हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा बीएड् महाविद्यालय, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के छात्रों के प्रशिक्षण के लिए 1 से 12 अप्रैल तक ‘15वें हिंदी भाषा संचेतना शिविर’ कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कुल 51 (महिला-27 पुरुष-24) प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रो. गंगाधर वानोडे ने भाषाविज्ञान तथा उसके विविध पक्ष, ध्वनि विचार, उच्चारण, भाषा परिमार्जन, भाषा कौशल, डॉ. फत्ताराम नायक ने हिंदी व्याकरण के विविध पक्ष, भारत के प्रमुख त्योहार, बहुभाषिकता, डॉ. दीपेश व्यास ने हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, हिंदी भाषा का उद्भव व विकास, भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय दर्शन एवं जीवन पद्धति, योग शिक्षा, डॉ. अरुणा देवी ने वाचन अभ्यास, लेखन कौशल, वार्तालाप अभ्यास, डॉ. डी. देसाई ने हिंदी के विविध रूप, शब्द निर्माण (उपसर्ग, प्रत्यय), मुहावरे, लोकोक्तियाँ, श्रीमती शैलषा नांदुरकर पे हिंदी शिक्षण में तकनीकी का प्रयोग, हिंदी में रोजगार की संभावनाएँ तथा डॉ. वाई. ललिता कुमारी ने शैक्षिक अध्ययन की इकाइयाँ आदि विषयों का अध्यापन कार्य संपन्न किया।

समापन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने आभासी माध्यम से की। विशेष अतिथि के रूप में शिक्षा महाविद्यालय, द.भा.हिं.प्र. सभा, खैरताबाद के प्राचार्य डॉ. सी.एन. मुगुटकर उपस्थित थे। इस अवसर पर पाठ्यक्रम संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक एवं अतिथि प्रवक्ता डॉ. दीपेश व्यास मंच पर उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ शारदे के समक्ष मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना महाविद्यालय की बी.एड्. छात्राओं द्वारा की गई। अतिथियों का शॉल एवं पुष्पगुच्छ द्वारा स्वागत क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे द्वारा किया गया। शब्द सुमनों द्वारा स्वागत एवं परिचय डॉ. दीपेश व्यास ने किया।
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इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. सी. एन. मुगुटकर ने कहा कि छात्रों के मन में जब प्रश्न उत्पन्न होते तो उनकी सचेतन होने का प्रतीक है। अध्ययन और अध्यापन कार्य की सफलता तभी संभव है जब दोनों में अच्छा तालमेल हो। किसी को बार-बार सुनने से भाषा उच्चारण में सुधार हो सकता है। लिंग भेद तभी मिट सकते हैं जब ध्यान से सुना जाए।

आभासी मंच के माध्यम से केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने कहा कि जिन उद्देश्य को लेकर हम प्रशिक्षण में जुड़े उसकी कितनी पूर्ति हुई। शिक्षा के कारण हमें आध्यात्मिक ज्ञान भी ही मिलता है। भाषा सुधार के लिए ऐसे प्रशिक्षण बहुत आवश्यक हैं। हिंदी को स्वतंत्रता के बाद वह स्थान प्राप्त नहीं हुआ जो मिलना चाहिए। दो सप्ताह में प्राप्त ज्ञान को आगे अपने विद्यार्थियों में देना है। हिंदी आज पूरे विश्व में अपनी पहचान बना रही है।
इस अवसर पर पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक ने कहा कि शिक्षक समाज का निर्माण करता है। यहाँ से जाकर छात्रों अध्यापकों को समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर अपने छात्रों को तन, मन, धन से शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए। हस्तलिखित पुस्तक के माध्यम से उड़ीसा राज्य की कला, संस्कृति की जानकारी सभी को मिलती है।

पाठ्यक्रम संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप यहाँ से प्राप्त ज्ञान अपने छात्रों को देंगे, बार-बार दोहराते रहने से अपका ज्ञान पक्का होगा। उसके लिए पढ़ने की क्रिया लगातार करना है। पी.पी.टी के माध्यम से देखने के कौशल का विकास होता है। उच्चारण व लेखन की अशुद्धियों को कैसे दूर करना है। इस पर निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है। हिंदीतर भाषी क्षेत्र में हिंदी का उच्चारण सही न होने की वजह से लेखन में गलतियाँ होती हैं।
इस अवसर पर छात्र प्रतिभागी ज्योतिका प्रधान ने कहा कि इन बारह दिनों में जो कुछ पढ़ाया गया या बताया गया हम सभी छात्र उन नियमों का पालन करके उन त्रुटियों को सुधार करेंगे। कृष्ण चंद सुनानि ने कहा कि उच्चारण का शुद्धिकरण किया गया और जो कुछ सीखा वो हम अपने विद्यार्थियों को सिखाएँगे। वहीं निश्चित कुमार रथ ने बताया कि भाषागत एवं उच्चारण में सुधार आया। अन्य छात्रा मिली खमारी ने कहा कि साहित्य की पूर्ण जानकारी मिली, व्याकरण की भी जानकारी मिली तथा रोशनी हत्ता ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया। छात्रों द्वारा नाटक प्रस्तुत किया गया।
मंचस्थ अतिथियों द्वारा हस्तलिखित पत्रिका ‘‘कोशल कलिंग संस्कृति’’ का विमोचन किया गया तथा पर परीक्षण में प्रथम पुरस्कार प्रभाकर साहु, द्वितीय पुरस्कार शेखर नायक, तृतीय पुरस्कार जीतू पधान तथा प्रोत्साहन पुरस्कार बनीता त्रिपाठी ने प्राप्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रभाकर साहू तथा कुमारी मिली खमारी आभार व धन्यवाद ज्ञापन शेखर नायक ने दिया।
इस पाठ्यक्रम में तकनीकी सहयोग सजग तिवारी का रहा। समापन समारोह के दौरान प्रतिभागियों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्य प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरीत किए। राष्ट्रगान के साथ समापन समारोह संपन्न हुआ।