हैदराबाद: भारत की सामासिक संस्कृति के प्रसार में हिंदी भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत की वैविध्यता को एकता की डोर में बांधने में भारत की राजभाषा हिंदी ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। सांस्कृतिक विविधता की तरह ही भारत बहुल भाषी देश है। ऐसे में हिंदी भाषा भारतीय संस्कृति की साम्यता को बनाए रखने के लिए आवश्यक संस्कार प्रसारित करती है। हिंदी के माध्यम से देशभर में संचार स्थापित करना आसान है, विशेषकर अन्यभाषी समुदाय के लोगों के लिए तो यह एक वरदान है। यह कथन मिधानि में आयोजित हिंदी प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरण समारोह के अध्यक्ष टी. मुत्तुकुमार, निदेशक (उत्पादन एवं विपणन) के थे।
उन्होंने समारोह में उपस्थित कर्मचारियों को संबोधित करते हुए हिंदी भाषा संबंधी अपने संस्मरण सुनाते हुए आगे कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिकता ही उसकी पहचान है। यहाँ की भाषाएँ समृद्ध हैं। इन भाषाओं में अपार ज्ञान संपदा संग्रहित है। इस ज्ञान संपदा को बहुभाषी जनमानस के लिए सुलभ्य बनाने हेतु हिंदी में अनुवाद बहुत बड़ा माध्यम है। हिंदी भाषा के कारण कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से गुजरात तक की यात्रा आसान हो जाती है। लोगों में संचार स्थापित करने में आसानी होती है। इसीलिए तमिल भाषी होते हुए भी मैंने अपने बच्चों को हिंदी प्रथम भाषा के रूप में सिखवाई।
तमिलनाडु में भी हिंदी के लिए महौल बन रहा है। वहाँ की जनता हिंदी की आवश्यकता और महत्व को समझने लगी है।
इस अवसर पर भारतीय संस्कृति के प्रसार में हिंदी की भूमिका विषय पर व्याख्यान देते हुए समारोह के मुख्य अतिथि, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के क्षेत्रीय निदेशक (हैदराबाद) डॉ. गंगाधर वानोडे ने कहा कि भारत की संस्कृति लोक संस्कृति है। उसकी आत्मा गाँव में बसती है और गाँवों में ही उसकी संस्कृति की जड़ है। शहरों में तो धुआँ हैं, शोर है, दिखावट की चकाचौंध है।
भारत की सांस्कृतिक ऊर्जा और उर्वरता का आधार उसके मानस में रचे-बसे लोकतत्व हैं। लोकजनीन जीवन के अभाव में उसकी संस्कृति नष्ट हो सकती है। किंतु भारत के जनमानस की आत्मा में घुले-मिले लोकतत्व उसकी सांस्कृतिक चेतना को जागृत बनाए रखने में सक्षम है। डॉ. वानोडे ने व्याख्यान के दौरान बताया केंद्रीय हिंदी संस्थान हिंदी के माध्यम से देश तथा विश्वभर में भारतीय संस्कृति को प्रसारित करने का महत्तर कार्य कर रहा है।
समारोह में हिंदी दिवस 2023 के दौरान आयोजित शब्दावली-टिप्पण एवं आलेखन, मिधानि की स्वर्ण जयंती : मेरी अपनी मिधानि विषय पर संस्मरण लेखन, राजभाषा के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी की भूमिका विषय पर पीपीटी, हिंदी टंकण तथा प्रश्नमंच प्रतियोगिताओं के विजेताओं को नकद पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान मिधानि के कर्मचारी रोहित और अभिनाश साहू द्वारा गीत गायन तथा डॉ. बी. बालाजी, प्रबंधक (हिंदी अनुभाग एवं निगम संचार) ने कविता पाठ किया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में रत्नकुमारी, अवर कार्यपालक (हिंदी), उदयाश्री, सहायक (मा.संसा.) तथा कोमल टंडन, प्रबंधन प्रशिक्षु (मा.सा.) का सक्रिय योगदान रहा। समारोह का समापन राष्ट्रगान से हुआ।