ऑनलाइन पत्रिका ‘मंजरी का लोकार्पण और कवि सम्मेलन का आयोजन
हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट): साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा और समाज सेवा हेतु समर्पित अग्रणी राष्ट्रीय संस्था सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था हैदराबाद, भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम ‘मैत्रेयी- 2025’ का आयोजन ला मकान में किया गया। संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी सम्मानित अतिथियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और ख्याति प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अहिल्या मिश्र को इस सम्पूर्ण कार्यक्रम की अध्यक्षता करने हेतु मंच पर आमंत्रित किया।

कानपुर से पधारी हुई वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती कुसुम सिंह अविचल को मुख्य अतिथि के रूप में और प्रबुद्ध लेखिका एवं विख्यात उद्योगपति श्रीमती भगवती बल्दवा को विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच पर आमंत्रित किया। मंचासीन अतिथियों और संस्था के पदाधिकारियों ने माँ सरस्वती के फोटो के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। श्रीमती शुभ्रा मोहन्तो ने अपनी सुमधुर आवाज में सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। तत्पश्चात् सरिता सुराणा ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों का शब्द पुष्पों से स्वागत किया और संस्था द्वारा किए जाने वाले कार्यक्रमों की संक्षिप्त जानकारी प्रदान की।

गार्गी सम्मान जो 2024 में प्रारम्भ किया गया था, सन् 2025 में श्रीमती कुसुम सिंह अविचल को प्रदान किया गया। इसके अन्तर्गत शाॅल, मोमेंटो, मोती माला, डायरी, पैन और उपहार से सम्मानित किया गया। डॉ. अहिल्या मिश्र, जो प्रथम गार्गी सम्मान ग्रहिता हैं, उन्होंने और संस्था सदस्यों ने कुसुम सिंह अविचल को यह सम्मान प्रदान किया। संस्था सदस्यों द्वारा मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया गया।
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इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था, ऑनलाइन त्रैमासिक पत्रिका- ‘मंजरी’ के कवर पेज का मंचासीन अतिथियों और संस्था सदस्यों द्वारा लोकार्पण। इसके कवर पेज का डिजाइन सुश्री खुशबू सुराणा ने तैयार किया है। उसके बाद सुहास भटनागर ने आर्या झा कृत काव्य संग्रह ‘तुम मेरा हस्ताक्षर’ पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत की और मंचासीन अतिथियों के करकमलों से उसका लोकार्पण हुआ।

श्रीमती आर्या झा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कृति उन्होंने अपने पतिदेव अमित को समर्पित की है। उन्हें अपनी पुत्री में अपनी छवि दिखाई देती है और उन्हीं भावों को उन्होंने अपनी कविताओं के रूप में ढाला है। संस्था द्वारा शॉल और मोती माला से लेखिका का सम्मान किया गया।

भगवती बल्दवा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे देश में तो रोज ही महिला दिवस मनाया जाता है। हमारी सनातन संस्कृति तो अर्द्ध नारीश्वर की संस्कृति है। आज़ महिलाएं ही अपने घर की गृहमंत्री और वित्त मंत्री हैं। उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि आप चाहे कितना भी ऊंचा मुकाम हासिल कर लें लेकिन अपनी संस्कृति और संस्कारों को न भूलें। उन्होंने संस्था के कार्यों की प्रशंसा की। कुसुम सिंह अविचल ने कहा कि वे उत्तर भारत से आयी हैं और यहां दक्षिण भारतीय प्रदेश हैदराबाद में जो स्नेह और सम्मान उन्हें मिला है, वह हमेशा याद रहेगा। उन्होंने गार्गी सम्मान प्रदान करने हेतु संस्था का आभार व्यक्त किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ अहिल्या मिश्र ने कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति में महिलाएं इतनी शिक्षित और समर्थ थीं। लोपामुद्रा, घोषा जो वैदिक काल की विदुषी महिलाएं थीं, वे जनेऊ धारण करती थीं, उन्होंने वैदिक ऋचाएं लिखी थीं। हम पुरुषों की बराबरी की बात क्यों करें? हम तो उनसे हमेशा से आगे हैं। प्राचीन काल में स्त्रियों को अपना वर स्वयं चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता थी। उन्होंने इस भव्य कार्यक्रम के आयोजन हेतु संस्था अध्यक्ष और सभी सदस्यों को बधाई दी। डॉ. पंकज मेहता ने प्रथम सत्र का संचालन बहुत कुशलतापूर्वक किया। आर्या झा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
अल्पाहार के पश्चात् द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सुहास भटनागर ने अपने अनोखे अंदाज में इस सत्र का संचालन किया। जिसमें उपस्थित सभी कवि कवयित्रियों ने महिला दिवस और होली से सम्बन्धित रचनाओं का पाठ किया। वरिष्ठ गीतकार विनीता शर्मा ने अपने गीत- जिस घड़ी आप हम वर्ग में बदल गए के माध्यम से सभी को भावविभोर कर दिया। शुभ्रा मोहन्तो ने होली गीत की शानदार प्रस्तुति दी। कुसुम सिंह अविचल, सूरज कुमारी गोस्वामी, जी परमेश्वर, बिनोद गिरि अनोखा, सरोज शर्मा, अमिता श्रीवास्तव, डॉ आशा मिश्र, आर्या झा, ज्योति गोलामुडी, डॉ पंकज मेहता, सुहास भटनागर और सरिता सुराणा ने काव्य पाठ किया।
अंत में डॉ अहिल्या मिश्र ने होली से सम्बन्धित रोचक किस्सा सुनाया और अपनी रचनाओं का पाठ किया। अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए उन्होंने सभी रचनाकारों की विविध रचनाओं की प्रशंसा की और कहा कि ऐसे सार्थक आयोजन होते रहने चाहिए। इनसे लोगों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मित्रगण उपस्थित थे। डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव, सुश्री खुशबू सुराणा, अमित झा, श्रीमती अंजू बैद, श्रीमती हर्षलता दुधोड़िया, श्रीमती महिमा भटनागर, भास्कर जी, कृष्णा मोहन्ता, एस सुजाता, के. वी. राव, डॉ मोहन रेड्डी, उदय श्री, विनोद, गीतिका गोस्वामी, सोनाली जॉन, वी कुणाल और जी शिरीषा की गरिमामय उपस्थिति रही। सरिता सुराणा ने सभी सम्मानित सदस्यों और अतिथियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।