हैदराबाद: महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जिले के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित 462वें नवीकरण पाठ्यक्रम का उद्घाटन समारोह केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र पर महाराष्ट्र राज्य, भंडारा जिले के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित 462वें नवीकरण पाठ्यक्रम का उद्घाटन समारोह 7 जुलाई को संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने आभासीय पटल से की। मुख्य अतिथि के रूप में चिरैक इंटरनेशनल स्कूल, हैदराबाद की वरिष्ठ शिक्षक प्रशिक्षक डॉ. मंजु शर्मा उपस्थित थीं। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे इस नवीकरण पाठ्यक्रम के संयोजक हैं।
केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा सरस्वती वंदना, संस्थान गीत एवं स्वागत गीत सुनाया गया। डॉ. गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र ने अतिथियों का स्वागत किया एवं अतिथियों का परिचय दिया। साथ ही केंद्रीय हिंदी संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। महाराष्ट्र राज्य, भंडारा जिले के हिंदी अध्यापक श्री अक्करसिंग पटले ने अपनी अपेक्षाओं को मंच के सम्मुख रखते हुए कहा कि भंडारा जिले में दूसरे प्रांतों एवं महाराष्ट्र राज्य के दूसरे जिलों की अपेक्षा बहुत अच्छी हिंदी बोल लेते हैं। किंतु जब हम विधिवत रूप से पढ़ते एवं पढ़ाते हैं तो हिंदी भाषा में आनेवाली समस्याओं से अवगत होते हैं। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र से आशा है कि हमारी इन समस्याओं का समाधान करेगा।
महाराष्ट्र राज्य, भंडारा जिले की हिंदी अध्यापिका सुश्री अर्चना कुंदनलाल बावणे ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि महाराष्ट्र ने हिंदी को तहे दिल से स्वीकार किया है। मराठी हमारी मातृभाषा है तो हिंदी हमारी मौसी है। भारत विश्व में विविधता के लिए जाना-पहचाना जाता है। इसमें भाषा मुख्य माध्यम है। महाराष्ट्र के विद्यार्थी व्याकरण में गलती करते हैं। आशा करते हैं कि हमें इस नवीकरण पाठ्यक्रम में इन समस्याओं का समाधान प्राप्त होगा। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थि चिरैक इंटरनेशनल स्कूल, हैदराबाद की वरिष्ठ शिक्षक प्रशिक्षक डॉ. मंजु शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि भाषा दो तरह की होती है-औपचारिक एवं अनौपचारिक।
अनौपचारिक भाषा विशाल हो जाती है। भाषा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीयता का विचार उत्पन्न करना है। अध्यापन के दौरान कई कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं। जब हमारी एवं छात्रों की मातृभाषा हिंदी नहीं होती तब चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं। कक्षा 1 से कक्षा 10 का विद्यार्थी-दोनों में उच्चारण की गलतियाँ देखने को मिलती हैं। पहले हम उनसे बुलवाएँ तथा पढ़वाकर अभ्यास करवाएँ। इन चुनौतियों का सामना एवं निवारण करने का टूल है-भाषा कौशल। भाषा के चार स्तंभों के माध्यम से बच्चा स्वतः सीख जाता है। विद्यार्थी की समझ को विकसित करना चाहिए। समझ विकसित होगी तो विद्यार्थी को अच्छी लगेगी। आडियो, वीडियो के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाए।
अध्यक्षीय वक्तव्य में निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने कहा कि अध्यापन कार्य करते समय जो कठिनाइयाँ आती हैं उनको दूर करना इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है। हिंदी ऐसा माध्यम है जिससे हम अपने आपको अध्यतन कर सकते हैं। व्यक्ति का सर्वांगीण विकास आवश्यक है। इसके लिए इस प्रकार के नवीकरण पाठ्यक्रम मुख्य भूमिका अदा करते हैं। हमने त्रिभाषा सूत्र स्वीकारा है। इससे हम दूसरे देशों में जाकर अपनी बात सक्षमता से रख पा रहे हैं। हमें अपने व्यक्तित्व का विकास करने का पूरा प्रयास किया जाना चाहिए। इसके लिए यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम उत्तम साधन है। यदि हमें अपने जीवन को सार्थक करना है तो हमें संभावनाओं को तलाशना होगा। हमें ऐसे पाठ्यक्रम में इन संभावनाओं को तलाशने का अवसर प्राप्त होता है। यहाँ अध्यापकों को अच्छा प्रशिक्षण मिलने वाला है।
महाराष्ट्र राज्य, भंडारा जिले के हिंदी अध्यापकों ने उद्घाटन समारोह में उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस नवीकरण पाठ्यक्रम में कुल 41 हिंदी अध्यापकों (महिला-06, पुरुष-35) ने पंजीकरण किया है। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. साईनाथ चपले, प्रवक्ता द्वारा किया गया। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र की सदस्या डॉ. एस. राधा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के नेतृत्व में यह नवीकरण पाठ्यक्रम 7 जुलाई से 18 अगस्त तक प्रातः 10 बजे से अपराह्न 5 बजे तक नियमित रूप से चलेगा।