें सुनने को मिल रही हैं कि यह कंपनी टीटीडी को घी सप्लाई करने में सक्षम नहीं है और इसने सबसे कम कीमत पर टेंडर लेकर मिलावटी घी सप्लाई किया है। रिकॉर्डों में स्पष्ट है कि 2022 में निविदाओं में 414 कोट किया गया और रिवर्स टेंडर में 337 रुपये में प्राप्त किया है। इससे एआर डायरी विवादों के घेरे में आ गई है। वहीं भगवान बालाजी के दैनिक कैंकर्य (पूजा-अर्चना) में प्रतिदिन 60 किलो शुद्ध गाय का घी इस्तेमाल करना होता है। टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष सुब्बारेड्डी ने मीडिया के सामने खुलासा किया कि इसे गुजरात राज्य की गौशालाओं से एक रूपये में खरीदा जा रहा है। जब उस घी की कीमत 1600 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक है, तो लड्डू प्रसाद के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला घी 320 रुपये से 424 रुपये के बीच कैसे हो सकता है। (शेष अगले भाग में…)

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