भारत राष्ट्र समिति (BRS) के कार्यकारी अध्यक्ष और मंत्री केटी रामाराव एक बार फिर सिरिसिल्ला निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यहां से वे अब तक लगातार जीत हासिल करते रहे हैं। इस बार एक लाख से ज्यादा वोटों के बहुमत के साथ जीतने का विश्वास व्यक्त किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल केटीआर को हराना तो चाहते हैं पर उनके पास उनकी कद या दमोखम का कोई नेता ही नहीं है जिसे वे उनके सामने वहां से चुनावी मैदान में उतार सकें।
अब तक सिरिसिल्ला में बीआरएस के अलावा किसी अन्य विपक्षी दल ने अभी तक किसी उम्मीदवार की घोषणा तक नहीं की है। वहीं बीआरएस पूरे जोश में है और उसने सिरिसिल्ला पर विशेष ध्यान दिया है। साथ ही वह विपक्ष की जमानत भी जब्त कराने की तैयारी में है। केटीआर चुनावी रणनीति काफी समय से बना रहे हैं। साथ ही वे कहीं कोई कमी न छोड़ने के चलते समय-समय पर प्रमुख नेताओं के साथ टेलीकांफ्रेंस तक आयोजित कर रहे हैं। आइये यहां इस विषय को विस्तार से जानते हैं…
यह तो पता ही है कि मुख्यमंत्री केसीआर के बेटे और मंत्री केटीआर सिरिसिल्ला निर्वाचन क्षेत्र से चार बार जीत चुके हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी महेंद्र रेड्डी पर 89,009 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। हालांकि, उस समय केटीआर को मंत्री पद नहीं मिला। बीआरएस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद केसीआर की कैबिनेट में मंत्री बने गये। जहां उनके पिता केसीआर आठ बार विधानसभा के लिए चुने गए और एक रिकॉर्ड बनाया। वहीं केटीआर पांचवीं बार विधायक बनने के लिए बेहद उत्सुक हैं।
राजन्ना सिरिसिल्ला जिला केंद्र से बीआरएस पार्टी की ओर से केटीआर जो कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। वे यहां से इतनी बार जीत चुके हैं फिर भी इसे हल्के में न लेते हुए वे अपनी ओर से पूरी मेहनत कर रहे हैं। चुनाव प्रचार के लिए दौड़-भाग कर रहे हैं, कि कहीं कोई कमी न रह जाए। वहीं देखा जाए तो उन्होंने सिरिसिल्ला पर विशेष ध्यान दिया है। इसी क्रम में विधानसभा क्षेत्र का तेजी से विकास किया गया। साथ ही चाहे वे कितने भी व्यस्त क्यों न हो, केटीआर ने सप्ताह में एक बार निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करने की योजना बनाई है। मानो चुनाव के लिए वे तैयार हैं। सारे लंबित कार्य पूरे कर लिये गये हैं।
2018 का चुनाव उन्होंने 89 हजार से ज्यादा के बहुमत से जीता। बहरहाल, इस बार केटीआर को भरोसा है कि उन्हें एक लाख से ज्यादा बहुमत मिलेगा। हालाँकि, 2019 के संसद चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और मजबूत हो गई थी और उसने बीआरएस को कड़ी टक्कर दी थी। बीआरएस ने इस निर्वाचन क्षेत्र में दो हजार से अधिक का बहुमत हासिल किया है। पिछले चुनाव की तुलना में बीजेपी की ताकत काफी बढ़ी है।
वे प्रमुख नेता के निर्वाचन क्षेत्र में उन्हीं को टक्कर देने के लिए रणनीति भी तैयार कर रहे हैं, पर केटीआर उनकी योजना को मात देने में किसी तरह की कोई कसर नहीं रखना चाहते हैं, तभी तो दिन-रात एक करके प्रचार में जुटे हैं और चुनावी मैदान में जमकर मेहनत कर रहे हैं। वे अपनी शानदार जीत दर्ज कराने के लिए बुनकरों को विशेष रूप से प्रभावित कर रहे हैं। साथ ही किये गये विकास कार्यों का विश्लेषण भी जनता के सामने जोर-शोर से कर रहे हैं।
वहीं देखा जाए तो जब बात कांग्रेस की आती है तो वह अब भी हाशिए पर ही है। दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने अब तक अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा तक नहीं की है। कांग्रेस से केके महेंद्र रेड्डी के चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, पार्टी नेता कानाफूसी कर रहे हैं कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र को कम समय दे रहे हैं। वही कांग्रेस के अंदर ही अंदर असंतोष भी व्याप्त है।
यहां तक कि बीजेपी के पास भी सिरिसिल्ला के लिए कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है जो केटीआर का मुकाबला कर सके। वह पद्मशाली समुदाय से लागिशेट्टी श्रीनिवास को मैदान में उतारने की योजना बना रही है। लेकिन इस संसदीय क्षेत्र में इसका कोई असर पड़ेगा, इसमें संदेह है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, विपक्षी दल उम्मीद के मुताबिक उबर नहीं पा रहे हैं। यही सारी बातें केटीआर के लिए प्लस प्वाइंट बन गयी है। जीत तो पक्की है ये वे भी जानते हैं पर ज्यादा से ज्यादा मतों से जीतना उनका उद्देश्य बन गया है।
सिरिसिल्ला ने पिछले निर्वाचन क्षेत्रों की तुलना में तेजी से विकास किया है। लेकिन दूसरे कैडर के नेताओं के मामले थोड़ी परेशानी बन गए. दूसरे कैडर के नेताओं के कारण कार्यकर्ताओं और केटीआर के बीच दूरियां आ गईं। यह केटीआर के लिए एक माइनस प्वाइंट बन सकता है। साथ ही कहा जा रहा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बंडी संजय ने सिरिसिल्ला निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है। उनका कहना है कि वे केटीआर को हराएंगे। और बदले हुए राजनीतिक घटनाक्रम से ऐसा लगता है कि सिरिसिल्ला के मतदाता बीजेपी की बातों में आने वाले नहीं है।
यही वजह है कि बीआरएस नेता उम्मीद जता रहे हैं कि विपक्ष की यहां से जमानत तक जब्त हो जाएगी। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि सिरिसिल्ला में इस चुनावों में दिलचस्प लड़ाई देखने को मिलेगी। अब जीतता कौन है और हार किसकी होती है यह तो आनेवाला समय ही बताएगा, पर इतना तो कहा जा सकता है कि चुनाव इस बार के दिलचस्प मोड़ ले सकते हैं।
मीता वेणुगोपाल, पत्रकार